ईरान ने इराक में दो सैन्य अड्डों पर हमला किया जहां अमेरिकी सैनिक भी तैनात हैं. अमेरिका ने किसी भी नुकसान से इनकार किया है लेकिन तेहरान ने 80 अमेरिकी सैनिकों के मारे जाने का दावा किया है.
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ईरान के शीर्ष सैन्य अधिकारी जनरल कासिम सुलेमानी के एक अमेरिकी हमले में मारे जाने के पांच दिन बाद ईरान ने अमेरिका पर पलटवार किया है. पेंटागन के एक बयान के मुताबिक ईरान ने इराक में अमेरिकी सैनिकों की उपस्थिति वाले दो सैन्य अड्डों पर एक दर्जन से भी ज्यादा बैलिस्टिक मिसाइल दागी हैं. इराक में लगभग 5,000 अमेरिकी सैनिक तैनात हैं, जो आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट से लड़ने वाले एक अंतरराष्ट्रीय सैन्य गठबंधन का नेतृत्व कर रहे हैं.
ईरान ने कहा कि यह हमला सुलेमानी की मौत का बदला है. ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड ने दावा किया कि हमला पूरी तरह सफल था. रिवोल्यूशनरी गार्ड का कहना है कि पश्चिमी इराक में ऐन अल-असद हवाई अड्डा, जहां अमेरिकी सैनिक तैनात हैं, पूरी तरह से तहस नहस हो गया. ईरान के सरकारी टेलिविजन चैनल ने दावा किया है कि हमलों में कम से कम 80 "अमेरिकी आतंकवादी" मारे गए और हेलिकॉप्टर और सैन्य उपकरणों को भारी नुकसान हुआ.
ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद जरीफ ने ट्वीट किया कि उनके देश ने "आत्मरक्षा में अनुपाती कदम उठाए हैं." उन्होंने ट्विट्टर पर लिखा, "हम युद्ध या मामले को और आगे बढ़ाना नहीं चाहते हैं, पर आक्रमण के खिलाफ अपनी रक्षा जरूर करेंगे".
इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प ने "सब ठीक है" ट्वीट किया और यह भी कहा कि कितनी जानें गई हैं उसका आकलन चल रहा है. उन्होंने यह भी कहा, "हमारे पास दुनिया की सबसे ताकतवर और सबसे अच्छी तरह हथियारों से लैस सेना है. मैं कल सुबह एक वक्तव्य जारी करूंगा". अमेरिकी फेडरल एविएशन ने इराकी और ईरानी हवाई क्षेत्र में सभी अमेरिकी नागरिक विमानों की आवाजाही बंद कर दी है. इसका मतलब होगा कि अमेरिकी विमानों को लंबा रास्ता लेना होगा और ईंधन की खपत बढ़ेगी.
हमले के बाद भारत के विदेश मंत्रालय ने भारतीय नागरिकों के लिए इराक यात्रा से सम्बंधित एडवाइजरी जारी कर दी. मंत्रालय ने कहा, "इराक में मौजूदा हालात देखते हुए भारतीय नागरिकों को सलाह दी जाती है कि वो अगली अधिसूचना तक गैर जरूरी यात्रा पर इराक न जाएं. इराक में रहने वाले भारतीय नागरिकों को सलाह दी जाती है कि वे सचेत रहें और इराक के अंदर यात्रा न करें. उन सभी को हर प्रकार की सेवा देने के लिए बगदाद में हमारा दूतावास और एरबिल में हमारा कांसुलेट सामान्य रूप से कार्य करते रहेंगे".
अमेरिका ने ईरान के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए उसके विशेष सैन्य बल रेवोल्यूशनरी गार्ड को आतंकवादी संगठन घोषित किया है. चलिए जानते हैं कितने ताकतवर हैं ईरान के रेवोल्यूशनरी गार्ड्स.
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स्थापना
इस्लामिक रेवोल्यूशनरी गार्ड कोर की स्थापना ईरान में 1979 की इस्लामिक क्रांति के बाद हुई. इसका काम ईरान को आंतरिक और बाहरी खतरों से बचाना है.
