इस्राएल की गलील झील को ईसा मसीह की जिंदगी के सबसे अहम पड़ावों में एक माना जाता है. कहा जाता है कि उन्होंने इस झील पर चलकर दिखाया था. लेकिन अब इसके जलस्तर में रिकॉर्ड गिरावट आई है. इस्राएल इसे भरने की योजना बना रहा है.
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बाइबिल के मुताबिक यीशु गलील झील पर रहते थे. यह इस्राएल में मीठे पानी का सबसे बड़ा जलाशय है. लेकिन यहां सूखे और लंबे इस्तेमाल के चलते झील का जलस्तर घटने लगा है. झील के दक्षिणी किनारे पर टापू उभर आया है, कुछ दिनों में ये टापू किनारों से जुड़ कर एक प्रायद्वीप का आकार ले लेगा. यहां छुट्टियां मनाने आए सैलानियों और मछुआरों को अब किनारों तक पहुंचने के लिए दलदली जमीन से गुजरना होता है. गिरते जलस्तर के चलते इस्राएल के सबसे बड़े जलाशय के अस्तित्व पर अब खतरा मंडराने लगा है. अगर स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो जॉर्डन नदी और मृत सागर तक पहुंचने वाले पानी में भी कमी आ जाएगी.
इस्राएल की तकनीक
इस्राएल ने इसका समाधान अब पानी के खारेपन को कम करने वाली तकनीक विलवणीकरण (डिसेलिनेशन) में ढूंढ लिया है. इस तकनीक में इ्स्राएल दुनिया में सबसे आगे है. खारेपन को दूर करने की प्रक्रिया का इस्तेमाल कर अब इस्राएल भूमध्य सागर के पहले से दोगुना पानी को पीने लायक बनाएगा और उसमें से आधे को 75 किमी दूर गलील झील तक भेजेगा.
इस्राएल के ऊर्जा और जल मंत्री युवाल स्टाइनित्स कहते हैं, "हम प्रकृति को बचाने और गलील झील पर ग्लोबल वॉर्मिंग के असर को कम करने के लिए ये कर रहे हैं. इसके साथ ही हमारी कोशिश देश में जल भंडारण करने की भी है." ईसाइयों के लिए भी इस झील का बहुत महत्व है. स्टाइनित्स कहते हैं, "अगर यीशु वापस आते हैं तो कम से कम हमें यह तो सुनिश्चित करना होगा कि वे पानी पर दोबारा चल सकें."
राजनीतिक मायने
पर्यावरणवादियों ने इस कदम का स्वागत किया है. 2004 में आखिरी बार ये झील पानी से लबालब भरी थी. इसके बाद से अब तक जलस्तर करीब 18 फीट नीचे गिर गया है. इस्राएल के लोगों को उम्मीद है कि सर्दियों में होने वाली बारिश झील के जलस्तर को और नीचे नहीं जाने देगी और अगले साल डिसेलिनेशन शुरू होने से पहले तक स्थिति संभली रहेगी.
इस्राएल यदि इस झील को बचाता है तो वह जॉर्डन के साथ 1994 में हुए शांति समझौते के तहत ज्यादा पानी देने की शर्त से मुक्त हो जाएगा. येरुशलम स्थित इंटरनेशनल क्रिश्चियन एम्बेसी के उपाध्यक्ष डेविड पार्सन कहते हैं, "अगर गलील झील में अपरिवर्तनीय क्षति होती है, जॉर्डन या पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को कोई नुकसान पहुंचता है तो इस्राएल के दुश्मन इसे उसके खिलाफ इस्तेमाल करेंगे." उन्होंने कहा कि यह जमीन पर ईसाई टूरिज्म को प्रभावित कर सकता है, लेकिन यह बहुत अच्छा है कि इस्राएल जिम्मेदारी से इस ओर कदम उठा रहा है. स्टाइनित्स उम्मीद जताते हैं कि इस कदम के चलते गलील झील 2026 तक एक बार फिर भर जाएगी.
इस्राएल में छिपी है ऐसी खूबसूरती
कभी अमेरिका के साथ अच्छे संबंधों के चलते, तो कभी फलस्तीनियों के साथ विवाद के चलते इस्राएल चर्चा में बना रहता है. लेकिन पर्यटन के लिहाज से भी यह देश बेहद ही खूबसूरत है. यहां मौजूद धार्मिक स्थलों की भी काफी मान्यता है.
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तेल-अवीव-जाफा
बेशुमार आर्ट गैलेरियां, रेस्तरां, बार और क्लबों वाले इस शहर को काफी उदार, कॉस्मोपॉलिटन और सुकून वाला माना जाता है. साल 1909 में इस शहर की स्थापना हुई थी और पुराने बंदरगाह शहर जाफा को इसमें मिलाया गया. इसलिए शहर का सही नाम तेल-अवीव-जाफा है. यह इस्राएल का दूसरा सबसे बड़ा शहर और एक पॉपुलर टूरिज्म डेस्टिनेशन है.
