वार्ता में ईरान के प्रतिनिधि अली अकबर सालेही और अमेरिकी प्रतिनिधि अर्नेस्ट मोनिज के बारे में जर्मन अखबार ज्यूड डॉयचे साइटुंग ने लिखा है. अखबार का कहना है, "सालेही को ईरान के सर्वोच्च नेता अयातोल्लाह अल खमेनेई का भरोसा प्राप्त है, जिनकी बात डील पर अंतिम होगी. अमेरिकी ऊर्जा मंत्री अर्नेस्ट मोनिज की भी राजनीतिक भूमिका है. सिर्फ वे कांग्रेस को भरोसा दिला सकते हैं कि समझौता राष्ट्रपति बराक ओबामा की इस तकनीकी और राजनीतिक शर्त को पूरा करता है कि ईरान के लिए परमाणु हथियार बनाने का रास्ता रोक दिया जाएगा."
जर्मन साप्ताहिक पत्रिका डेय श्पीगेल के अनुसार वार्ता के अस्पष्ट संकेत आ रहे हैं. "ईरान पर भरोसा करें तो परमाणु वार्ता में मोड़ दिख रहा है. ईरान अपने सैनिक संयंत्रों की निगरानी की बात मान गया है. लेकिन परमाणु ऊर्जा एजेंसी के प्रमुख मोड़ आना अभी बाकी है."
जर्मनी के अनुदारवादी अखबार फ्रांकफुर्टर अलगेमाइने ने ईरान पर भरोसे का सवाल उठाया है. "ईरान की सरकार पर भरोसा किया जा सकता है, करना चाहिए? क्या उसका विश्वास किया जा सकता है कि उसका मकसद बम बनाना नहीं है? इस्राएल सरकार का इसके बारे में खुले तौर पर नकारात्मक विचार है. दूसरे इसे आराम से ले रहे हैं. उन्हें पता होना चाहिए कि ईरान इस संधि के बाद परमाणु बम से सिर्फ एक पेंच भर दूर होगा. लेकिन यह तब भी होगा जब कोई संधि नहीं होगी. इसलिए ईरान के साथ समझौते की कोशिश बेहतर है जो उसे बाकी दुनिया के करीब लाएगी."
वियना से प्रकाशित डेय स्टांडार्ड ने भी ईरान और सुरक्षा परिषद के सदस्यों तथा जर्मनी के बीच हो रही परमाणु वार्ता पर टिप्पणी की है. "अमेरिका और यूरोपीय संघ के सामने विकल्प बहुत ज्यादा नहीं हैं. एक युद्ध जिसके साए में इस्लामिक स्टेट और आगे बढ़ सकता है? लेकिन प्रतिबंध भी हैं. लेकिन वे अपने चरम पर जा चुके हैं. भले ही पश्चिमी देश उसे लागू रख रहे हों और सख्त बना रहे हों, संभव है कि दूसरे देश साथ न आएं जो वार्ता में ईरान को सदिच्छा का सर्टिफिकेट दे रहे हैं. और अमेरिका भी इसलिए बातचीत कर रहा है कि वह ईरान को दूसरे के लिए, चीन के लिए नहीं छोड़ना चाहता है."
एमजे/आरआर (एएफपी)
ईरान कहता है कि उसका परमाणु कार्यक्रम ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए बनाया गया है लेकिन पश्चिमी देशों को शक है कि ईरान परमाणु बम बना रहा है.
तस्वीर: aeoi.org.irकई सालों से ईरान परमाणु तकनीक में अपनी जानकारी बढ़ा रहा है. अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी आईएईए का मानना है कि ईरान 2010 से परमाणु हथियार बना रहा है
तस्वीर: aeoi.org.irपरमाणु बम की इच्छा रखने और बनाने में काफी फर्क है. ईरान के पास हथियार बनाने लायक तकनीक नहीं है. बम बनाने के पांच अहम कदम हैं. हर देश ऐसा नहीं कर सकता.
तस्वीर: picture-alliance/dpaएटम बम बनाने के लिए संवर्धित यूरेनियम या शुद्ध प्लूटोनियम चाहिए. ईरान के पास यूरेनियम सरघंद नाम की जगह से आता है. लेकिन यह परमाणु ऊर्जा के लिए इस्तेमाल किया जाता है.
तस्वीर: PDयूरेनियम को संवर्धित करना होता है. इसके लिए गैस के सेंट्रिफ्यूज में यूरेनियम को डाला जाता है ताकि उसके एटम को बांटा जा सके और न्यूक्लियर रिएक्शन शुरू हो. हथियार बनाने के लिए यूरेनियम को 85 प्रतिशत तक संवर्धित करना पड़ता है. उच्च तकनीक के सेंट्रिफ्यूज को बनाना आसान नहीं है और ईरान तकनीक के लिए दूसरे देशों पर निर्भर है.
तस्वीर: picture-alliance/dpaकेवल संवर्धित यूरेनियम से काम नहीं चलता. एक परमाणु ट्रिगर बनाने के लिए वैज्ञानिक पहले धातु को एक ऐसी स्थिति में लाते हैं ताकि वह उत्तेजित होने पर एक प्रतिक्रिया करे. अभी तक पता नहीं है कि ईरान के पास किस हद तक यह क्षमता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpaसाधारण हथियारों की तरह ही परमाणु हाथियारों की तीली होती है. ईरान के पास इसे बनाने की तकनीक है. ईरान के वैज्ञानिकों ने भी कई मॉडल बनाए हैं और प्रयोग किए हैं जो ट्रिगर का काम करते हैं. यह शाहिद बेहस्ती और आमिर कबीर विश्वविद्यालयों के दस्तावेजों से पता चला है.
तस्वीर: AFP/Getty Imagesईरान के पास हथियार के लिए कैरियर है. शहाब 3 मध्य दूरी तक मार करने वाला रॉकेट है और यह उत्तर कोरियाई नोदोंग 1 से काफी मिलता है. यह 2,000 किमी की दूरी तय कर सकता है. यह इस्राएल तक पहुंच सकता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpaबिना नियंत्रण के असैनिक परमाणु कार्यक्रम सैन्य कार्यक्रम से अलग नहीं किया जा सकता क्योंकि दोनों की तकनीकी जरूरतें लगभग एक सी हैं. क्या ईरान वाकई बम बनाने की हालत में है या भविष्य में उसका बम बनाना वहां के शासकों पर निर्भर करता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa