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समाज

ईरान में खामेनेई के सिंहासन को चुनौती

२ जनवरी २०१८

ईरान में सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातुल्लाह खामेनेई को राष्ट्रपति से ज्यादा ताकतवर माना जाता है. लेकिन अब खामेनेई की मौत के नारे लग रहे हैं. क्या 39 साल बाद ईरान नई क्रांति के लिए तैयार हो रहा है?

Ayatollah Khamenei und Hassan Rohani
तस्वीर: picture-alliance/dpa

मध्य ईरान के इश्फाहन प्रांत में बीते साल 27,000 लोगों की नौकरी गई. मार्च से दिसंबर 2017 के बीच वहां सैकड़ों कंपनियां बर्बाद हो गईं. अधिकारी चेतावनी दे चुके थे कि बेरोजगारी के चलते इश्फाहन में हालात बिगड़ते जा रहे हैं. लेकिन स्थिति बदत्तर होती चली गई. धीरे धीरे देश के दूसरे हिस्सों में भी बेरोजगारी बड़ा संकट बन गई. 28 दिसंबर को इश्फाहन में धार्मिक नेताओं और सरकार के खिलाफ प्रदर्शन शुरू हुए. अब देश का ज्यादातर हिस्सा इन प्रदर्शनों में शरीक हो चुका है. अब तक 21 लोग मारे जा चुके हैं और 450 गिरफ्तार हो चुके हैं. गिरफ्तार होने वालों में ज्यादातर 30 साल से कम उम्र के युवा हैं.

ईरान के सरकारी टेलिविजन के मुताबिक इश्फाहन प्रांत में ही नौ लोग मारे जा चुके हैं. प्रांत के काहदेरिजान शहर में सोमवार शाम प्रदर्शनकारियों ने पुलिस स्टेशन पर हमला किया, जिसके बाद भारी हिंसा हुई. मृतकों में ईरानी सेना रिवोल्यूशनरी गार्ड का एक जवान और एक पुलिसकर्मी भी शामिल हैं. 2009 के बाद यह सबसे बड़ा देशव्यापी प्रदर्शन है. राजधानी तेहरान में भारी संख्या में पुलिस की तैनाती के चलते प्रदर्शन दब सा गया है, लेकिन देश के दूसरे शहरों में हालात अब भी गंभीर बने हुए हैं.

ईरान में सत्ता का समीकरण

प्रदर्शनकारियों का गुस्सा मंजूर है, लेकिन हिंसा नहीं: ईरानी राष्ट्रपति

"बदलाव का वक्त"

राष्ट्रपति हसन रोहानी के बयान के बाद लोगों का गुस्सा और बढ़ गया है. रोहानी कह चुके हैं कि "दंगाइयों और कानून तोड़ने वालों" से देश जरूर निपटेगा. ईरान की शीर्ष नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के सचिव अली शामखानी प्रदर्शनों को "ईरान के लोगों के खिलाफ अपरोक्ष युद्ध" बता रहे हैं. स्थानीय मीडिया से बात करते हुए शामखानी ने कहा, "ईरान के हालात पर अमेरिका, ब्रिटेन और सऊदी अरब से हैशटैग और मैसेज आ रहे हैं." इंटेलिजेंस मंत्रालय ने भी प्रदर्शनकारियों के साथ सख्ती से निपटने का एलान किया है.

संदिग्ध परमाणु कार्यक्रम के चलते प्रतिबंध झेल रहे ईरान पर अगर नए प्रतिबंध लगे तो सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातुल्लाह अली खामेनेई और राष्ट्रपति हसन रोहानी के लिए संकट और बढ़ जाएगा. अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के मुताबिक ईरान में अब "बदलाव का वक्त" आ चुका है, लोग आजादी के "भूखे" हैं. यूरोपीय संघ भी ईरान के हालात पर नजर बनाए हुए हैं.

तेहरान यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मोहम्मद मारांदी के मुताबिक, "ईरान के लोग अव्यवस्था से नाराज हैं, लेकिन वे यह भी जानते हैं कि अमेरिका और उसके सहयोगियों के चलते प्रशासन बहुत कुछ नहीं कर पा रहा है." मरांदी कहते हैं कि प्रदर्शनकारी भी अलग अलग किस्म के हैं. कुछ सरकार विरोधी हैं, कुछ खामेनेई विरोधी तो कुछ देश की विदेश नीति के खिलाफ नारे लगा रहे हैं. मैसेजिंग ऐप और सोशल मीडिया नेटवर्क ब्लॉक करने के बावजूद सरकार विरोधी प्रदर्शनों के नए वीडियो भी सामने आ रहे हैं. इस बीच कुछ शहरों में सरकार के समर्थन में भी मार्च निकाले जा रहे हैं.

40 फीसदी युवा बेरोजगार 

2013 में अर्थव्यवस्था को बेहतर करने का नारा देकर पहली बार सत्ता में आए हसन रोहानी नौकरियां पैदा करने और बचाए रखने में असफल साबित हो रहे हैं. ईरान में इस वक्त 12 फीसदी बेरोजगारी है. बाजार में महंगाई है और बेरोजगारों के पास आम जरूरतें पूरी करने के लिए पैसा तक नहीं है. सबसे ज्यादा मार युवाओं पर पड़ी है. विश्लेषकों के मुताबिक 40 फीसदी युवा बेरोजगार हैं. आठ करोड़ की जनसंख्या वाले ईरान की आधी आबादी 30 साल से कम उम्र की है. देश के ग्रामीण इलाकों में हालात सबसे ज्यादा बुरे हैं. ईरान में देहाती इलाकों को हमेशा सत्ता को समर्थन देने वाले इलाकों के रूप में जाना जाता था, लेकिन इस बार प्रदर्शन वहीं से भड़के हैं.

रोहानी की अपील के बावजूद ईरान में विरोध प्रदर्शन जारी

35 साल की सरिता मोहम्मदी तेहरान में टीचर हैं. सरिता कहती हैं, "लोग बहुत झेल चुके हैं, खास तौर पर युवा. उनके पास खुश होने का कारण नहीं है. प्रांतों में हालात और बुरे हैं. खेती बर्बाद हो चुकी है. मैं कई ऐसे लोगों को जानती हूं जो उत्तरी इलाकों को छोड़कर काम की तलाश में तेहरान आए हैं." राष्ट्रपति हसन रोहानी भी मान रहे हैं कि बेरोजगारी बड़ी समस्या बन चुकी हैं. रविवार को शांति की अपील के दौरान रोहानी ने इस पर बात भी की.

1979 की इस्लामिक क्रांति से अयातुल्लाह अली खामेनेई ने ईरान में जो ताकत हासिल की थी, वह दांव पर हैं. जिस ईरान में कभी खामनेई के एक इशारे पर जन सैलाब उमड़ पड़ता था, वहां अब "रोहानी को मौत, तानाशाह को मौत" के नारे लग रहे हैं. खामेनेई को तानाशाह बताया जा रहा है.

ओएसजे/आईबी (एएफपी, डीपीए)

 

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