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समंदर के किनारे
इस्राएल की 270 किलोमीटर लंबी भूमध्यसागरीय तट रेखा है. तेल अवीव शहर का बीच ही 14 किलोमीटर में फैला हुआ है. यहां सनबाथ, तैराकी और वाटर-स्पोर्ट्स के लिए भरपूर जगह है. इस्राएल के दक्षिणी हिस्से में लाल सागर को छूता शहर एलत गोताखारी के लिए बेहतरीन जगह माना जाता है.
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वास्तुशिल्प
वास्तुशिल्प के प्रशंसकों के लिए तेल-अवीव एक अच्छी सौगात हो सकती है. व्हाइट सिटी नाम से मशहूर तेल-अवीव अपनी बाउहाउस शैली की इमारतों के लिए मशहूर हैं. शहर की करीब 4000 से ज्यादा प्रॉपर्टी यूनेस्को विश्व धरोहरों की सूची में शामिल हैं. साल 1920 से 1940 के दशक के दौरान इस्राएल के हाइफा और येरुशलम जैसे शहरों में बाउहाउस शैली के कई घर बनाए गए थे.
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मृत सागर
अगर कोई मृत सागर में बैठकर अखबार के पन्ने पलटने की ख्वाहिश रखता है तो ऐसा किया जा सकता है. लवण की अधिकता और जल का उच्च घनत्व यह सुनिश्चित करता है कि इंसान का शरीर जल की ऊपरी सतह पर ही बना रहे. ऐसा करना स्वास्थ्यवर्धक भी है. पानी में मौजूद खनिज पदार्थ और मिट्टी त्वचा से जुड़ी कई समस्याओं के इलाज में उपयुक्त मानी जाती है.
इस्राएल-फलस्तीन के बीच येरुशलम विवाद की अहम जड़ है. यहां विवाद शहर के पूर्वी हिस्से से जुड़ा है. जहां येरुशलम के सबसे महत्वपूर्ण यहूदी, ईसाई और मुस्लिम धार्मिक स्थल हैं. यहां दुनिया का सबसे पुराना और अभी भी इस्तेमाल हो रहा यहूदी कब्रिस्तान है. इस्लाम में तीसरा सबसे अहम धार्मिक स्थल माने जाने वाली अल अक्सा मस्जिद भी यहां मौजूद है.
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याद वेशम
येरुशलम में ही याद वेशम होलोकास्ट मेमोरियल म्यूजियम है. नाजी दौर में साल 1933-1945 के बीच जर्मनी में यहूदियों पर किए गए अत्याचारों की पीड़ा यह म्यूजियम बयां करता है. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपनी इस्राएल यात्रा के दौरान इस म्यूजियम का दौरा किया था.
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कीबुत्स
कीबुत्सम का विचार इस्राएल के साथ नजदीकी तौर पर जुड़ा है. यहां गांवों में लोग एक सामाजिक समुदाय बना कर रहते थे. ये समुदाय मुख्यत: कृषि पर निर्भर होते थे. आज कुछ ही इस्राएली ऐसे रहते हैं. पहला कीबुत्स दीगानिया साल 1910 में बनाया गया था जिसे आज भी देखा जा सकता है. कुछ कीबुत्स में पर्यटक रात में ठहर भी सकते हैं.
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इस्राएली भोजन
इस्राएली शहरों में हर कोने पर आपको फलों का ताजा जूस बेचने वाली दुकानें नजर आएंगी. यहां स्थानीय खाने से लेकर आपको अंतरराष्ट्रीय स्तर की कई वैरायटी भी मिलेगी. यदि आप खुद खाना बनाना पसंद करते हैं तो आपको ताजा सब्जियां, मसाले आदि भी आराम से मिल सकते हैं.
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बैथलेहम
इस्राएल में आप उस जगह भी जा सकता है जिसे यीशु की जन्मस्थली माना जाता है. यह चर्च यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल है. चर्च ऑफ नेटिविटी में ईसा मसीह का जन्म हुआ था. चर्च के निचले हिस्से में वह गुफा है जहां उनका जन्म हुआ था.
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गेलीली सागर
इस्राएल में लोग इस झील को किनेरेट कहते हैं. यह इस्राएल में मीठे पानी का सबसे बड़ा जलाशय है. बाइबिल में भी अकसर इसका जिक्र आता है और इसे यीशु की जिंदगी की सबसे अहम जगहों में से एक माना जाता है. धार्मिक-ऐतिहासिक यात्रा के बाद पर्यटक चाहें तो यहां पानी में कूदकर खुद को तरोताजा भी कर सकते हैं. (लीना एल्टर/ एए)