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ईयू पहुंचा ओलांद-मैर्केल मतभेद

२३ मई २०१२

यूरोपीय संघ के नेता ब्रसेल्स में कर्ज संकट से निबटने के उपायों पर विचार कर रहे हैं. लेकिन फ्रांस के राष्ट्रपति ओलांद और जर्मन चांसलर मैर्केल अपनी जिद पर अड़े हैं. यूरोपीय नेता बीच का रास्ता निकालने की कोशिश में हैं.

तस्वीर: ap

अंगेला मैर्केल सदस्य देशों में भारी कर्ज को कम करने के लिए सख्त बचत की मांग कर रही है तो फ्रांस के नए राष्ट्रपति फ्रांसोआ ओलांद आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकारी कार्यक्रमों की मांग कर रहे हैं. उन्होंने इसके लिए यूरोपीय देशों द्वारा साझा बांड जारी करने की मांग की है जबकि जर्मनी पूरी तरह से साझा बांड का विरोध कर रहा है. जर्मनी मुश्किल में फंसे बैंकों के लिए पैसा जुटाने के नए रास्तों का भी विरोध कर रहा है.

दो साल के वित्तीय संकट के दौरान यह पहला मौका है जब शाम के खाने पर होने वाले सम्मेलन से पहले जर्मनी और फ्रांस ने अपना रुख तय करने के लिए मिनी सम्मेलन नहीं किया है. इसके विपरीत फ्रांसीसी राष्ट्रपति ओलांद ब्रसेल्स के लिए रवाना होने से पहले स्पेन के प्रधानमंत्री मारियानो राखोय से मिल रहे हैं. इस डर के बावजूद कि ग्रीस यूरो जोन से बाहर हो सकता है, इस समय स्पेन मंदी और बैंकिंग सिस्टम में सुधारों की जरूरत के कारण संकट के मोर्चे पर है.

बारोसो, मैर्केल, मोंटी और राखोयतस्वीर: picture-alliance/dpa

विकास का जर्मन रास्ता

शिखर सम्मेलन से पहले जर्मन सरकार कड़ी बचत करने की अपनी नीति पर कायम है. सरकारी प्रवक्ता ने उम्मीद जताई है कि यूरोपीय संघ में घाटे को कम करने और बजट को संतुलित बनाने की नीति जारी रहेगी. जर्मन प्रतिनिधिमंडल के हवाले से कहा गया है कि आज शाम यूरोपीय नेताओं की बैठक में फैसले नहीं लिए जाएंगे. फैसला जून के अंत में नियमित शिखर सम्मेलन के दौरान होगा.

जर्मन चांसलर संरचनात्मक सुधारों को आर्थिक विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण योगदान मानती हैं. वह विकास के लिए सरकारी कार्यक्रमों का विरोध कर रही हैं जबकि खुद जर्मनी ने वित्तीय संकट की शुरुआत में मंदी को रोकने के लिए ऐसे कदमों का सहारा लिया है. कार उद्योग को बचाने के लिए जर्मनी ने नई कारों की खरीद के लिए अरबों यूरो की मदद का कार्यक्रम चलाया था.

शिखर सम्मेलन से पहले जर्मन ट्रेड यूनियन महासंघ डीजीबी ने यूरो बांड जारी करने और सरकारी निवेश बढ़ाने की मांग की है. डीजीबी के कार्यकारिणी सदस्य क्लाउस माटेत्सकी ने कहा, "संकट के हल का जर्मन सुझाव काम नहीं कर रहा है. दक्षिण यूरोप की मिसाल दिखाती है कि सख्त बचत और नव उदारवादी संरचनात्मक परिवर्तन संकट को और गहरा बना रहे हैं." जर्मन ट्रेड यूनियन के अनुसार संरचनात्मक परिवर्तन से वेतन और सामजिक सुविधाएं घट रही हैं, जिससे बाजार में मांग घट रही है और यूरोप संकट में उलझता जा रहा है.

मैर्केल और वित्त मंत्री शौएब्लेतस्वीर: picture-alliance/dpa

विकास का फ्रांसीसी रास्ता

फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांसोआ ओलांद चुनाव प्रचार के समय से ही सिर्फ बचत करने के बदले विकास को प्रोत्साहन देने वाले कदमों की मांग कर रहे हैं. राष्ट्रपति बनने के बाद अब उन्होंने यह मांग दुहराई है और पहले की गई बजट संधि में संशोधन नहीं किए जाने की हालत में उसकी पुष्टि नहीं करने की धमकी दी है. साझा यूरो बांड की उनकी मांग को इस बीच इटली के प्रधानमंत्री मारियो मोंटी का समर्थन मिला है.

जर्मनी साझा यूरो बांड की मांग का इसलिए भी विरोध कर रहा है कि इससे उसके कर्ज के लिए ब्याज बढ़ जाएगा. इस समय अलग अलग देश अपना बांड जारी कर रहे हैं और उन्हें उनकी साख के अनुसार कर्ज देना पड़ रहा है. जर्मनी की साख इस समय इतनी अच्छी है कि उसने इस सप्ताह शून्य फीसदी ब्याज दर पर साढ़े चार अरब यूरो के बांड जारी किए हैं. साझा यूरो बांड का ब्याज दर इससे कहीं ज्यादा होगा. इसके विपरीत फ्रांस, इटली या ग्रीस को सस्ती दरों पर कर्ज मिल पाएगा.

शिखर सम्मेलन में ग्रीस की स्थिति पर भी चर्चा होगी. लेकिन इस बात पर यूरोपीय नेताओं के बीच सहमति है कि नया फैसला लेने से पहले ग्रीस में 17 जून को होने वाले चुनावों का इंतजार किया जाएगा. जर्मन सरकार की ओर से कहा गया है, "हम चाहते हैं कि ग्रीस यूरो में बना रहे." ताजा जनमत सर्वेक्षणों में वामपंथी पार्टी पहले नम्बर पर दिख रही है. वह यूरो में बने रहने लेकिन ब्याज देना बंद करने की मांग कर रही है ताकि ग्रीस में पांच साल से चली आ रही मंदी रोकी जा सके.

एमजे/आईबी (रॉयटर्स, डीएपीडी)

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