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कितने फौजी
रेवोल्यूशनरी गार्ड सवा लाख लोगों की फौज है, जिसमें से लगभग 90 हजार सक्रिय सदस्य हैं. इस एलिट सैन्य बल के पास विदेशों में अभियान चलाने वाले कुद्स दस्ते भी हैं.
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समांतर सेना
इस्लामी क्रांति के बाद रेवोल्यूशनरी गार्ड को ईरान की सेना के समांतर एक संगठन के तौर पर खड़ा किया गया था क्योंकि उस वक्त सेना में बहुत से लोग सत्ता से बेदखल किए गए ईरानी शाह के वफादार माने जाते थे.
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विस्तार
शुरू में रेवोल्यूशनरी गार्ड ने एक घरेलू बल के तौर पर काम किया, लेकिन 1980 में जब सद्दाम हुसैन ने ईरान पर हमला किया तो इस सैन्य बल की ताकत में तेजी से विस्तार हुआ.
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सैन्य ताकत
हमले के वक्त ईरान के सर्वोच्च नेता अयातोल्लाह रोहल्लाह खोमेनी ने रेवोल्यूशनरी गार्ड को उनकी खुद की जमीन, नौसेना और वायुसेनाएं दे दीं. इससे उसकी ताकत बहुत बढ़ गई.
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राज्य के भीतर राज्य
कई आलोचक कहते हैं कि रेवोल्यूशनरी गार्ड्स अब ईरान में 'राज्य के भीतर एक और राज्य' बन गए हैं. उनके पास कई तरह की कानूनी, राजनीतिक और धार्मिक शक्तियां हैं.
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जबावदेही
वैसे ईरान के संविधान में रेवोल्यूशनरी गार्ड्स की भूमिका का उल्लेख किया गया है और उनकी जवाबदेही सिर्फ ईरान के सर्वोच्च नेता अयातोल्लाह अली खमेनेई के प्रति है.
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मिसाइल कार्यक्रम
रेवोल्यूशरी गार्ड की निगरानी में ही ईरान का बैलेस्टिक मिसाइल कार्यक्रम चलता है. पश्चिमी देशों के साथ परमाणु डील हो जाने के बाद भी उसने कई परीक्षण किए हैं.
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इस्राएल से दुश्मनी
रेवोल्यूशरी गार्ड की मिसाइलें इस्राएल तक पहुंच सकती हैं और मार्च 2016 में उसने जो बैलेस्टिक मिसाइल टेस्ट की, उस पर हिब्रू में लिखा था, "इस्राएल को साफ कर दिया जाना चाहिए."
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आर्थिक ताकत
ईरान की अर्थव्यवस्था में भी रेवोल्यूशनरी गार्ड्स का बहुत दखल है और उन पर स्मगलिंग के भी आरोप लगते हैं. ईरान के मौजूदा उदारवादी राष्ट्रपति हसन रोहानी रेवोल्यूशनरी गार्ड्स की ताकत कम करना चाहते हैं.
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ताकतवर कुद्स
विदेशों में अभियान चलाने वाले रेवोल्यूशनरी गार्ड के कुद्स दस्ते में 2000 से 5000 लोग शामिल हैं और इसकी स्थापना 1989 में ईरान के सर्वोच्च नेता खोमेनेई ने की थी.
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कौन हैं सहयोगी
मेजर जनरल कासेम सोलेमानी के नेतृत्व में कुद्स लेबनान में हिज्बोल्लाह और गाजा पट्टी में हमास के साथ मिल कर काम कर रहा है. इन दोनों संगठनों को ईरान की सरकार अपना सहयोगी मानती है.
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आतंकवादी संगठन
अमेरिका ईरान को आतंकवाद को प्रायोजित करने वाला देश मानता है. इसी के तहत रेवोल्यूशनरी गार्ड्स को उसने आतंकवादी संगठन घोषित किया है. ईरान का कहना है कि वह इस कदम का अपने तरीके से जबाव देगा.