ईरान वाले प्रस्ताव पर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप का वीटो
७ मई २०२०अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने अमेरिकी कांग्रेस के ईरान के साथ युद्ध पर फैसला लेने की राष्ट्रपति की शक्ति को सीमित करने के फैसले पर वीटो कर दिया है. व्हाइट हाउस की तरफ से एक बयान जारी कर इसके बारे में जानकारी दी गई. अमेरिकी कांग्रेस के दोनों सदनों से पास हुए इस प्रस्ताव का नाम एसजे 68 था. अमेरिकी सीनेट में ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी के ज्यादा सदस्य होने के बावजूद भी यह प्रस्ताव पास हो गया था. हाउस ऑफ रिप्रेंजेटेटिव में विपक्षी डेमोक्रैट्स पार्टी के सदस्य रिपब्लिकन से ज्यादा हैं, ऐसे में वहां यह प्रस्ताव पास होना ही था.
इस पर ट्रंप की ओर से जारी बयान में कहा गया, "आज मैंने प्रस्ताव एसजे 68 पर वीटो कर दिया है. यह प्रस्ताव ईरान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई के लिए राष्ट्रपति की क्षमताओं की सीमित करता है. यह बहुत अपमानजनक प्रस्ताव है जिसे डेमोक्रैट्स राष्ट्रपति चुनाव जीतने के लिए लाए हैं. चुनाव जीतने के लिए वे रिपब्लिकन पार्टी को तोड़ने की भी कोशिश कर रहे हैं. कुछ रिपब्लिकंस ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन कर उनके हाथों में खेलने का काम किया. यह प्रस्ताव तथ्यों और कानून की गलत समझ पर आधारित था."
ट्रंप का कहना है कि अमेरिका ईरान के खिलाफ किसी भी तरह की शक्ति का इस्तेमाल नहीं कर रहा है. कासिम सुलेमानी को मारने के फैसले को भी न्यायोचित करार देते हुए उन्होंने कहा कि उसका फैसला संविधान के अनुच्छेद 2 और ऑथोराइजेशन फॉर यूज ऑफ मिलिट्री फोर्स अगेंस्ट इराक रेजोल्यूशन, 2002 के तहत लिया गया था. सुलेमानी को तब मारा गया जब वो इराक में थे. ट्रंप ने कहा कि इस तरह के प्रस्ताव अमेरिकी राष्ट्रपति की किसी आगामी खतरे पर एक्शन लेने की क्षमता को कम करते हैं इसीलिए वह इस पर वीटो कर रहे हैं.
2020 की शुरुआत में ईरान और अमेरिका के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया था. जनवरी की शुरुआत में ईरानी सेना की कुद्स फोर्स के चीफ कासिम सुलेमानी को अमेरिका ने इराक में एक ड्रोन हमले में मार दिया था. इसके जवाब में ईरान ने इराक में स्थित अमेरिकी सैन्य अड्डों पर मिसाइलें दागी थीं. ईरान ने इस कार्रवाई में सैकड़ों अमेरिकी सैनिकों के मारे जाने का दावा किया था. हालांकि अमेरिका ने बताया कि इस कार्रवाई में कुछ सैनिक घायल हुए लेकिन किसी की जान नहीं गई. महीनों तक बनी रही युद्ध की आशंका के बीच दोनों देशों ने युद्ध की आशंका से अपने आप को पीछे कर लिया.
ईरान के साथ तनाव बढ़ने के बाद फरवरी में अमेरिकी संसद यानी कांग्रेस के ऊपरी सदन सीनेट में राष्ट्रपति ट्रंप के ईरान पर हमला करने की शक्ति पर रोक लगाने का प्रस्ताव लाया गया. इस प्रस्ताव में बिना कांग्रेस की मंजूरी के ईरान पर हमला करने पर रोक लगाई गई. सीनेट के 100 सदस्यों में ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी के 53 सदस्य हैं. लेकिन रिपब्लिकन पार्टी के कुछ सदस्यों ने इस प्रस्ताव के समर्थन में वोट कर ट्रंप की मुश्किलें बढ़ा दीं. यह प्रस्ताव 55-45 से पास हो गया. निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रेंजेटेटिव में डेमोक्रैट्स की संख्या रिपब्लिकन से ज्यादा है. वहां 435 सदस्यों वाले सदन में 227-186 मतों से यह प्रस्ताव पास हो गया. यहां भी कुछ रिपब्लिकन ने डेमोक्रैट्स का साथ दिया.
ट्रंप के वीटो के बाद अब सीनेट वीटो को ओवररूल करने का प्रस्ताव लेकर आ सकती है. हालांकि सीनेट में रिपब्लिकन का बहुमत है. ऐसे में इस प्रस्ताव के पास हो जाने की संभावना कम होती है. अमेरिका में इस साल 3 नवंबर को राष्ट्रपति चुनाव होना है. ऐसे में रिपब्लिकन पार्टी ऐसे किसी प्रस्ताव का समर्थन कर अपनी स्थिति कमजोर नहीं करना चाहेगी. कई राजनीतिक जानकारों का मानना है कि ये मामला सुप्रीम कोर्ट में भी जा सकता है जहां इस बात की संवैधानिकता की चर्चा होगी कि सैन्य कार्रवाई को लेकर राष्ट्रपति को कांग्रेस की अनुमति लेने की जरूरत होगी या नहीं.
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