'ईरान दुनिया की दूसरी बड़ी ताकत'
२० सितम्बर २०१०![](https://static.dw.com/image/2900293_800.webp)
अमेरिका में रह रहे ईरान के लोगों से मुखातिब होते हुए अहमदीनेजाद ने कहा "अब हर कोई यह महसूस कर रहा है कि दुनिया में सिर्फ दो ही प्रभावशाली ताकतें मौजूद हैं. ये हैं ईरान और अमेरिका. इसलिए विश्व का भविष्य इन दोनों मुल्कों के आपसी तालमेल पर निर्भर करता है."
इतना ही नहीं न्यूयॉर्क में अपनी बात को सही साबित करने के लिए उन्होंने यह भी कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में भी सभी को अमेरिका और ईरान के प्रतिनिधयों का भाषण सुनने की बेकरारी थी.
अमेरिका और ईरान के बीच पिछले कई सालों से राजनयिक संबंध टूटे हुए हैं. अहमदीनेजाद ने महासभा की बैठक में अमेरिकी राष्ट्रपति को आपसी मतभेदों पर खुली बहस की चुनौती दी लेकिन व्हाइट हाउस ने इसे अहमदीनेजाद की "शोसेबाजी" करार देकर खारिज कर दिया.
अहमदीनेजाद ने कहा कि अमेरिका बेशक दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक ताकत है लेकिन अफगानिस्तान और इराक में उसकी विफलता इसका सबूत है कि वह अंतरराष्ट्रीय मामलों को संभालने में सक्षम नहीं है. इसका कारण उन्होंने समझ की कमी बताया. लेकिन उन्होंने अमेरिका के उलट ईरान की शांति, मैत्री और न्याय की नीति का हवाला देते हुए कहा कि उनका देश दुनिया का नेतृत्व करने की क्षमता रखता है और इसे विश्व स्वीकार भी करेगा.
ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर विवाद के बारे में उन्होंने कहा कि यह सिर्फ अमेरिका का पूर्वाग्रह से ग्रसित बखेड़ा है क्योंकि अमेरिका को भरोसा था कि ईरान परमाणु शक्ति संपन्न हो ही नहीं सकता. पिछले साल महासभा की बैठक के दौरान अहमदीनेजाद का वक्तव्य शुरू होने से पहले कुछ पश्चिमी देशों के प्रतिनिधियों के बाहर जाने के बारे में ईरानी राष्ट्रपति ने कहा कि उन लोगों में इतनी सहनशक्ति नहीं है कि वे अभिव्यक्ति की आजादी को सहन कर सकें. उन्होंने कहा कि लंबे समय तक पश्चिम के देश कम सुनने वाले बड़बोले रहे हैं लेकिन अब स्थिति इसके विपरीत हो गई है.
रिपोर्टः डीपीए/निर्मल
संपादनः ओ सिंह