ईरान में हिजाब का विरोध कर रहीं 29 महिलाएं गिरफ्तार
२ फ़रवरी २०१८
ईरान की पुलिस ने सार्वजनिक जगहों पर बिना सिर ढंके घूम रही 29 महिलाओं को गिरफ्तार किया है. पिछले कुछ समय से देश में सिर ढंकने वाले अनिवार्य कानून के खिलाफ विरोध बढ़ा है. सोशल मीडिया पर भी इसके खिलाफ अभियान चल रहा है.
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ईरान की एक निजी न्यूज एजेंसी तस्नीम ने खबर दी है कि इन महिलाओं ने देश के कानून का उल्लघंन किया है. ईरान में साल 1979 की इस्लामिक क्रांति के बाद से ही महिलाओं के लिए सिर ढंकना और सार्वजनिक जगहों पर लंबे और ढीले-ढाले कपड़े पहनना अनिवार्य है. इसे सख्ती से लागू भी किया जाता है. अगर कोई महिला ऐसा नहीं करती है तो उसे जुर्माने से लेकर कारावास तक की सजा हो सकती है. हालांकि इसके पहले भी विरोध जताने के चलते छह महिलाओं को पुलिस ने अपनी हिरासत में लिया था.
ईरान में हिजाब कानून का विरोध करने वाली महिलाओं की संख्या बढ़ रही है. कानून के प्रति अपना विरोध जताने के लिए महिलाएं हिजाब को निकालकर हवा में लहराती हैं. इस तरह के विरोध और प्रदर्शन की कई तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहे हैं. वहीं हाल में पूर्वी ईरान के कई इलाकों में खराब होती आर्थिक स्थिति को लेकर भी विरोध और प्रदर्शन हुए. कई प्रदर्शनकारियों ने देश के सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातुल्लाह खामेनेई से भी पद छोड़ने की मांग की. देश के राष्ट्रपति हसन रोहानी ने अभी तक हेडस्कार्फ मसले पर कोई टिप्पणी नहीं की है, लेकिन यह जरूर कहा है कि सरकार को बेहतर ढंग से जनता की बात सुननी चाहिए. रोहानी ने कहा, "अगर हमारे साथ लोग नहीं होंगे और हम उनकी आलोचनाओं की अनदेखी करते हैं तो इससे बुरा कुछ नहीं हो सकता."
बुरका, हिजाब या नकाब: फर्क क्या है?
बुरका, हिजाब या नकाब. ये शब्द तो आपने कई बार सुने होंगे. लेकिन क्या आप शायला, अल अमीरा या फिर चिमार और चादर के बारे में भी जानते हैं. चलिए जानते हैं कि इन सब में क्या फर्क है.
मुस्लिम पहनावा
सार्वजनिक जगहों पर बुर्का पहनने पर प्रतिबंध लगाने वाले देशों में सबसे ताजा नाम ऑस्ट्रिया का है. बुर्के के अलावा मुस्लिम महिलाओं के कई और कपड़े भी अकसर चर्चा का विषय रहते हैं.
शायला
शायला एक चोकोर स्कार्फ होता है जिससे सिर और बालों को ढंका जाता है. इसके दोनों सिरे कंधों पर लटके रहते हैं. आम तौर पर इसमें गला दिखता रहता है. खाड़ी देशों में शायला बहुत लोकप्रिय है.
हिजाब
हिजाब में बाल, कान, गला और छाती को कवर किया जाता है. इसमें कंधों का कुछ हिस्सा भी ढंका होता है, लेकिन चेहरा दिखता है. हिजाब अलग अलग रंग का हो सकता है. दुनिया भर में मुस्लिम महिलाएं हिजाब पहनती हैं.
अल अमीरा
अल अमीरा एक डबल स्कार्फ होता है. इसके एक हिस्सा से सिर को पूरी तरह कवर किया जाता है जबकि दूसरा हिस्सा उसके बाद पहनना होता है, जो सिर से लेकर कंधों को ढंकते हुए छाती के आधे हिस्से तक आता है. अरब देशों में यह काफी लोकप्रिय है.
चिमार
यह भी हेड स्कार्फ से जुडा हुआ एक दूसरा स्कार्फ होता है जो काफी लंबा होता है. इसमें चेहरा दिखता रहता है, लेकिन सिर, कंधें, छाती और आधी बाहों तक शरीर पूरी तरह ढंका हुआ होता है.
चादर
जैसा कि नाम से ही जाहिर है चादर एक बड़ा कपड़ा होता है जिसके जरिए चेहरे को छोड़ कर शरीर के पूरे हिस्से को ढंका जा सकता है. ईरान में यह खासा लोकप्रिय है. इसमें भी सिर पर अलग से स्कार्फ पहना जाता है.
नकाब
नकाब में पूरे चेहरे को ढंका जाता है. सिर्फ आंखें ही दिखती हैं. अकसर लंबे काले गाउन के साथ नकाब पहना जाता है. नकाब पहनने वाली महिलाएं ज्यादातर उत्तरी अफ्रीका और मध्य पूर्व में दिखायी देती हैं.
बुरका
बुरके में मुस्लिम महिलाओं का पूरा शरीर ढंका होता है. आंखों के लिए बस एक जालीनुमा कपड़ा होता है. कई देशों ने सार्वजनिक जगहों पर बुरका पहनने पर प्रतिबंध लगाया है जिसका मुस्लिम समुदाय में विरोध होता रहा है.
