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ईरान में नए कानून को मंजूरी और रोहानी की मुश्किल

३ दिसम्बर २०२०

ईरान में यूरेनियम संवर्धन को 20 फीसदी तक ले जाने के लिए कानून को मंजूरी मिल गई है. उधर जो बाइडेन ने ईरान के साथ परमाणु समझौते में वापसी के संकेत दिए हैं. इन दोनों घटनाओं के बीच ईरान के राष्ट्रपति की मुश्किलें बढ़ गई है.

Iran Parlament
तस्वीर: Fatemeh Bahrami/AA/picture alliance

ईरान के गार्जियन काउंसिल ने बुधवार को संसद के एक नए कानून को मंजूरी दे दी. यह कानून सरकार के लिए परमाणु केंद्रों की संयुक्त राष्ट्र निगरानी को रोकने और यूरेनियम का संवर्धन 2015 में हुए परमाणु करार के स्तर से ऊपर ले जाने को जरूरी कर देगा. इन कदमों को लागू नहीं करने की एक ही सूरत है कि दो महीने के भीतर ईरान को प्रतिबंधों से छूट मिले.

बाइडेन ने ईरान के साथ समझौते में वापसी के संकेत दिए.तस्वीर: Stephanie Carter/dpa/picture alliance

पिछले हफ्ते ईरान के प्रमुख परमाणु वैज्ञानिक की हत्या कर दी गई थी. ईरान ने इस हत्या का आरोप इस्राएल पर लगाया है. ईरान की संसद में कट्टरपंथी बहुत तादाद में हैं और उन्होंने इस कानून को मंगलवार को मंजूरी दे दी. हालांकि राष्ट्रपति हसन रोहानी ने इस कानून का विरोध किया है. देश के सर्वोच्च नेता अयातोल्लाह अली खमेनेई की तरफ से इस पर फिलहाल कोई बयान नहीं आया है. आमतौर पर सरकार के मामले में आखिरी फैसला सर्वोच्च नेता ही लेते हैं.

ईरान में गार्जियन काउंसिल एक संवैधानिक संस्था है जो यह सुनिश्चित करती है कि किसी कानून का प्रारूप शिया इस्लामिक कानूनों और ईरान के संविधान का उल्लंघन नहीं करता. ईरान के अर्धसरकारी समाचार एजेंसी ने खबर दी है, "आज एक पत्र में संसद के अध्यक्ष ने आधिकारिक रूप से राष्ट्रपति को नया कानून लागू करने के लिए कहा है."

नए कानून के तहत ईरान यूरोपीय पक्षों को ईरान के तेल और वित्तीय क्षेत्र में लगे प्रतिबंधों को हटाने के लिए दो महीने का समय दे रहा है. 2018 में अमेरिका के परमाणु करार से बाहर निकलने के बाद उस पर यह प्रतिबंध लगाए गए थे. अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के "अत्यधिक दबाव" की नीति के जवाब में ईरान ने करार की शर्तों से धीरे धीरे बाहर निकलना शुरू कर दिया.

ईरान के लिए क्या थे मोहसेन फखरीजादेह

06:04

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ईरान के कट्टरपंथी सांसदों के बनाए नए कानून के बाद अमेरिका की सत्ता संभालने जा रहे जो बाइडेन के लिए करार में वापसी मुश्किल हो जाएगी. अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति बाइडेन ने संकेत दिए हैं कि अगर ईरान परमाणु करार की शर्तों का कड़ाई से पालन करता है तो प्रतिबंध हटाए जाएंगे और अमेरिका समझौते में वापस आ जाएगा. चुनाव जीतने के बाद ईरान पर जो बाइडेन का यह सबसे बड़ा बयान है.

