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ईयू में आसान होंगे शरणार्थी कानून

१३ जून २०१३

यूरोपीय संघ में 14 साल की बहस के बाद शरणार्थी आवेदन की प्रक्रिया में सुधार आखिरकार हो गया. लक्ष्य है आवेदन की प्रक्रिया छोटी हो और एक जैसी हो. लेकिन आयरलैंड, डेनमार्क और यूके ने इन्हें नहीं अपनाया है.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

इतने साल की बातचीत के बाद यूरोपीय संघ के सदस्य देशों के गृह मंत्री और यूरोपीय संसद शरणार्थी कानून को सुधारने में सफल हो गए हैं और इसकी प्रक्रिया में सुधार भी किए गए हैं. भविष्य में शरणार्थी आवेदन पर छह महीने के अंदर फैसला हो जाएगा. अभी इसकी सीमा 24 महीने की है.

पहली बार ऐसा हुआ है कि यूरोपीय संघ ने ट्रांस सेक्शुअल, समलैंगिक महिला और पुरुष और खतने का खतरा झेल रहे लोगों को भी शरण मिल सकती है.

रहने के मानक

नए सुधारों में उन लोगों को बिलकुल अलग रखा गया है जो आर्थिक कारणों की वजह से अपना देश छोड़ कर यूरोपीय देशों में आते हैं. यूरोपीय आयोग के मुताबिक हर साल तीन लाख तीस हजार लोग शरण के लिए आवेदन देते हैं. लेकिन अभी तक उन्हें ही शरण मिल पाती है जो अधिकारियों को यह साबित करने में सफल होते हैं कि उन्हें राजनीतिक या धार्मिक कारणों से सताया जा रहा है. उन्हें शरण मिल जाती है.

यूरोपीय संघ में हर साल 70,000 लोगों को शरण मिलती है. गृह मामलों के आयोग की प्रवक्ता मिषेले सेरकोने कहती हैं, "जो भी यूरोपीय संघ में आता है, चाहे कहीं भी आए उसे शरण का आवेदन करने का हक है और उसके साथ मानवीय व्यवहार ही किया जाना चाहिए." यूरोपीय संघ के सदस्य देशों को चाहिए कि वह इन लोगों के रहने के लिए आधारभूत सुविधाओं वाले घर दे.

अल्पसंख्यक भी

ईयू के कई सदस्य देशों में शरण का आवेदन करने वाले लोगों को गिरफ्तार कर लिया जाता है और उन्हें खास शिविरों में बंदी की तरह रखा जाता है. नए नियमों के मुताबिक अब गिरफ्तारी के कारण देने होंगे. अगर किसी मामले में शरणार्थी की पहचान या वह किस देश से आता है यह पता नहीं लग सके, तभी उसे पकड़ा जा सकता है. इसमें अल्पसंख्यक भी शामिल हैं.

तस्वीर: AP

डबलिन III नाम के इस कानून में आगमन के बारे में नियम वही है. ये कानून कहता है, "शरणार्थी उसी देश में शरण के लिए आवेदन कर सकता है जहां वह पहली बार आया है." लेकिन नए नियमों के अंतर्गत आवेदक नई जगह भेजे जाने के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकता है. उदाहरण के लिए जर्मनी से ग्रीस भेजे जाने की स्थिति में. या फिर सदस्य देश में उन्हें लौटने की जरूरत तब नहीं होगी जब वहां शरणार्थियों की संख्या बहुत ज्यादा हो या फिर वह मानवीय व्यवहार करने में असमर्थ हो.

फिलहाल जर्मनी, फ्रांस, स्वीडन, ब्रिटेन, बेल्जियम में आने वाले शरणार्थियों की संख्या सबसे ज्यादा है. यह आंकड़े यूरोस्टैट सांख्यिकी ऑफिस के हैं. यूरोपीय सांसद बिरगिट सिपल का कहना है कि शरणार्थियों की संख्या के साथ ही देश का आकार, जनसंख्या और आर्थिक स्थिति देखना भी जरूरी है.

आने वाले दिनों में शरणार्थियों को किसी देश में आने के नौ महीने बाद काम करने की अनुमति होगी बशर्ते वहां उन्हें शरणार्थी करार दे दिया गया हो. उन्हें स्वास्थ्य के मामले में यूरोपीय संघ के नागरिकों जितनी ही सुविधा मिलेगी. खाने, कपड़े के लिए उन्हें यूरो नहीं बल्कि वाउचर दिए जाएंगे.

अधिकारियों के लिए

2000 से सभी शरणार्थियों के अंगुलियों के निशान खास डेटाबेस में सुरक्षित हैं, ताकि एक ही व्यक्ति दो देशों में आवेदन नहीं कर सके और आवेदन खारिज होने की स्थिति में किसी और देश में एप्लीकेशन नहीं दे. शरणार्थी कानून में सुधार में कोशिश की जा रही थी ताकि सभी ईयू देश इन्हें मान लें. लेकिन ऐसा अभी भी नहीं हो सका है. डेनमार्क, आयरलैंड और ब्रिटेन यूरोपीय संघ के शरणार्थी नियमों को अपने देशों में लागू नहीं करेंगे.
यूरोपीय संघ के बाकी सदस्य देशों के पास एक जैसे शरणार्थी कानून लागू करने के लिए 2015 तक का समय है.

रिपोर्ट: बेर्न्ड रीगर्ट/आभा मोंढे

संपादन: महेश झा

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