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ईरान के बाद चीन पर सुपरवेपन का हमला

१ अक्टूबर २०१०

हाल ही में ईरान पर हमला करने वाले कंप्यूटर वायरस ने अपना नया शिकार चीन को बनाया है. इस वायरस को दुनिया का पहला साइबर सुपरवेपन कहा जा रहा है. जानकार कहते हैं कि इसे ईरान की परमाणु योजनाओं के लिए बनाया गया.

तस्वीर: AP

चीन में इस वक्त यह वायरस कहर बरपा रहा है. इसने देश के लाखों कंप्यूटरों को अपनी गिरफ्त में ले लिया है. चीन के सरकारी मीडिया ने खबर दी है कि स्टुक्सनेट ने उद्योग जगत में खलबली मचा दी है. इस वायरस के जरिए हमलावर कंप्यूटर ही नहीं पंप, मोटर, अलार्म और वॉल्व तक को कब्जे में ले लेते हैं.

यह वायरस इतना ताकतवर है कि किसी फैक्ट्री के बॉयलर में धमाका करा सकता है या किसी परमाणु संयत्र को बिगाड़ सकता है. स्टुक्सनेट जर्मन कंपनी सीमंस के बनाए सिस्टम पर हमला करता है. ये उपकरण पानी की सप्लाई करने वाले उपकरणों को कंट्रोल करते हैं. वांग नाम के एक इंजीनियर ने ग्लोबल टाइम्स को बताया, "यह वायरस खासतौर पर संयंत्रों पर हमला करता है. यह निजी डाटा चुराने के बजाय ओद्यौगिक सिस्टम को निशाना बनाता है."

वांग बताते हैं कि एक बार स्टुक्सनेट चीन की फैक्ट्रियों के कंप्यूटर में घुस जाएगा तो उसके उद्योग बर्बाद हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि इससे चीन की राष्ट्रीय सुरक्षा को भी खतरा है. एक अन्य कंप्यूटर विशेषज्ञ अपना नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं कि अब तक यह वायरस देश में 60 लाख से ज्यादा कंप्यूटरों को अपनी गिरफ्त में ले चुका है. शिन्हुआ एजेंसी के मुताबिक एक हजार कंपनियों पर इसका हमला हो चुका है.

स्टुक्सनेट का पता सबसे पहले जून महीने में चला. भारत, पाकिस्तान और इंडोनेशिया के कंप्यूटरों पर इसका हमला हुआ. लेकिन इसका सबसे बडा़ शिकार ईरान बना है.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः ए कुमार

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