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हिजाब के विरोध में सोशल मीडिया पर ये मुहिम पिछले साल एक ईरानी पत्रकार मसीह अलिनेजाद ने शुरू की थी. उन्होंने औरतों और लड़कियों को अपनी फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के लिए प्रोत्साहित किया. देश भर में इस मुहिम के तहत कई वीडियो पोस्ट भी किए गए.
दिसंबर में एक महिला को तेहरान की सड़कों पर हिजाब लहराने के मामले में गिरफ्तार किया गया. अलिनेजाद कहती हैं, "हम महिलाओं को दबाने वाले सबसे बड़े प्रतीक के खिलाफ लड़ रहे हैं." देश के बाहर रहने वाली अलिनेजाद अपनी एक वेबसाइट चलाती है. उन्होंने कहा, "महिलाएं कह रहीं हैं कि अब बस हो गया, यह 21वीं सदी है." ईरान पुलिस ने अलिनेजाद की इसी मुहिम को रोकने के लिए 29 महिलाओं को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने कहा कि ये महिलाएं विदेशों में रहने वाले ईरानियों के दुष्प्रचार के तहत ऐसा कर रही हैं.
क्यों सड़कों पर उतर आए ईरान के लोग?
ईरान में कई साल बाद इतने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन देखने को मिले हैं. अलग अलग शहरों में सड़कों पर उतरे ये हजारों लोग आखिर कौन हैं और क्या चाहते हैं, चलिए जानते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo
कब हुई शुरुआत?
ईरान में सरकार विरोधी प्रदर्शनों की शुरुआत 28 दिसंबर को मशाद शहर से हुई, जब बढ़ती महंगाई के खिलाफ सैकड़ों लोग सड़कों पर उतर आए. अगले दो दिनों के भीतर ये प्रदर्शन राजधानी तेहरान समेत कई और शहरों तक पहुंचे गए.
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प्रदर्शनों का कारण?
कुछ प्रदर्शनकारी बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी और आर्थिक असामनात के खिलाफ सड़कों पर उतरे हैं. वहीं बहुत से लोग सरकार की नीतियों से खफा हैं. प्रदर्शनों के दौरान, "रोहानी मुर्दाबाद", "फलस्तीन को भूल जाओ", और "गजा नहीं, लेबनान नहीं, मेरी जिंदगी ईरान के लिए है" जैसे नारे लग रहे हैं.
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प्रतिबंधों की मार?
कुछ लोग आम जनता पर पड़ रहे आर्थिक बोझ की वजह ईरान की विदेश नीति को बता रहे हैं जो कई क्षेत्रीय संकटों में उलझा है, तो कइयों की राय में, ईरान पर लगे प्रतिबंधों का असर अब जनता की जेब पर होने लगा है. कुल मिलाकर लोग सरकार से नाराज हैं.
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सरकार समर्थक भी सड़कों पर
ईरानी राष्ट्रपति हसन रोहानी और सर्वोच्च नेता अयातोल्लाह खमेनेई का समर्थन करने वाले कट्टरपंथियों ने भी सड़क पर उतर कर अपनी आवाज बुलंद की. हालांकि सरकार समर्थक इन प्रदर्शनाकरियों की संख्या सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों से काफी कम दिखी.
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कितने शहरों में प्रदर्शन?
अब तक एक दर्जन से ज्यादा शहरों से प्रदर्शनों होने की खबर है, जिनमें जनजान, केरमानशाह, खोरामाबाद, अबार, अराक, दोरुद, इजेह, तोनेकाबोन, तेहरान, करज, मशाद, शहरेकोर्द और बांदेर अब्बास शामिल हैं.
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क्या कहती है सरकार?
राष्ट्रपति हसन रोहानी ने कहा है कि लोगों में बढ़ रही हताशा को वह समझते हैं और जनता को प्रदर्शन करने का हक है. लेकिन उन्होंने कहा कि हिंसा और तोड़फोड़ को स्वीकार नहीं किया जा सकता है.
ईरानी सरकार का कहना है कि इन प्रदर्शनों को फैलाने के लिए सोशल मीडिया और खासकर टेलीग्राम का इस्तेमाल किया गया. इसके बाद सरकार ने कई मैसेजिंग एप्स पर रोक लगा दी है. सरकार ने टेलीग्राम से हिंसा भड़काने वाले अकाउंट्स को बंद करने के लिए कहा है.
तस्वीर: Reuters
कितने हताहत?
ईरान में हो रहे सरकार विरोधी प्रदर्शनों में अब तक कम से कम 21 लोगों के मारे जाने की खबर है. इसके अलावा सैकड़ों लोगों को गिरफ्तार किया है. प्रदर्शनों के कारण ईरान की सरकार को तीखी आलोचना झेलनी पड़ रही है.
तस्वीर: picture-alliance/AA/Stringer
क्या बोला विश्व समुदाय?
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे लोगों को गिरफ्तार ना करने के लिए कहा है. उन्होंने कहा, "दमनकारी व्यवस्था हमेशा नहीं रह सकती. दुनिया देख रही है." जर्मनी और फ्रांस ने भी प्रदर्शनकारियों के साथ एकजुटता दिखाई है.