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ईरान पर बेनजीता बैठक के बाद विकल्पों पर विचार

२३ जनवरी २०११

तुर्की के शहर इस्तांबुल में ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर बैठक बिना नतीजे के समाप्त होने के बाद अब विचार आगे की रणनीति पर हो रहा है. अमेरिका सहित अन्य देश ईरान पर दबाव डालने के लिए नए प्रतिबंधों पर विचार कर रहे हैं.

तस्वीर: AP

यूरोपीय संघ की विदेश नीति प्रमुख कैथरीन एश्टन ने बताया कि ईरान के साथ अगले दौर की बातचीत अभी तय नहीं है. "हम परमाणु मुद्दे पर वार्ता को आगे बढ़ाना चाहते थे ताकि व्यवहारिक कदम उठाए जा सकें. ऐसा करने की हमने काफी कोशिश की लेकिन मुझे निराशा हो रही है कि ऐसा नहीं हो पाया." ईरान के साथ बातचीत में ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, रूस, अमेरिका और जर्मनी शामिल रहे. इन 6 देशों का कहना है कि ईरान ने उन आशंकाओं को दूर करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया है जिससे पता चलता हो कि वह परमाणु बम नहीं बना रहा है.

निराशा लगी हाथ

लंदन में ब्रिटेन के विदेश मंत्री विलियम हेग ने कहा कि ईरान के साथ बातचीत का नतीजा नहीं निकल पाने से उन्हें बेहद निराशा हुई है. कैथरीन एश्टन के मुताबिक फिलहाल विराम लेने का समय है और भविष्य में वार्ताओं का दरवाजा हमेशा खुला रहेगा. एक अमेरिकी राजनयिक ने भी इसका समर्थन किया है. नाम न बताने की शर्त पर राजनयिक ने कहा कि ईरान पर प्रतिबंधों का फायदा हुआ है. ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम की रफ्तार धीमी पड़ी है, इसलिए कूटनीति के लिए समय है.

हालांकि ईरान के परमाणु कार्यक्रम की गति कम होने की एक वजह कंप्यूटर वायरस स्टक्सनेट भी है जिसने ईरान यूरेनियम संवर्धन कर रहे प्रतिष्ठान को पिछले साल नवंबर में निशाना बनाया. इस्राएल ने कहा है कि सायबर हमले से ईरान की परमाणु बम बनाने की योजना को झटका लगा है और कार्यक्रम कई साल पीछे चला गया है. हालांकि ईरान परमाणु बम की महत्वाकांक्षाओ को खारिज करता रहा है. गुरुवार को ईरान कह चुका है कि इस कंप्यूटर वायरस का उसके परमाणु कार्यक्रम पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा.

ईरान को मोहलत

अमेरिका के अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक स्टक्सनेट वायरस के पीछे अमेरिका और इस्राएल का हाथ है. ईरान मामलों के जानकार और पेरिस में फाउंडेशन फॉर स्ट्रेटिजिक रिसर्च से जुड़े ब्रूनो टर्टराइस का मानना है कि अमेरिका अब ईरान को मोहलत देने की स्थिति में है. पिछले साल गर्मियों से ईरान को प्रतिबंधों की आंच महसूस हो रही है और उसके परमाणु कार्यक्रम के खिलाफ अभियान चलाए गए हैं.

तेहरान में ईरान अध्ययन केंद्र के प्रमुख मोहम्मद सालेह के मुताबिक अभी यह कहना मुश्किल है कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम का भविष्य क्या होगा क्योंकि यह कई बातों पर निर्भर करता है. एक ओर ईरानी संसद है जो सरकार को दुनिया की ताकतों से बातचीत न करने के लिए कह चुकी है. दूसरी ओर अमेरिका है जो नए प्रतिबंध लगा सकता है जिससे ईरान का रुख और कड़ा हो जाएगा. न्यूयॉर्क टाइम्स अखबार का कहना है कि राष्ट्रपति बराक ओबामा पर दबाव बढ़ रहा है कि वह ईरान के खिलाफ और प्रतिबंध लगाएं.

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़

संपादन: ए कुमार

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