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ईसाई लड़की पर साजिश रचने का आरोप

२६ अगस्त २०१२

पाकिस्तान में एक ईसाई बच्ची को ईशनिंदा के आरोप में पुलिस हिरासत में रखने का विवाद थम नहीं रहा. बच्ची को पुलिस को सौंपने वाले मौलवी ने कहा है कि उसने मुसलमानों का अपमान करने के लिए कुरान की आयतों वाले पन्ने जलाए.

तस्वीर: Amir Qureshi/AFP/GettyImages

इस्लामाबाद के बाहरी इलाके में बसे मेहराबाद की मस्जिद के इमाम हाफिज मोहम्मद खालिद चिश्ती का कहना है कि उसने ईसाई लड़की रिम्शा को पुलिस को सौंप कर उसे लोगों की भीड़ से बचाया लेकिन साथ ही कहा कि यह घटना इसलिए हुई है कि मुसलमानों ने पहले ईसाईयों की इस्लाम विरोधी हरकतें नहीं रोकी हैं. चिश्ती ने कहा कि लोगों ने जब उन्हें जले हुए पन्नों को दिखाए तब वह रिम्शा के घर गए, जहां उन्होंने गुस्साई भीड़ देखी और यह भी देखा कि तीन चार मुस्लिम औरतें उसे मार रही थी. मैंने उसे बचाया. पुलिस ने विरोध प्रदर्शन के दौरान 150 लोगों के खिलाफ संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का मुकदमा दायर किया है.

पिछले गुरुवार को रिम्शा को बच्चों की एक धार्मिक किताब के पन्ने जलाने के आरोप में गिरफ्तार कर दो हफ्ते की हिरासत में रखा गया था. रिम्शा की उम्र अलग अलग रिपोर्टों में 11 से 16 बताई गई है. उस किताब में पवित्र ग्रंथ की आयतें थीं. रिपोर्टों के अनुसार रिम्शा डाउन सिंड्रोम से ग्रस्त है और उसके साथ हुए बर्ताव की नागरिक अधिकार संगठनों ने आलोचना की है, जबकि पश्चिमी देशों ने चिंता जताई है. लेकिन चिश्ती का कहना है कि उस लड़की को पता था कि वह क्या कर रही है. "उसने यह जानबूझकर किया. यह षड़यंत्र है गलती नहीं. उसने माना कि उसने क्या किया है."

उधर वैटिकन ने कहा है कि ईशनिंदा का आरोप झेल रही रिम्शा पढ़ लिख नहीं सकती. कार्डिनल जां लुइ तौरां ने कहा कि रिम्शा कूड़ा इकट्ठा करती है और किताब के हिस्से उसे कूड़े में मिले. उन्होंने कहा कि स्थिति जितनी गंभीर और तनावपूर्ण है, संवाद की उतनी ही ज्यादा जरूरत है. कार्डिनाल ने कहा कि तथ्यों की रोशनी में यह असंभव लगता है कि लड़की ने इस्लाम के पवित्र ग्रंथ पर नफरत निकालने की कोशिश की.

पाकिस्तान के कठोर ईशनिंदा कानून के तहत पैगम्बर मोहम्मद के अपमान की सजा मौत है और पवित्र ग्रंथ को जलाने की सजा उम्रकैद है. नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि इस कानून का इस्तेमाल अक्सर व्यक्तिगत दुश्मनी निकालने के लिए किया जाता है. पाकिस्तान की 18 करोड़ की आबादी में 97 फीसदी मुसलमान हैं.

देश का अल्पसंख्यक ईसाई समुदाय लंबे समय से भेदभाव और गरीबी का शिकार है. मेहराबाद में 500 ईसाई परिवार रहते हैं, लेकिन किताब जलाने की घटना के बाद बहुत से लोग हिंसा के डर से भाग गए हैं. 2009 में पंजाब प्रांत को गोजरा में एक शादी में कुरान के पन्नों को अपवित्र करने की अफवाहों के बाद चरमपंथी मुस्लिम युवकों ने ईसाईयों के घरों में आगजनी की थी जिसमें सात लोग मारे गए थे.

रिम्शा को आरोपों का जवाब देने के लिए शनिवार को अदालत में पेश होना था, लेकिन जांच अधिकारी जबीउल्लाह और रिम्शा के वकील ताहिर नवीद चौधरी ने कहा है कि मामले की सुनवाई 31 अगस्त को होगी.

एमजे/एनआर  (एएफपी)

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