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ईरान मुद्दे पर ब्रिक्स का दखल

२९ मार्च २०१२

ईरान के परमाणु कार्यक्रम के मुद्दे पर विकासशील देशों के सबसे बड़े संगठन ने दखल दिया है और कहा है कि किसी भी तरह की हिंसा इस मामले को और गंभीर करेगी. ब्रिक्स देशों का कहना है कि इसे सिर्फ बातचीत से ही सुलझाया जा सकता है.

तस्वीर: Reuters

ब्रिक्स देशों के शिखर सम्मलेन में भारत, रूस, चीन, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका के नेताओं ने भारतीय राजधानी नई दिल्ली में सीरिया की स्थिति पर भी चिंता जताई. ब्रिक्स ने जो घोषणापत्र जारी किया, उसमें ईरान के मुद्दे का खास तौर पर जिक्र है, "ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर जो स्थिति पैदा हो रही है, हम उसे लेकर चिंतित हैं."

घोषणापत्र में कहा गया, "ईरान की स्थिति को किसी हिंसक संघर्ष के तौर पर नहीं बढ़ने दिया जा सकता क्योंकि इसका सिर्फ घातक परिणाम ही निकलेगा." ब्रिक्स देशों ने कहा कि ईरान को शांतिपूर्ण परमाणु ऊर्जा तैयार करने की इजाजत होनी चाहिए.

दिल्ली में भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, रूस के दिमित्री मेद्वेदेव, ब्राजील की राष्ट्रपति डिल्मा रूसेफ, चीन के राष्ट्रपति हू जिन्ताओ और दक्षिण अफ्रीका के जैकब जूमा की बैठक के बाद कहा गया कि ईरान के मुद्दे पर सिर्फ बातचीत ही रास्ता हो सकता है और इसमें अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी आईएईए को भी शामिल किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, "शांतिपूर्ण विकास में ईरान बड़ी भूमिका निभा सकता है. हम चाहते हैं कि ईरान वैश्विक समुदाय के एक जिम्मेदार राष्ट्र के तौर पर अपनी जिम्मेदारियों को निभाए."

तस्वीर: Reuters

सीरिया के मुद्दे पर ब्रिक्स देशों ने कहा, "दुनिया की भलाई इसी में है कि इस मुद्दो को शांतिपूर्ण तरीके से निपटाया जाए. इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर बातचीत होनी चाहिए, जिसमें सीरिया के बड़े तबके का प्रतिनिधित्व हो. हमें सीरिया की आजादी और संप्रभुता का सम्मान करना चाहिए. हम एक राजनीतिक हल चाहते हैं औऱ इस दिशा में संयुक्त राष्ट्र और अरब लीग की पहल का स्वागत करते हैं."

रूसी राष्ट्रपति ने साफ शब्दों में कहा कि सीरिया में किसी तरह का बाहरी दखल नहीं होना चाहिए क्योंकि सैनिक कार्रवाई से सिर्फ नाकामी का ही अंदेशा रहता है. ब्राजीली राष्ट्रपति ने भी सैनिक कार्रवाई का विरोध किया. हाल ही में चीन और रूस ने सीरिया पर लाए गए संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव के खिलाफ वीटो कर दिया था. हालांकि ब्रिक्स के सदस्य देश भारत ने पश्चिमी देशों का साथ देते हुए प्रस्ताव का समर्थन किया था.

रिपोर्टः एएफपी, पीटीआई/ए जमाल

संपादनः एन रंजन

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