जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल दो दिवसीय चीन दौरे पर हैं. यहां उन्होंने चीन के प्रधानमंत्री ली केचियांग से मुलाकात की. दोनों नेताओं ने अमेरिका के साथ चल रही कारोबारी खींचतान पर बात की. साथ ही ईरान डील पर प्रतिबद्धता जताई.
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प्रधानमंत्री ली केचियांग ने मुलाकात के बाद कहा, "चीन और जर्मनी के बीच रिश्ते धीरे-धीरे उच्च स्तर तक पहुंच रहे हैं. लेकिन आज दुनिया में आर्थिक और राजनीतिक समीकरण बेहद ही पेचीदा हो गए हैं." वहीं जर्मन चांसलर ने इस मुलाकात में अपनी पिछली सफल यात्राओं का जिक्र किया और दोनों देशों के बीच मानवीय मुद्दों से लेकर विज्ञान प्रौद्योगिकी जैसे मुद्दों पर नियमित चर्चा किए जाने पर बल दिया. अपने इस दौरे में मैर्केल चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी मुलाकात करेंगी.
चीन और भारत: जर्मनी के कौन कितना करीब
जब अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ मतभेद हों और भारत तथा चीन के प्रधानमंत्री दो दिन के अंदर जर्मनी में हों तो नये संबंधों की बात स्वाभाविक है. जी20 सम्मेलन से पहले चांसलर अंगेला मैर्केल वैश्विक मुद्दों पर सहमति ढूंढती दिखीं.
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पर्यावरण
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पर्यावरण सुरक्षा के मुद्दे पर कहा कि अगली पीढ़ी के लिए पर्यावरण को नष्ट करने का हमें अधिकार नहीं है. नैतिक रूप से यह अपराध है.
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पर्यावरण
चीनी प्रधानमंत्री ली केचियांग ने चांसलर को भरोसा दिलाया कि चीन पेरिस जलवायु समझौते पर कायम रहेगा. उन्होंने कहा कि टिकाऊ विकास और पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करना हमारे भी हित में है.
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अमेरिका की छाया
मोदी के साथ भेंट के बाद मैर्केल ने इस पर जोर दिया कि भारत या चीन के साथ संबंध ट्रांस अटलांटिक सहयोग की कीमत पर नहीं होंगे. इसके पहले मैर्केल ने यूरोप की अपनी जिम्मेदारी पर जोर दिया था.
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अमेरिका की छाया
पर्यावरण संधि पर अमेरिकी संशय के बाद चीन ने नेतृत्व की भूमिका स्वीकार ली है और यूरोप के साथ समझौते को कामयाब बनाने के लिए तैयार है. संधि होने से पहले वह अमेरिकी हिस्सेदारी की शर्त रख रहा था.
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मुक्त व्यापार
मैर्केल ने कहा कि उन्होंने बर्लिन में प्रधानमंत्री मोदी के साथ खुले बाजारों और मुक्त तथा न्यायोचित कारोबार के बारे में बातचीत की. भारत ईयू मुक्त व्यापार का मामला सालों से लटका है.
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मुक्त व्यापार
चीन और जर्मनी जल्द ही एक पूंजी निवेश सुरक्षा संधि पर दस्तखत चाहते हैं. चीन के प्रधानमंत्री ली केचियांग का कहना है कि यह मुक्त व्यापार समझौते का पूर्व चरण होगा.
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रिश्तों में विस्तार
मैर्केल मोदी मुलाकात में दोनों देशों के बीच संबंधों को बढ़ाने पर सहमति हुई. स्मार्ट सिटी, अक्षय ऊर्जा और सौर ऊर्जा पर सहयोग के लिए एक विकास कोष भी बनाया गया है.
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रिश्तों में विस्तार
जर्मनी और चीन के सरकार प्रमुखों ने अपनी बैठक में बढ़ती अनिश्तिता वाले वैश्विक माहौल में रिश्तों को बढ़ाने पर जोर दिया. ली ने कहा कि हम दोनों ही विश्व की स्थिरता में योगदान देने को तैयार हैं.
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आर्थिक सहयोग
भारत के साथ पिछले साल जर्मनी का सालाना कारोबार करीब साढ़े 17 अरब यूरो का है. इसमें करीब साढ़े 7 अरब का निर्यात भारत ने जर्मनी को किया. जर्मनी के वैश्विक कारोबार में भारत का स्थान 24वां है.
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आर्थिक सहयोग
चीन यूरोप से बाहर जर्मनी का सबसे बड़ा व्यापारिक सहयोगी है. दोनों देशों के बीच 2016 में 170 अरब यूरो का कारोबार हुआ. जर्मनी के वैश्विक सहयोगियों में उसका पांचवां स्थान है.
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प्रधानमंत्री ली केचियांग को संबोधित करते हुए मैर्केल ने यूरोपीय संघ के साथ चीन के रिश्तों को अहम बताया. साथ ही जर्मन सहयोग की पेशकश भी की. इसके अलावा दोनों नेताओं ने ईरान परमाणु डील को लेकर प्रतिबद्धता जताई. मैर्केल ने कहा, "यह समझौता सबसे अच्छा न हो लेकिन इस समझौते के विकल्प और भी अनिश्चित हैं." उन्होंने आगे कहा, "हो सकता है कि ईरान पर लगे प्रतिबंधों के चलते यूरोपीय कंपनियां ईरान के साथ कारोबार करने से कतराएं और इसका फायदा अन्य देशों को मिल सकता है."
