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ईयू-तुर्की वार्ता से बंधी उम्मीदें

आरपी/एमजे (डीपीए, रॉयटर्स)७ मार्च २०१६

जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने साफ कहा है कि वे यूरोप आने वाले लोगों से लिए सीमाएं बंद करने के खिलाफ हैं. ईयू-तुर्की सम्मेलन के पहले मैर्केल ने शरणार्थी संकट से निबटने के नए रास्ते तलाशने पर जोर दिया.

तस्वीर: Diego Cupolo/DW

यूरोपीय संघ के नेता ब्रसेल्स में तुर्की के प्रधानमंत्री अहमत दावुतोग्लू से मिलकर लगातार यूरोप पहुंच रहे शरणार्थियों की समस्या का कोई हल निकालना चाहते है. तुर्की के प्रधानमंत्री से मिलने के बाद ईयू के नेता आपस में इस पर चर्चा करेंगे और संभवत: बाल्कन रूट को बंद करने पर आधिकारिक सहमति बना सकते हैं.

तुर्की ने कहा है कि सीरियाई शरणार्थियों की मदद के लिए ईयू से मिलने वाले करीब 3 अरब यूरो का निवेश उन्हें शिक्षा और स्वास्थ्य समेत विभिन्न क्षेत्रों में मदद पहुंचाने के लिए होगा. यूरोप ने वादा किया है कि वह शरणार्थियों की मदद के लिए तुर्की को धन मुहैया कराएगा.

जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने बीते महीनों में तुर्की के दौरे किए.तस्वीर: Reuters/F. Lenoir

कुछ महीने पहले यूरोप और तुर्की ने आपसी समझौते से तय किया था कि शरणार्थियों को अपने यहां रखने के बदले यूरोप तुर्की को यह धनराशि देगा. केवल तुर्की में ही करीब 27 लाख सीरियाई शरणार्थी रह रहे हैं.

पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा सीरियाई शरणार्थियों को रखने वाला देश तुर्की बहुत से अन्य शरणार्थियों के लिए गैरकानूनी तौर पर पानी के रास्ते यूरोप पहुंचने का ट्रांजिट प्वाइंट भी है. तुर्की में इन सीरियाई शरणार्थियों को वर्क परमिट नहीं मिलता, जिसकी वजह से बहुत से लोग यूरोप का रूख करते हैं.

उधर ब्रिटेन ने साफ किया है कि वह शरणार्थियों पर ईयू के किसी संभावित साझा व्यवस्था का हिस्सा नहीं बनेगा. ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने कहा है कि अगर जून के जनमत संग्रह में उनका देश ईयू को छोड़ने का निर्णय लेता है तब भी यूके पर शरणार्थी संकट का असर पड़ेगा. डबलिन रूल कही जाने वाली ईयू की मौजूदा शरणार्थी नीति ब्रिटेन पर भी लागू होती है. इसमें ईयू के सभी देशों को अपने यहां शरण मांगने वालों को पंजीकृत करना होता है और उस व्यक्ति को शरण दिए जाने के दावे की राष्ट्रीय स्तर पर जांच पड़ताल करनी होती है.

इस नियम के अनुसार बाहरी व्यक्ति ने ईयू के जिस देश में सबसे पहले प्रवेश किया हो, वहीं उसका पंजीकरण और बाकी प्रक्रिया होनी चाहिए. भविष्य में इस सिस्टम में बदलाव लाकर सभी आवेदनों पर केंद्रीय स्तर पर विचार करने का प्रस्ताव है. कुछ देशों का मानना है कि इस तरह ग्रीस और इटली जैसे देशों पर शरणार्थियों का बोझ कम किया जा सकेगा, जहां से होकर शरणार्थी इस समय बड़ी संख्या में यूरोप में घुस रहे हैं.

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