जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने साफ कहा है कि वे यूरोप आने वाले लोगों से लिए सीमाएं बंद करने के खिलाफ हैं. ईयू-तुर्की सम्मेलन के पहले मैर्केल ने शरणार्थी संकट से निबटने के नए रास्ते तलाशने पर जोर दिया.
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यूरोपीय संघ के नेता ब्रसेल्स में तुर्की के प्रधानमंत्री अहमत दावुतोग्लू से मिलकर लगातार यूरोप पहुंच रहे शरणार्थियों की समस्या का कोई हल निकालना चाहते है. तुर्की के प्रधानमंत्री से मिलने के बाद ईयू के नेता आपस में इस पर चर्चा करेंगे और संभवत: बाल्कन रूट को बंद करने पर आधिकारिक सहमति बना सकते हैं.
तुर्की ने कहा है कि सीरियाई शरणार्थियों की मदद के लिए ईयू से मिलने वाले करीब 3 अरब यूरो का निवेश उन्हें शिक्षा और स्वास्थ्य समेत विभिन्न क्षेत्रों में मदद पहुंचाने के लिए होगा. यूरोप ने वादा किया है कि वह शरणार्थियों की मदद के लिए तुर्की को धन मुहैया कराएगा.
कुछ महीने पहले यूरोप और तुर्की ने आपसी समझौते से तय किया था कि शरणार्थियों को अपने यहां रखने के बदले यूरोप तुर्की को यह धनराशि देगा. केवल तुर्की में ही करीब 27 लाख सीरियाई शरणार्थी रह रहे हैं.
पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा सीरियाई शरणार्थियों को रखने वाला देश तुर्की बहुत से अन्य शरणार्थियों के लिए गैरकानूनी तौर पर पानी के रास्ते यूरोप पहुंचने का ट्रांजिट प्वाइंट भी है. तुर्की में इन सीरियाई शरणार्थियों को वर्क परमिट नहीं मिलता, जिसकी वजह से बहुत से लोग यूरोप का रूख करते हैं.
उधर ब्रिटेन ने साफ किया है कि वह शरणार्थियों पर ईयू के किसी संभावित साझा व्यवस्था का हिस्सा नहीं बनेगा. ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने कहा है कि अगर जून के जनमत संग्रह में उनका देश ईयू को छोड़ने का निर्णय लेता है तब भी यूके पर शरणार्थी संकट का असर पड़ेगा. डबलिन रूल कही जाने वाली ईयू की मौजूदा शरणार्थी नीति ब्रिटेन पर भी लागू होती है. इसमें ईयू के सभी देशों को अपने यहां शरण मांगने वालों को पंजीकृत करना होता है और उस व्यक्ति को शरण दिए जाने के दावे की राष्ट्रीय स्तर पर जांच पड़ताल करनी होती है.
इस नियम के अनुसार बाहरी व्यक्ति ने ईयू के जिस देश में सबसे पहले प्रवेश किया हो, वहीं उसका पंजीकरण और बाकी प्रक्रिया होनी चाहिए. भविष्य में इस सिस्टम में बदलाव लाकर सभी आवेदनों पर केंद्रीय स्तर पर विचार करने का प्रस्ताव है. कुछ देशों का मानना है कि इस तरह ग्रीस और इटली जैसे देशों पर शरणार्थियों का बोझ कम किया जा सकेगा, जहां से होकर शरणार्थी इस समय बड़ी संख्या में यूरोप में घुस रहे हैं.
सीरिया संकट की एबीसी
दुनिया भर में शरणार्थियों के मुद्दे ने उथल पुथल मचा रखी है. लेकिन अगर आप भी यह सोच कर हैरान हैं कि रातों रात ये लाखों शरणार्थी आए कहां से, तो पढ़िए..
तस्वीर: Reuters/Y. Behrakis
कैसे हुई शुरुआत?
रातों रात कुछ भी नहीं हुआ. सीरिया में पिछले पांच साल से गृहयुद्ध चल रहा है. मार्च 2011 में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन शुरू हुए. चार महीनों के अंदर शांतिपूर्ण प्रदर्शन हिंसक रूप ले चुके थे. यह वही समय था जब कई देशों में अरब क्रांति शुरू हुई.
तस्वीर: Reuters
क्या हैं आंकड़े?
उस समय सीरिया की आबादी 2.3 करोड़ थी. इस बीच करीब 40 लाख लोग देश छोड़ चुके हैं, 80 लाख देश में ही विस्थापित हुए हैं और दो लाख से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं. ये आधिकारिक आंकड़े हैं. असल संख्या इससे काफी ज्यादा हो सकती है.
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कहां है सीरिया?
पश्चिमी एशिया के देश सीरिया के एक तरफ इराक है, दूसरी तरफ तुर्की. इसके अलावा लेबनान, जॉर्डन और इस्राएल भी पड़ोसी हैं. सीरिया की तरह इराक में भी संकट है. दोनों ही देशों में कट्टरपंथी संगठन इस्लामिक स्टेट ने तबाही मचाई है.
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पड़ोसियों ने क्या किया?
इस वक्त तुर्की में सीरिया से आए 18 लाख शरणार्थी हैं, लेबनान में 12 लाख, जॉर्डन में करीब 7 लाख और इराक में ढाई लाख. लेबनान, जिसकी आबादी 45 लाख है, वहां चार में से हर एक व्यक्ति सीरिया का है. इराक पहुंचने वालों के लिए आगे कुआं पीछे खाई की स्थिति है.
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इस्राएल का क्या?
सीरिया के साथ इस्राएल की भी सरहद लगी है पर दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंध ना होने के कारण इस्राएल ने एक भी शरणार्थी नहीं लिया है और कहा है कि भविष्य में भी नहीं लेगा.
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यूरोप ही क्यों?
संयुक्त राष्ट्र के जेनेवा कन्वेंशन में 'शरणार्थी' को परिभाषित किया गया है. यूरोपीय संघ के सभी 28 देश इस संधि के तहत शरणार्थियों की मदद करने के लिए बाध्य हैं. यही कारण है कि लोग यूरोप में शरण की आस ले कर आ रहे हैं.
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क्या है रास्ता?
सीरिया से यूरोप का रास्ता छोटा नहीं है. अधिकतर लोग पहले तुर्की, वहां से बुल्गारिया, फिर सर्बिया, हंगरी और फिर ऑस्ट्रिया से होते हुए जर्मनी पहुंचते हैं. इसके आगे डेनमार्क और फिर स्वीडन भी जाते हैं. कई लोग समुद्र का रास्ता ले कर तुर्की से ग्रीस और फिर इटली के जरिए यूरोप की मुख्य भूमि में प्रवेश करते हैं.
अब आगे क्या?
यूरोपीय आयोग के प्रमुख जाँ क्लोद युंकर का कहना है कि यूरोप को हर हाल में 1,60,000 शरणार्थियों के लिए जगह बनानी होगी. उन्होंने एक सूची जारी की है जिसके अनुसार शरणार्थियों को यूरोप के सभी देशों में बांटा जा सकेगा. हालांकि बहुत से देश इसके खिलाफ हैं.