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समाज

इस रक्षाबंधन, शौचालय का तोहफा

फैसल फरीद
१ अगस्त २०१७

बहन भाई की कलाई में राखी बांधेगी और भाई अपने वादे के मुताबिक बहन के लिए शौचालय बनवाएगा. उत्तर प्रदेश में अमेठी जिले शुरू हुई यह मुहिम बदलती सोच का संकेत है.

Indien Bau einer Toilette in Amethi
तस्वीर: CDO/Amethi

उत्तर प्रदेश में खुले में शौच जाना एक समस्या है. ऐसा करने के पीछे कई वजह हैं. कुछ तो आर्थिक तंगी की वजह से शौचालय नहीं बनवा पाते हैं और कहीं पर सामाजिक आदत ऐसी है कि लोग जानबूझ का शौचालय का निर्माण नहीं करवाते हैं. गांव में अभी लोग खुले में शौच करने की आदत रखते हैं. सफाई के अलावा परेशानी सबसे ज्यादा महिलाओं को होती हैं जिन्हें खुले में शौच करने जाना पड़ता हैं.

भारत में खुले में शौच से मुक्ति के लिए स्वच्छ भारत मिशन शुरू किया गया हैं. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 31 दिसम्बर 2017 तक प्रदेश के 30 जनपदों को ओपन डेफिकेशन फ्री (खुले में शौच से मुक्त) होने का लक्ष्य रखा हैं. इसके अलावा 2 अक्टूबर 2018 को संपूर्ण प्रदेश को खुले में शौच से मुक्त करने का लक्ष्य है.

प्रयत्न सभी हो रहे हैं और इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश के अमेठी जनपद की मुख्य विकास अधिकारी सुश्री अपूर्वा दुबे ने शौचालय बनाने के अभियान को भाई बहन के प्यार से भावनात्मक रूप से जोड़ दिया हैं. अपूर्वा ने एक नयी मुहीम चलायी है, अनोखी अमेठी का अनोखा भाई. इस मुहीम में उन्होंने जनपद के भाइयो से अपील करी कि वो अपने बहनों को इस रक्षाबंधन में उपहार स्वरुप शौचालय बना कर दें. रक्षाबंधन पर बहन अपने भाइयो की कलाई पर राखी बांधती हैं और भाई उनको उपहार और रक्षा का वचन देते हैं.

तस्वीर: CDO/Amethi

अपूर्वा बताती है की गरीब हो या अमीर हर भाई अपनी बहन को सामर्थ्य के अनुसार गिफ्ट देता है,  "खुले में शौच जाने से महिलाओ को कई परेशानी उठानी पड़ती है. रास्ते में छेड़छाड़ एवं शर्मिंदगी अलग होती है. कोई भाई ये नहीं चाहेगा. इसीलिए मैंने भाइयों से कहा कि वो अपनी बहनों को ऐसा गिफ्ट दे जिससे वो खुश और सुरक्षित रहे.”

ये मुहीम रंग लायी और अमेठी के 854 भाइयों ने आने वाले रक्षाबंधन को अपनी बहनों को शौचालय बना कर देने का वचन दिया. शौचालय बनना भी शुरू हो गए. अपूर्वा की अपील पर वैसे बहुत लोग आये लेकिन उन्होंने सबसे वचन दिलवाया कि वो वाकई शौचालय बनवायेंगे, "मैंने ये भी उनसे वचन लिया कि वो अपनी शादी भी वहीँ करेंगे जहां शौचालय बना हो. इस मुहीम में ऐसा इस वजह से किया क्योंकि शौचालय बनवाना सिर्फ मकसद नहीं था. हमको लोगों के व्यवहार में भी परिवर्तन लाना होगा वरना शौचालय भले बन जाये लेकिन उसका उपयोग नहीं करते,”

तस्वीर: CDO/Amethi

बात सिर्फ भाइयों तक सीमित नहीं रखी गयी. बहनों को भी इसमें जोड़ा गया और उनसे पत्र लेखन करने को कहा जिसमे उनको वो बात लिखनी थी कि खुले में शौच जाने से उन्हें क्या क्या पेरशानी होती हैं. ऐसे तीन सर्वश्रेष्ट पत्र को 15 अगस्त को समारोह में पढ़ा जायेगा और एक उदहारण बना कर लोगों और मीडिया में वितरित किया जायेगा.

जब भाइयों ने आगे बढ़ कर शौचालय बनवाया तो प्रशासन ने भी उनको प्रोतोसाहित करने कर प्लान बनाया हैं. स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर एक लकी ड्रा रखा गया हैं. जिसमे सारे भाइयों के बीच में विजेता चुने जायेंगे. पहला पुरस्कार 50,000 दूसरा पुरस्कार 15,000 और तीसरा पुरस्कार 12,000 रुपये का रखा गया हैं. इसके अलावा शर्ट, चश्मा और मोबाइल भी देने पर विचार चल रहा है. अपूर्वा की मुहीम को अब प्रदेश में दूसरे जनपद के अधिकारी अपने यहां लागू कर रहे हैं.

अपूर्वा की इस मुहीम ने एक सामाजिक समस्या को भावनात्मक रूप से हल करने का रास्ता दिखा दिया हैं. शासन स्तर पर भी इस मुहीम की चर्चा हैं. खुले में शौच से मुक्ति के लिए शासन भी अब गंभीर हो गया हैं. आगामी 2 अक्टूबर 2018 तक संपूर्ण प्रदेश को खुले में शौच मुक्त घोषित करने का लक्ष्य हैं. इसके लिए लगभग एक करोड़ 55 लाख शौचालय का निर्माण करवाना पड़ेगा. सरकारी प्रवक्ता के अनुसार इस लक्ष्य के लिए रोज 44,000 शौचालय बनवाने पड़ेंगे. प्रवक्ता ने बताया कि इस कार्यक्रम को प्राथमिकता दी जा रही है और सराहनीय कार्य करने वाले अधिकारियों को पुरुस्कृत किया जायेगा. वहीं ये भी आदेश जारी किये गए हैं कि प्रत्येक माह की 10 तारीख को मुख्य सचिव स्तर पर मंडलायुक्तों की बैठक कर के समीक्षा होगी वहीं मंडलायुक्त प्रत्येक माह की 5 तारिख को अधीनस्थ जिलाधिकारियों की बैठक कर योजनायों का फीडबैक एवं प्रगति की जानकारी लेंगे.

(जीना टॉयलेट के बिना)

 

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