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ईरान में राष्ट्रपति चुनाव

१४ जून २०१३

ईरान में आज चुनाव हैं. आठ सालों से सत्ता पर काबिज महमूद अहमदीनेजाद की जगह लेने वाले का नाम इस चुनाव से तय होगा. तीसरी बार सत्ता उन्हें नहीं मिल सकती इसलिए अहमदीनेजाद को हटना होगा.

तस्वीर: Reuters

ईरान के कुल 5.05 करोड़ वोटर अपने देश के लिए नए नेता का चुनाव कर रहे हैं. आधिकारिक रूप से चुनाव शुरू होने के ठीक 24 घंटे पहले चुनाव प्रचार बंद कर दिया गया. चुनाव सुबह आठ बजे शुरू हो कर शाम छह बजे तक चलेंगे. वैसे पिछले चुनावों में कई बार वोट डालना बंद करने का समय आगे भी बढ़ाया गया है. शनिवार सुबह से नतीजों के रुझान मिलने शुरू हो जाएंगे. जीतने के लिए उम्मीदवार को कुल डाले गए वोट का 50 फीसदी और एक वोट हासिल करना जरूरी है. अगर किसी उम्मीदवार को इतने वोट नहीं मिल सके तो सबसे ज्यादा वोट पाने वाले दो उम्मीदवारों के बीच किसी एक को चुनने के लिए 21 जून को दोबारा मतदान होगा.

ईरान में सत्ता (डॉयचे वेले की खास पेशकश) की कुर्सी के लिए छह दावेदार मैदान में हैं. इनमें चार उम्मीदवार रुढ़िवादी हैं जबकि एक कट्टरपंथी और एक उम्मीदवार नरमपंथी है. इन उम्मीदवारों में मुल्ला हसन रोहानी के नरमपंथी उम्मीदवार के रूप में सबसे आगे चलने की बात कही जा रही है, क्योंकि सुधारों की वकालत करने वाले एक और उम्मीदवार मंगलवार को राष्ट्रपति की दौड़ से बाहर हो गए. रोहानी के समर्थन में दो पूर्व राष्ट्रपति आगे आए हैं, अकबर हाशेमी रफसंजानी और मोहम्मद खतामी. इन दोनों पूर्व राष्ट्रपतियों की छवि सुधारवादी नेता की रही है. यह भी कहा जा रहा है कि इस्लामिक रिपब्लिक के संस्थापक अयातुल्लाह खोमैनी के पोते हसन खोमैनी भी रोहानी को समर्थन दे रहे हैं.

रुढ़िवादी उम्मीदवार अब भी एक दूसरे को चुनौती दे रहे हैं. वैसे इनमें सबसे ज्यादा सख्त नेता शीर्ष परमाणु वार्ताकार सईद जलील को माना जा रहा है. अगर जलील राष्ट्रपति बनते हैं तो शायद अंतरराष्ट्रीय ताकतों के साथ परमाणु ऊर्जा पर बातचीत में ईरान का रुख कुछ नरम हो सकता है. राष्ट्रपति ईरान की विदेश नीति के सुर भी बदल सकते हैं. हालांकि अंतरराष्ट्रीय ताकतों को ईरान पर प्रतिबंध लगाने से न रोक पाने के लिए उनकी काफी आलोचना भी होती है.

दूसरे रुढ़िवादी उम्मीदवारों ने ईरान की मौजूदा नीतियों से ज्यादा असहमति तो नहीं जताई है लेकिन कहा है कि वो घरेलू नीतियों में ज्यादा से ज्यादा लोगों की इच्छा को शामिल करेंगे जबकि विदेश नीति में और ज्यादा सख्ती लाएंगे. पूर्व विदेश मंत्री अली अकबर विलायती भी इन्हीं में हैं. उन्होंने कहा है कि वह सरकार के फैसलों में ज्यादा से ज्यादा लोगों की सहमति को शामिल करेंगे. एक और उम्मीदवार मोहम्मद बागेर गालिबाफ ने तेहरान का मेयर रहने के दौरान अपने अच्छे कामों के बारे में लोगों को याद दिलाया है. लोग उन्हें बेहतर प्रशासक मानते हैं, जिसने उनकी निजी जिंदगी में घुसने की कोशिश नहीं की और लोगों के दिलों में जगह बनाई.

तस्वीर: AP

दूसरे उम्मीदवारों में 58 साल के मोहसिन रेजई अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट हैं और अर्थव्यवस्था को "ठीक ढंग से न चलाने के लिए" अहमदीनेजाद की कड़ी आलोचना करते हैं. उन्होंने जीतने पर महंगाई और बेरोजगारी पर लगाम लगाने का वादा किया है. वह 16 साल तक ईरान के रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स के प्रमुख रहे हैं और 2009 में अहमदीनेजाद ने उन्हें चुनाव में हराया था. 72 साल के मोहम्मद घराजी चुनावी मैदान में सबसे बुजुर्ग उम्मीदवार हैं. वह रफसंजानी और पूर्व प्रधानमंत्री मीर हुसैन मुसावी के दौर में मंत्री रहे थे. मुसावी फिलहाल नजरबंद हैं. घराजी का कहना है कि वह चुनाव में प्रचार नहीं करेंगे. उनका कहना है कि सत्ता में उनके काम का अनुभव ही उन्हें देश का राष्ट्रपति चुने जाने के लिए काफी है.

चुनाव में गड़बड़ियों की शिकायतें ईरान के लिए अनोखी बात नहीं हैं. पिछले चुनावों में इन्हें लेकर हो हल्ला मचता रहा है. इस बार भी चुनाव से पहले ही सरकार की तरफ से भारी घेरेबंदी की गई है. देश में कोई स्वतंत्र सर्वेक्षण एजेंसी नहीं है, इसलिए यह बता पाना भी मुमकिन नहीं कि चुनावी दौड़ में कौन कहां है. 

एनआर/एमजे (एएफपी, रॉयटर्स)

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