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ईरान को रूस से मिला एटमी ईंधन

शिवप्रसाद जोशी१७ दिसम्बर २००७

क्या फिर भड़केगी आग

युरेनियम संवर्द्धन जारी रखेगा ईरान
युरेनियम संवर्द्धन जारी रखेगा ईरानतस्वीर: AP

पश्चिमी देशों के भारी विरोध के बीच रूस ने ईरान को परमाणु ईंधन की पहली खेप भेज दी है। रूस का दावा है कि ईरान ने उसे दूसरे कामों में इसका इस्तेमाल न करने का भरोसा दिलाया है। ये खेप मिलने की पुष्टि करते हुए ईरान का कहना है कि पहले साल के लिए 82 टन ईंधन मंगाया गया है। उसका कहना है कि अपने एक एटमी ऊर्जा स्टेशन के लिए उसे इस ईंधन की ज़रूरत थी। लेकिन उसने युरेनियम संवर्द्धन न करने के आग्रह को एक बार फिर खारिज करते हुए कहा कि वो काम भी उसके देश के विकास के लिए ज़रूरी है। माना जा रहा है कि अब पश्चिमी देशों के साथ ईरान का टकराव तेज़ होगा।

ईरान के दक्षिण पश्चिम शहर बसहेर में रूसी कंपनी की मदद से तैयार किए जा रहे एटमी ऊर्जा स्टेशन के लिए रूस ने 82 टन ईंधन की पहली खेप भेज दी है। ईरानी अधिकारियों का कहना है कि अब स्टेशन चालू हो जाएगा और ये ईधन उसके पहले साल के लिए हैं। अगले छह महीनों में और खेप आएंगी। ईरान को मिले इस एटमी ईंधन से एक बार फिर अमेरिका और उसके दोस्त देशों की भृकुटियां तन गयी हैं। लेकिन रूस ने कहा है कि ईरान को एटमी हथियारों की दौड़ से अलग रखने के लिए इस तरह की मदद ज़रूरी हैं और इससे अपने स्तर पर युरेनियम संवर्द्धन करने के उसके इरादें ढीले पडेंगें। लेकिन अमेरिका और बाकी देशों को इस दलील में दम नज़र नहीं आता। उनका कहना है कि ईरान की एटमी महत्वाकांक्षा इससे और बढ़ेगी। अमेरिका तो अपनी खुफिया रिपोर्टे इस मुद्दे पर अलग होने के बावजूद ये मानने को कतई तैयार ही नहीं कि ईरान बम के लिए युरेनियम पर काम नहीं कर रहा है। राष्ट्रपति बुश पिछले दिनों ईरान को फिर धमका चुके हैं।

रूस का कहना है कि ईरान का बशहर परमाणु रिएक्टर अमेरिकी परमाणु ऊर्जा एजेंसी की निगरानी में चल रहा है। रूसी विदेश मंत्रालय ने एक बयान मे कहा कि गुणात्मक लिहाज़ से हालात बदले हैं और ईरान को अब वे कदम उठाने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए जिनकी उससे अपेक्षा की जा रही है। और वो इस मौके का इस्तेमाल युरेनियम संवर्द्धन के काम को बंद करने में करे। लेकिन ईरान ने कहा है कि संवर्द्धन रोकने की कोई बात रूस ने उससे नहीं की है। और उसके ईंधन का संयुक्त राष्ट्र के फ्रेमवर्क से कोई ताल्लुक नहीं है। ईरान की दलील है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण कार्यो के लिए हैं न कि बम बनाने के लिए। रूस से आया ईंधन लगता है अब पश्चिम के साथ उसकी परमाणु तकरार की आग को और हवा देगा।

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