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ईसाई चर्च में जाते हैं और मुसलमान तहखाने में

८ अगस्त २०१७

यूरोपीय देशों में एथेंस अकेली राजधानी है जहां कोई मस्जिद नहीं. हालांकि ज्यादा दिन यह स्थिति नहीं रहेगी क्योंकि विवादों में घिरे रहने के बावजूद वहां जल्दी ही एक मस्जिद की इमारत बनाने का काम पूरा होने वाला है.

Griechenland improvisierte Moscheen in Athen
तस्वीर: Getty Images/M. Bicanski

एथेंस में हल्की रोशनी वाली सड़कों के पास फुटपाथ पर खिड़कियों की एक कतार के बाद लोहे का एक दरवाजा नजर आता है. इस दरवाजे के पीछे सीढ़ियां हैं जो आपको कंक्रीट के एक कमरे में ले जाती हैं. यहां करीब 100 लोग नमाज अदा करने जमा हुए हैं. ग्रीस की राजधानी में फिलहाल मस्जिद के नाम पर यही है. पूरे शहर में ऐसे कई तहखाने, गराज और गोदाम मिलेंगे. कई बार दीवारों को थोड़ा सजा दिया जाता है और इन कमरों में हल्की रोशनी का इंतजाम कर दिया जाता है.

कई सालों से एथेंस में मस्जिद बनाने की योजना चल रही है लेकिन अब लगता है कि काम पूरा हो जायेगा. हालांकि इस बीच शहर में रह रहे दो लाख से ज्यादा मुसलमान इन्हीं कामचलाऊ मस्जिदों में नमाज पढ़ने आते हैं. ग्रीस की मुस्लिम एसोसिएशन के प्रमुख नईम एलगंदौर कहते हैं, "जब मैं वहां नमाज पढ़ लूंगा तब मानूंगा कि वहां मस्जिद है." 62 साल के नईम मिस्र के हैं और 40 साल से ग्रीस में हैं. अपनी ग्रीक बीवी एन्ना स्टामोउ के साथ वह ना सिर्फ मस्जिद के लिए बल्कि मुसलमानों की स्वीकार्यता के लिए कई सालों से संघर्ष कर रहे हैं. इस देश में 90 फीसदी से ज्यादा लोग ग्रीक ऑर्थोडॉक्स ईसाई हैं.

तस्वीर: Getty Images/M. Bicanski

ग्रीस के संविधान में ईसाई धर्म को प्रमुखता दी गयी है लेकिन यह भी लिखा है कि सभी धर्मों के लोग अपनी मर्जी से बगैर किसी बाधा के अपने धर्म का पालन कर सकते हैं. इसके बाद भी लोगों की भावनाएं भड़क उठती हैं. ग्रीस के बहुत से लोग एथेंस के वोटानिकोस इलाके में बन रही मस्जिद पर आपत्ति जता रहे हैं.

निर्माण की जगह को लोहे की चादरों और कांटेदार तारों से घेर कर रखा गया है लेकिन दीवारों पर ईसाई प्रतीक चिन्ह और "मस्जिद को ना" और "ग्रीस संतों, शहीदों और नायकों का देश है" जैसे नारे लिखे नजर आते हैं. ग्रीस की रूढ़िवादी दक्षिणपंथी पार्टी क्राइसी आवगी (सुनहरी सुबह) ने मस्जिद को लगातार मुद्दा बना रखा है और इमारत की जगह पर कई बार विरोध प्रदर्शन भी किया है. इस इमारत के लिए चार बार टेंडर निकाले गये क्योंकि कोई ठेकेदार इसका ठेका लेने के लिए तैयार नहीं था. यहां मुसलमानों को लेकर अविश्वास की स्थिति काफी समय से चली आ रही है. शायद इसके पीछे सदियों पुराने ओटोमन साम्राज्य का असर है. एथेंस में मस्जिद के मुद्दे पर शहर के कई ऑर्थोडॉक्स ईसाई कहते हैं, "वे सिर्फ हमें नीचा दिखाना चाहते हैं," या फिर सवाल उठाते हैं, "मैं जानना चाहता हूं कि क्या अरब देश ऑर्थोडॉक्स चर्च बनाने की अनुमति देंगे."

