ईरान के इसफहान प्रांत में महिलाओं के साइकिल चलाने पर रोक लगा दी गई है. ईरान में इस तरह की रोक पहले भी लगाई जाती रही है, लेकिन इस बार फतवा अभियोक्ता कार्यालय से आया है.
विज्ञापन
ईरानी समाचार एजेंसी ईरना ने कहा है कि प्रशासन ने महिलाओं के खुले आम साइकिल चलाने को प्रतिबंधित कार्रवाई बताया है और कहा है कि इसके लिए इस्लामी दंड संहिता के तहत कार्रवाई हो सकती है. समाचार एजेंसी के अनुसार अभियोक्ता अली एसफाहानी ने कहा है, "मुस्लिम विद्वानों की पुष्टि के अनुसार और कानून के आधार पर सार्वजनिक रूप से महिलाओं का साइकिल चलाना हराम है." पुलिस से साइकिल चलाती महिलाओं को चेतावनी देने के लिए कहा गया है. यदि वे प्रतिवाद करती हैं तो पुलिस उनका पहचान पत्र या कुछ मामलों में साइकिल जब्त कर सकती है. अभियोक्ता ने कहा है कि अपराध दोहराने की स्थिति में अभियुक्त इस्लामी सजा के हकदार होंगे.
दुनिया के कई दूसरे देशों की तरह ईरान में भी पर्यावरण के लिए बढ़ती जागरूकता के तहत लोगों में साइकिल के प्रति रुचि बढ़ रही है. गाड़ियों का इस्तेमाल करने के बदले लोग बड़े पैमाने पर साइकिल का इस्तेमाल कर रहे हैं जिनमें महिलाएं भी शामिल हैं. ईरान भी साइकिलों के बढ़ते चलन और महिलाओं में इसकी लोकप्रियता का अपवाद नहीं है.
2016 में ईरान की महिलाओं ने महिलाओं के साइकिल चलाने पर रोक लगाए जाने का विरोध किया था. बहुत सारी लड़कियों ने सोशल मीडिया पर अपनी साइकिल चलाने वाली तस्वीरें पोस्ट की थीं. इनमें से कई तस्वीरें और वीडियो सरकार की आलोचना करने वाली पत्रकार मसीह अलीनेजाद के फेसबुक पेज 'माय स्टेल्दी फ्रीडम' पर प्रकाशित की गई थी. मसीह ने अपने इंस्टाग्राम पेज पर भी अपनी तस्वीरें पोस्ट की थी.
उस समय देश के सर्वोच्च नेता अयातोल्लाह अल खमेनेई ने महिलाओं के साइकिल चलाने को गैर इस्लामिक बताया था. ईरानी मीडिया में छपी रिपोर्टों में खमेनेई ने कहा था कि महिलाओं का "साइकिल चलाना पुरुषों को आकर्षित करता है और समाज को भ्रष्टाचार की ओर ले जाता है, और इस तरह महिलाओं की शुचिता का हनन करता है, इसलिए इसे त्यागा जाना चाहिए."
दो साल पहले ईरान ने पश्चिम में लोकप्रिय जुम्बा एक्सरसाइज पर भी रोक लगा दी थी. अधिकारियों ने इस डांस को इस्लामी विचारधारा के खिलाफ घोषित कर दिया था. कोलंबियन स्टाइल का ये डांस पिछले सालों में दुनिया भर में लोकप्रिय हुआ है और दुनिया भर में जिम और स्पोर्ट सेंटर इसे ऑफर करते हैं.
ऐसे हुई ईरान में इस्लामिक क्रांति
शिया बहुल ईरान में कभी ऐसे शाह का शासन था जिन्हें जनता अमेरिका की कठपुतली मानने लगी. एक मौलवी ने इस आक्रोश का फायदा उठाया और 1979 में इस्लामिक क्रांति कर डाली.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/AFP/G. Duval
आक्रोश के बीज
ईरान की इस्लामी क्रांति के बीज कई मायनों में 1963 में पड़े. तत्कालीन शाह, मोहम्मद रजा शाह पहलवी ने श्वेत क्रांति का एलान किया. ये ऐसे आर्थिक और सामाजिक सुधार थे, जो ईरान के परंपरागत समाज को पश्चिमी मूल्यों की तरफ ले जाते थे. इनका विरोध होने लगा.
तस्वीर: picture-alliance/akg-images/H. Vassal
शाह के शाही ख्बाव
1973 में अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल के दामों में भारी गिरावट आई. इससे ईरान की आमदनी चरमरा गई. लोग संकट में फंसे थे और शाह श्वेत क्रांति के सफल होने के ख्बावों में. इसी दौरान मौलवियों के एक धड़े ने श्वेत क्रांति को इस्लाम पर चोट करार दिया.
