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ईरान पर छाया काला साया

७ जून २०१३

ईरान में चुनाव निष्पक्ष नहीं होते, फिर भी वे महत्वपूर्ण हैं. यह कहना है कि नोबेल शांति पुरस्कार विजेती शिरीन एबादी का. नतीजों से स्वतंत्र वे ईरानी जनता की लोकतांत्रिक क्षमता दिखाते हैं.

तस्वीर: picture alliance/dpa

14 जून को ईरान में अगले राष्ट्रपति चुनाव हो रहे हैं. केवल स्वतंत्र चुनावों के जरिए ही लोकतांत्रिक सुधार और बदलाव हो सकते हैं, लेकिन ईरान में चुनाव कतई स्वतंत्र नहीं हैं. अभिभावक परिषद एक ऐसी संस्था है जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया से नहीं चुना जाती, लेकिन वह चुनावों में काफी दखलंदाजी करती है. यह परिषद मामूली राजनीतिक आलोचना पर या निजी वजहों से भी संभावित उम्मीदवारों को चुनाव में हिस्सा लेने के अयोग्य करार देता है, अक्सर बिना कोई सफाई दिए. जैसा पिछली बार 2009 में राष्ट्रपति चुनावों के दौरान हुआ था. उस वक्त करीब 300 लोगों ने अपने आवेदन दिए थे लेकिन अभिभावक परिषद ने केवल चार को राष्ट्रपति पद के लिए खड़े होने की अनुमति दी. इनमें से एक राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद थे और बाकी पहले ईरानी सरकार में ऊंचे पदों पर रह चुके थे.

फिर भी ईरान की जनता ने चुनावों में हिस्सा लिया, कम से कम उन उम्मीदवारों को चुनने के लिए जिनके बारे में उनका मानना था कि वह उनके आदर्शों में सबसे खरा उतरता है. लेकिन मतों की गिनती खत्म होने से पहले ही अहमदीनेजाद को चुनावों का विजेता घोषित कर दिया गया. जनता ने इसके विरोध में शांतिपूर्वक प्रदर्शन किए. सरकार ने इसका जवाब गोलियों और गिरफ्तारियों से दिया. राष्ट्रपति पद के बाकी तीन उम्मीदवारों में से दो, सुधारवादी नेता मुसावी और कारूबी को बिना किसी कानूनी आधार और मुकदमे के गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें नजरबंद कर दिया गया.

बदलाव की क्षमता

ईरान पर इन घटनाओं का काला साया मंडरा रहा है. साथ ही देश पर आर्थिक पाबंदियां भी लगी हैं और देश भर में फैल रही गरीबी लोगों की जिंदगी और मुश्किल बना रही है.

इस राजनीतिक गतिरोध से निकलने का एकमात्र तरीका है कि सत्ता स्वतंत्र चुनावों से बनी सरकार को सौंप दी जाए, एक ऐसी सरकार जो अंतरराष्ट्रीय विवादों को खत्म करे, जो ईरान को अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अलगाव की स्थिति से बाहर लाए और जो मानवाधिकारों का और हनन न करे. इस मकसद तक पहुंचने में बहुत वक्त लगेगा लेकिन ईरान में बदलाव और सुधार की भारी क्षमता है. युवा ईरानी समाज, सशक्त नागरिक अभियान, महिला और मजदूर आंदोलन, यह सारे सामाजिक किरदार उपयुक्त परिस्थितियों में ईरान में आजादी और लोकतंत्र के लिए अच्छी पृष्ठभूमि बना सकते हैं.

शिरीन एबादी, अप्रैल 2013

एमजी/एमजे

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