ग्रीक संसद ने 2006 में यहां रहने वाले 2 लाख मुसलमानों के लिए मस्जिद बनाने की मंजूरी दी. नईम एलगंदौर बस कंधे उचका कर कहते हैं, "वे हमारी हंसी उड़ाते है, वे लोग प्रार्थना करने चर्च जाते हैं और हम तहखानों में." मस्जिद करीब करीब बन चुकी है और इसमें एक साथ 350 लोग नमाज पढ़ सकते हैं. मस्जिद से जुड़े विवादों के कारण यहां नमाज पढ़ना शुरू होने की तारीख आगे टलती जा रही है. पहले इसे अप्रैल 2017 में शुरू होना था लेकिन अब इसे दिसंबर तक टाल दिया गया है.

विवाद के पीछे एक बड़ा कारण यह है कि उस कमेटी में कौन रहेगा जो मस्जिद के लिए मुख्य इमाम को चुनेगी. नईम कहते हैं, "हमने साथ बैठ कर बात करने का प्रस्ताव रखा था. हमने बहुत पहले इमाम की खोज कर ली होती, ऐसा कोई शख्स जो अपनी नौकरी छोड़ कर पहले ग्रीक भाषा सीखने में अपना समय देता." उनका कहना है कि अधिकारियों ने उनका प्रस्ताव नहीं माना.

तस्वीर: picture-alliance/AA/A. Mehmet

मुसलमानों के किसी बड़े मौके पर एलगंदौर, उनकी पत्नी और दूसरे लोग एक बड़ा हॉल किराये पर ले लेते हैं और वहीं आपस में जमा हो कर नमाज पढ़ते हैं. इसके अलावा उनके पास दूसरा विकल्प है कि वे इस्तांबुल चले जाएं. एन्ना स्टेमाउ कहती हैं, "मैं चाहती हूं कि मेरे बच्चे इन मौकों का लुत्फ सही तरीके से अनुभव करें और नहीं चाहती कि वो गराज या छोटे से कमरे में ये सब करें."

वामपंथी सिरीजा पार्टी सैद्धांतिक रूप से मानती है कि लोगों को तहखानों में नमाज नहीं पढ़ना चाहिए. हालांकि विश्लेषक कहते हैं अगर प्रधानमंत्री एलेक्सिस सिप्रास ऑर्थोडॉक्स चर्च के साथ किसी विवाद में घिरे तो पल भर में उनके लाखों वोट हवा हो जाएंगे.

ग्रीक चर्च से जुड़े नेता हालांकि इस बीच आगे आये हैं और उन्होंने नयी मस्जिद को स्वीकार कर लिया है. इसकी वजह ये भी है कि मस्जिद राजधानी एथेंस के लोगों की नजरों से बचा कर एक दूरदराज के इलाके में बनायी गयी है. पहले तो इसे यहां एयरपोर्ट को जाने वाले मुख्य रास्ते के बगल में ही बनाने का प्रस्ताव था लेकिन इसका बहुत प्रबल विरोध हुआ. इसके अलावा भी कई मुद्दे उठे जैसे कि मस्जिद में मीनारें नहीं होंगी. मुसलमानों ने यह तो स्वीकार कर लिया लेकिन उनके लिए ज्यादा मुश्किल यह रहा कि मस्जिद वाले इलाके एटिका में कब्रगाह नहीं होगी. जो मुस्लिम रीति से अंतिम संस्कार चाहते हैं उन्हें इसके लिए उत्तर पूर्वी इलाके थ्रेस जाना होगा. एक बार मस्जिद में नमाज शुरू हो गयी तो फिर शायद बात आगे बढ़े लेकिन फिलहाल तो इबादत की जगह का ही इंतजार है.

एनआर/एके (डीपीए)

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