न्यूयॉर्क टाइम्स को दिए इंटरव्यू में जो बाइडेन ने कहा कि वो अब भी 2015 की करार का समर्थन करते हैं. बाइडेन ने कहा, "यह मुश्किल होगा" लेकिन अगर ईरान शर्तों का पालन करता है तो अमेरिका समझौते में वापसी करेगा. बाइडेन का कहना है कि अमेरिका की सबसे बड़ी प्राथमिकता ईरानी परमाणु हथियार को रोकना है. बाइडेन ने कहा, "दुनिया के उस हिस्से में परमाणु हथियार की क्षमता को बनने से रोकना हमारे लिए सबसे पहले जरूरी है."

ईरान के परमाणु वैज्ञानिक होसेन फखरीजादेह की शुक्रवार को हत्या कर दी गई.तस्वीर: Massoud Nozari/REUTERS

बाइडेन के  मुताबिक समझौते में वापसी के बाद सहयोगी देशों से बातचीत के आधार पर वो समझौते के बाद की चीजों में ईरान की परमाणु क्षमता और मिसाइल कार्यक्रम को रोकने की योजनाओं में सख्ती लाएंगे. बाइडेन ने कहा कि वे इराक, यमन, लेबनान और सीरिया में सत्ता में शामिल चरमपंथियों को ईरानी समर्थन पर अमेरिकी चिंता को भी दूर करने की कोशिश करेंगे.

अमेरिका के समझौते में वापस आने पर निश्चित रूप से अमेरिका के साथ ही यूरोपीय देशों को भी राहत मिलेगी. यूरोपीय देशों का मानना है कि ट्रंप के समझौते से निकलने की घोषणा के पहले तक ईरान शर्तों का पालन कर रहा था. हालांकि इस समझौते का सबसे बड़ा विरोधी इस्राएल है. बीते शुक्रवार को ईरान के शीर्ष परमाणु वैज्ञानिक होसेन फखरीजादेह की हत्या के पीछे संदेह की सारी सुइयां इस्राएल की तरफ ही जा रही हैं. इस्राएल मानता है कि ईरान चुपके चुपके परमाणु हथियार विकसित कर रहा है और इसे रोकने के लिए वह कुछ भी करने पर अमादा है. वह ईरान के साथ परमाणु करार को हथियार बनाने के लिए समय हासिल करने की ईरानी तरकीब मानता है.

ईरान के राष्ट्रपति हसन रोहानी इस परमाणु करार के प्रमुख योजनाकार थे. नया कानून बनने के बाद से उनके लिए स्थिति को संभालना मुश्किल हो जाएगा. रोहानी ने संसद के इस कदम की आलोचना की है. उन्होंने इसे अमेरिकी प्रतिबंधों को हटाने की दिशा में "कूटनीतिक कोशिशों के लिए नुकसानदेह" बताया है. रोहानी ने सरकारी टीवी चैनल पर कहा है, "संसद में हमारे भाइयों को जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं करना चाहिए... जो कूटनीति के बारे में जानते हैं उन्हें इस मुद्दे से थोड़ी परिपक्वता, शांति और ध्यान के साथ निबटना चाहिए." 

तस्वीर: Isna

नए कानून के तहत सरकार यूरेनियम का संवर्धन 20 फीसदी तक दोबारा शुरू कर सकती है और उन्नत सेंट्रीफ्यूजों को नतांज और फोर्दो के रिएक्टरों में स्थापित कर सकती है. परमाणु करार के तहत ईरान संवर्धन की सीमा को 3.67 फीसदी तक ही रख सकता है जो वह करार के पहले 20 फीसदी तक करने में सक्षम हो गया था. परमाणु हथियारों के लिए 90 फीसदी संवर्धित यूरेनियम की जरूरत होती है. ईरान जुलाई 2019 में संवर्धन की सीमा को 3.67 फीसदी के पार ले गया और तब से इसे 4.5 फीसदी की सीमा पर बनाए हुए है. यूरोप संघ के सदस्य फ्रांस और जर्मनी ईरान के साथ हुए समझौते का हिस्सा हैं और वो ईरान से समझौते की शर्तों पर बने रहने का अनुरोध कर रहे हैं.

एनआर/एमजे (रॉयटर्स, एएफपी)

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