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ईरान में विपक्षी नेताओं को मार डालने की मांग

१५ फ़रवरी २०११

ईरान में सरकार विरोधी रैली के बाद संसद में विपक्षी नेताओं को मौत की सजा देने की मांग की जाने लगी. सांसदों का कहना है कि विपक्ष के भड़काने पर रैली हुई, जिसमें एक शख्स की मौत हो गई.

ईरान में भी हुए प्रदर्शनतस्वीर: AP

ट्यूनीशिया और मिस्र में सत्ता परिवर्तन के समर्थन में सोमवार को तेहरान में भी रैली हुई, जहां प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच मुठभेड़ हो गई. 2009 में राष्ट्रपति चुनाव के बाद हुए विरोध प्रदर्शन के बाद यह दूसरा मौका है, जब ईरान के लोग सरकार के खिलाफ सड़कों पर निकले हैं.

ईरान की संसद में 290 सदस्य हैं, जिनमें से 222 ने एक बयान पर दस्तखत किए हैं. इसके मुताबिक, "विपक्षी नेता मेहंदी करूबी और मीरहुसैन मुसावी धरती पर भ्रष्ट नेता हैं और उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए." ईरानी संसद में धरती पर भ्रष्ट होने का मतलब बेहद बुरा माना जाता है और पूर्व में इस इलजाम में मौत की सजा दी जाती रही है.

तस्वीर: AP

देश के न्याय विभाग के एक प्रवक्ता गुलाम हुसैन मोहसेनी एजाजी का कहना है, "जिन लोगों ने सोमवार को सार्वजनिक तौर पर गड़बड़ी फैलाई, उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी है." ईरान के एक सांसद काजिम जलाली का कहना है कि सोमवार को विरोध प्रदर्शन के दौरान दो लोग मारे गए, जिनमें से एक गोली से मरा.

ईरान की फार्स समाचार एजेंसी का कहना है कि तेहरान के कट्टर छात्रों और उलेमाओं के एक गुट ने मंगलवार को न्याय विभाग के बाहर धरने का मन बनाया, जिसके तहत मुसावी और करूबी को सजा देने की मांग की जानी है.

पश्चिमी योजनाः

ईरान के अधिकारियों ने बार बार कहा है कि पश्चिमी देश विपक्ष के नेताओं के साथ मिल कर ईरान से इस्लामी सत्ता को हटाना चाहते हैं. मुसावी और करूबी इस आरोप से इनकार करते हैं. उन्हें सोमवार के प्रदर्शन में हिस्सा लेने की इजाजत नहीं मिली थी.

तस्वीर: AP

ईरानी संसद के स्पीकर अली लारीजानी ने आरोप लगाया कि ट्यूनीशिया और मिस्र दोनों अमेरिका समर्थक देश हैं और वहां विद्रोह होने के बाद अमेरिका की शह पर विपक्षी नेताओं ने ईरान में भी ऐसा करने की कोशिश की. लारीजानी ने कहा, "अमेरिका का मुख्य उद्देश्य है कि ईरान में कुछ हो जाए, ताकि लोगों का ध्यान मध्य पूर्व के दूसरे देशों से भटक जाए."

ईरान में इस बीच आम जीवन धीरे धीरे पटरी पर लौट आया है. सड़कों पर आम तौर पर जीवन सामान्य दिख रहा है. लेकिन नेताओं को परेशानी है कि कहीं 2009 जैसी स्थिति दोबारा न आ जाए. ईरान में 1979 के इस्लामी क्रांति के बाद 2009 में सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन हुआ.

ईरान के धार्मिक नेता अयातुल्लाह अली खमेनाई ने मिस्र और ट्यूनीशिया की क्रांतियों का स्वागत किया है और इसे पश्चिमी देशों की नीतियों के खिलाफ बताया है. ईरान में भी अमेरिकी समर्थक शाह के खिलाफ 1979 की क्रांति हुई थी.

रिपोर्टः रॉयटर्स/ए जमाल

संपादनः एस गौड़

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