दोनों नेताओं ने उत्तरी कोरिया पर भी बातचीत की. जर्मन चांसलर ने कहा कि वह कोरियाई प्रायद्वीप में परमाणु निरस्त्रीकरण की उम्मीद करती है. चीन के नेता ने भी कहा कि अमेरिका और उत्तर कोरिया दोनों के लिए जरूरी है कि वे सारे मसले शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाएं.
चौथी बार सरकार बनाने के बाद जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल का यह पहला चीन दौरा है. दोनों देशों के बीच करीब 190 अरब यूरो का कारोबार है. मैर्केल का यह दौरा कारोबार के लिहाज से बेहद ही अहम माना जा रहा है क्योंकि जर्मन कंपनियां चीन के बाजार में अपनी अच्छी पहुंच बनाना चाहती हैं. इसके साथ ही यूरोप में चीन के निवेश पर बढ़ती निगरानी को भी अहम माना जा रहा है.
टॉप 10 अर्थव्यवस्थाएं
2025 तक दुनिया का आर्थिक नक्शा बदल जाएगा. चीन, जापान और भारत जैसी विशाल अर्थव्यवस्थाओं के चलते वह विकास की धुरी बन जाएगा. जानिए इस वक्त कौन सा देश कहां खड़ा है और बाद में कहां होगा.
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1. अमेरिका
18,100 अरब डॉलर के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वाला अमेरिका आर्थिक रूप से दुनिया की महाशक्ति है. वैश्विक अर्थव्यवस्था में अमेरिका की हिस्सेदारी करीब 22.4 फीसदी है. अगले एक दशक तक अमेरिका के चोटी पर बने रहने का अनुमान है.
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2. चीन
11,200 अरब डॉलर जीडीपी वाला चीन दुनिया की दूसरी और एशिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. 1970 के दशक में औद्योगिकीकरण की शुरुआत के बाद चीन ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. चीनी अर्थव्यवस्था में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की हिस्सेदारी 45 फीसदी है.
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3. जापान
एशिया की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था जापान का सकल घरेलू उत्पाद 4,200 अरब डॉलर है. लेकिन 2008 की वैश्विक मंदी के बाद से जापान की अर्थव्यवस्था संघर्ष कर रही है. इलेक्ट्रॉनिक और इलेक्ट्रो मैकेनिकल प्रोडक्ट्स के लिए विख्यात जापान को अमेरिका और दक्षिण कोरिया से कड़ी टक्कर मिल रही है.
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4. जर्मनी
मशीन, वाहन, घरेलू मशीनरी और केमिकल उद्योग में धाक जमाने वाला जर्मनी चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था है. जर्मनी की जीडीपी 3,400 अरब डॉलर है. जर्मनी के पास कुशल कामगार हैं लेकिन देश युवाओं की कमी से जूझ रहा है. 2022 तक जर्मनी के फिसलकर छठे नंबर पर आने का अनुमान है.
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5. फ्रांस
फ्रांस दुनिया की पांचवीं और यूरोप की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था है. फ्रांस की जीडीपी 2,900 अरब डॉलर है. अनुमान है कि 2022 तक फ्रांस नौवें नबंर पर आ जाएगा. टैक्स नीति और यूरो संकट भी इसके लिए जिम्मेदार होंगे.
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6. ग्रेट ब्रिटेन
2,850 अरब डॉलर जीडीपी वाला ग्रेट ब्रिटेन छठी बड़ी अर्थव्यवस्था है. सर्विस और बैंकिंग सेक्टर ब्रिटिश अर्थव्यवस्था का मजबूत हिस्सा है. लेकिन अगले 10 साल में दूसरे देश ब्रिटेन से आगे निकल जाएंगे. देश आठवें नंबर पर होगा.
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7. भारत
2,300 अरब डॉलर के सकल घरेलू उत्पाद वाला भारत दुनिया की सातवीं बड़ी अर्थव्यवस्था है. 7.5 फीसदी विकास दर के साथ भारत इस वक्त दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है. 2022 तक भारत ग्रेट ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी को पीछे छोड़कर चौथे नंबर पर आ सकता है.
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8. ब्राजील
कुछ साल पहले तक ब्रिटेन से आगे रहने वाला ब्राजील आंतरिक परेशानियों और धीमी विकास दर से जूझ रहा है. ब्राजील की जीडीपी 1,900 अरब डॉलर है. फिलहाल ब्राजील का आर्थिक विकास ठंडा पड़ा है.
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9. इटली
1,800 अरब डॉलर की जीडीपी वाले इटली के लिए बीते 10 साल बेहद दुश्वार रहे हैं. वित्तीय संकट के चलते इटली काफी नीचे आया है.
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10. कनाडा
कनाडा की अर्थव्यवस्था 1,600 अरब डॉलर की है. पेट्रोलियम और खनिजों के लिए मशहूर कनाडा निवेशकों को नहीं लुभा पा रहा है.