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ईयू-चीन सम्मेलन में चीन से सवाल कर पाएगा जर्मनी?

११ मई २०२०

यूरोपीय संघ और चीन के बीच सितंबर में होने वाले सम्मेलन से पहले बड़ा सवाल ये है कि क्या जर्मनी चीन से कोरोना वायरस के स्रोत और मानवाधिकार उल्लंघन जैसे विषयों पर कड़े सवाल कर पाएगा?

Chinesischer Polizist vor EU-Flagge
तस्वीर: picture-alliance/dpa/M. Reynolds

जर्मनी के दैनिक ज्युड डॉयचे साइटुंग अखबार में छपी रिपोर्ट के मुताबिक सितंबर में जर्मन शहर लाइपजिग में होने वाला यूरोपीय संघ और चीन का शिखर सम्मेलन अभी अधर में है. रिपोर्ट में कहा गया है कि विपक्षी ग्रीन पार्टी द्वारा चीन में मानवाधिकारों के दमन को लेकर संसद में पूछे गए एक सवाल के जवाब में सरकार का उत्तर काफी विनम्र लहजे का है. ग्रीन पार्टी की सांसद मार्गरेटे बाउजे द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में सरकार ने कहा, "लाइपजिग में होने वाला सम्मेलन यूरोपीाय संघ की मंत्रि परिषद की अध्यक्षता में होगा." इस जवाब के साथ में कूटनीतिक रूप से कहा गया है कि चीन में अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों के स्तर में गिरावट दर्ज की गई है.

नागरिक अधिकारों पर बात की मांग

जर्मनी जुलाई में ईयू की अध्यक्षता संभालेगा. बाउजे ने इस पर बात करते हुए कहा कि जर्मनी यूरोपीय संघ में अभी भी एक कम ताकतवर देश की तरह बात कर रहा है. बाउजे ने कहा ऐसा करने की बजाय जर्मनी को अपनी क्षमता का इस्तेमाल करते हुए यूरोपीय संघ में चीन में सरकार द्वारा किए जा रहे मानवाधिकार उल्लंघन, लोगों की आवाज दबाना, लोगों पर निगरानी रखने और सेंसरशिप के खिलाफ अपनी आवाज मजबूती से उठानी चाहिए.

कोरोना के चलते लगे लॉकडाउन के कारण अब कयास लगाए जा रहे हैं कि ये शिखर सम्मेलन अब वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग तक ही सीमित रहेगा. जर्मन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल एंड सिक्योरिटी अफेयर्स में सीनियर रिसर्चर निकोलाई फॉन ओनदार्सा ने पिछले महीने ही ये कहा था कि इस बातचीत में पर्यावरण को बचाने के लिए की जाने वाली ग्रीन डील और डिजिटलाइजेशन जैसे कई मुद्दों को 2021 के लिए आगे खिसका दिया जाएगा.

विपक्षी फ्री डेमोक्रैटिक पार्टी से ताल्लुक रखने वाली और जर्मन संसद की मानवाधिकार समिति की अध्यक्ष गुइडे येनजन ने कहा कि चांसलर मैर्केल को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से होने वाली बातचीत के दौरान ये स्पष्ट कर देना चाहिए कि मानवाधिकार के मुद्दे पर यूरोपीय संघ कोई भी समझौता नहीं कर सकता है. उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस जैसी महामारी के फैलने में चीन की भूमिका भी मैर्केल की मुख्य प्राथमिकताओं में शामिल होनी चाहिए.

ईयू में चीन के दूत के साथ यूरोपीय आयोग प्रमुख फॉन डेय लाएम की बातचीततस्वीर: Imago Images/Xinhua

उम्मीदें बड़ी लेकिन धीमी है तैयारी

सम्मेलन की तैयारी को लेकर इस समय कोई गर्मजोशी नहीं दिखाई दे रही है, क्योंकि सब इस समय कोरोना वायस को रोकने और हफ्तों के लॉकडाउन के बाद स्थिति को सामान्य बनाने की बहस में फंसे हैं. इस सम्मेलन की परिकल्पना जनवरी में दावोस में हुए विश्व आर्थिक फोरम के दौरान तैयार की गई थी. यूरोपीय संघ और चीन के बीच नियमित रूप से होने वाले सम्मेलनों के बीच ये सम्मेलन पर्यावरण और व्यापार को केंद्र में रखकर तैयार किया जा रहा है. यूरोपीय संघ के चीन के साथ संबंधों वाले 37 सदस्यीय संसदीय पैनल के अध्यक्ष और जर्मन ग्रीन पार्टी के सदस्य राइनहार्ड ब्यूटिकोफर का कहना है कि इस सम्मेलन से मैर्केल को बहुत कुछ हासिल नहीं होने वाला है.

राइनहार्ड ब्यूटिकोफर का कहना है कि नवंबर में ग्लास्गो में यूएन द्वारा जलवायु परिवर्तन को प्रस्तावित सम्मेलन को टाल दिया गया है. ऐसे में इस सम्मेलन से कुछ खास निकलने की उम्मीद नहीं है. वे कहते हैं कि जिस तरह चीन और अमेरिका के बीच में व्यापारिक युद्ध चल रहा है उसके बीच चीन यूरोपीय संघ को ऐसी कोई चीज नहीं दे सकता जिसकी अमेरिका को तुरंत जरूरत हो.

जर्मन मार्शल फंड के नोआ बार्किन का कहना है कि मैर्केल ने उम्मीदें ज्यादा बढ़ा ली थीं जबकि जर्मनी ने पहले चीन की विदेश नीति की आलोचना भी की थी. मैर्केल की पार्टी सीडीयू के विदेश मामलों के प्रवक्ता युर्गेन हार्ट का कहना है कि इस मुश्किल समय में हमें अंतरराष्ट्रीय संबंधों को मजबूत करने की आवश्कता है जिसमें चीन से साथ मजबूत संबंध भी जरूरी हैं. वे कहते हैं कि लाइपजिग सम्मेलन के दौरान कोरोना वायरस संक्रमण के वुहान में स्रोत को लेकर दो टूक बातचीत की जानी चाहिए.

आरएस/एमजे (एएफपी, रॉयटर्स)

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