तस्वीर: fanous.com
लोग जुटते गए
सितंबर 1978 में ईरान में मोहम्मद रजा शाह पहलवी के खिलाफ प्रदर्शन भड़क उठे. धीरे धीरे मौलवियों के समूह ने प्रदर्शनों का नेतृत्व संभाल लिया. मौलवियों को फ्रांस में रह रहे अयातोल्लाह खोमैनी से निर्देश मिल रहे थे.
तस्वीर: fanous.com
अमेरिका की कठपुतली
लोगों में मोहम्मद रजा शाह की नीतियों के प्रति बहुत आक्रोश था. आलोचक कहते थे कि शाह अमेरिका के इशारों पर नाच रहे थे. लोग इससे खीझ गए थे. शाह ने आक्रोश को शांत करने के बजाए प्रदर्शकारियों को दबाने के लिए मार्शल लॉ लागू कर दिया.
तस्वीर: picture-alliance/akg-images/H. Vassal
खूनी संघर्ष
जनवरी 1979 आते आते पूरे ईरान में हालात बिल्कुल गृह युद्ध जैसे हो गए. प्रदर्शनकारी, निर्वासन में रह रहे अयातोल्लाह खोमैनी की वापसी की मांग कर रहे थे. उस समय सेना उन पर गोलियां चला रही थी.
तस्वीर: akairan.com
भाग गए शाह
हालात बेकाबू हो गए. शाह को परिवार समेत ईरान से भागना पड़ा. लेकिन भागने से पहले शाह विपक्षी नेता शापोर बख्तियार को अंतरिम प्रधानमंत्री नियुक्त कर गए.
तस्वीर: akairan.com
खोमैनी की वापसी
शापोर बख्तियार ने अयातोल्ला खोमैनी को ईरान वापस लौटने की इजाजत दे दी. लेकिन उन्होंने यह शर्त रखी कि प्रधानमंत्री वही रहेंगे.
तस्वीर: bachehayeghalam.ir
लौट आए खोमैनी
बख्तियार से ग्रीन सिग्नल मिलते ही अयातोल्लाह खोमैनी ने 14 साल बाद फ्रांस के निर्वासन से देश वापस लौटने का एलान किया. यह तस्वीर 11 फरवरी 1979 को छपे कायहान अखबार की है.
तस्वीर: bachehayeghalam.ir
तेहरान में स्वागत
12 फरवरी 1979 को खोमैनी एयर फ्रांस की फ्लाइट में सवार होकर पेरिस से तेहरान के लिए निकले. विमान जब तेहरान में लैंड हुआ तो क्रांतिकारी धड़े के नेताओं ने खोमैनी का जोरदार स्वागत किया.
तस्वीर: akairan.com
खोमैनी का सीधा दखल
तेहरान में लोगों को संबोधित करते हुए खोमैनी ने कहा, "मैं सरकार का गठन करुंगा." तेहरान के बेहशत ए जाहरा में उनका भाषण को सुनने के लिए एक लाख से ज्यादा लोग जमा हुए थे.
तस्वीर: atraknews.com
समानान्तर सत्ता
खोमैनी ने लोगों से बख्तियार सरकार के खिलाफ प्रदर्शन जारी रखने की अपील की. इसी बीच 16 फरवरी को खोमैनी ने मेहदी बाजारगान को अंतरिम सरकार का नया प्रधानमंत्री घोषित कर दिया.
तस्वीर: akairan.com
प्रदर्शन का इस्लामीकरण
ईरान में दो प्रधानमंत्री हो गए. एक बख्तियार और दूसरे बाजारगान. बाजारगान के पीछे खोमैनी के साथ साथ बड़ा जन समर्थन था. धीरे धीरे खोमैनी ने प्रदर्शन को धार्मिक रंग दे दिया.
तस्वीर: akairan.com
सेना में फूट
इसी बीच खबर आई कि ईरान की वायुसेना खोमैनी के समर्थन में उतर गई है. 19 फरवरी 1979 को कायहान अखबार की इस तस्वीर में वायु सैनिक खोमैनी को सलाम करते दिख रहे हैं.
तस्वीर: Mehr
आपस में भिड़े सैनिक
20 फरवरी को तेहरान में एक निर्णायक घटना हुई. शाह के प्रति वफादारी दिखाने वाले इंपीरियल गार्ड के सैनिकों ने एयरफोर्स डिफेंस ट्रूप्स पर हमला कर दिया.
तस्वीर: akairan.com
ढह गया पुराना ढांचा
इसके बाद मार्च तक हिंसक झड़पें चलती रही. धीरे धीरे सेना भी हथियारबंद विद्रोहियों के साथ इमाम खोमैनी के समर्थन में झुकती चली गई.
तस्वीर: akairan.com
इस्लामिक ईरान के सर्वेसर्वा
अप्रैल 1979 में एक जनमत संग्रह के बाद इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान का एलान किया गया. सरकार चुनी गई और खोमैनी को देश का सर्वोच्च धार्मिक नेता घोषित किया गया. खोमैनी के उत्तराधिकारी अयातोल्लाह खमेनेई आज भी इसी भूमिका में हर सरकार से ऊपर हैं.