दुनिया की दिग्गज ऑनलाइन कंपनियां के लिये भारतीय बाजार रणभूमि बनते नजर आ रहे हैं. अपनी पैठ बनाने के लिये ये कंपनियां दिल खोलकर पैसा लगा रही हैं. हाल में चीन की ई-कॉमर्स कंपनी ने पेटीएम में 20 करोड़ डॉलर का निवेश किया है.
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दुनिया की दिग्गज ऑनलाइन कंपनियां के लिये भारतीय बाजार रणभूमि बनता नजर आ रहा है. भारत में अपनी पैठ बनाने के लिये ये बड़ी कंपनियां दिल खोलकर पैसा लगा रही हैं. हाल में ही चीन की ई-कॉमर्स कंपनी ने पेटीएम में 20 करोड़ डॉलर का निवेश किया है.
इस बड़े निवेश के साथ पेटीएम देश की चुनिंदा यूनीकॉर्न बनने की होड़ में शामिल हो गई है. जिन स्टार्टअप कंपनियों की कीमत लगभग एक अरब डॉलर हो जाती है, उन्हें यूनीकॉर्न कहते हैं. हालांकि चीनी दिग्गज ई-कॉमर्स कंपनी अलीबाबा के इस निवेश से पता चलता है कि वह अमेरिकी कंपनी एमेजॉन से सीधी टक्कर लेने को तैयार है. हाल में एमेजॉन ने भारत से जुड़े अपने कारोबार में 5 अरब डॉलर का निवेश किया था. चीनी समूह और पेटीएम ने एक मोबाइल-वॉलेट पेमेंट व्यवस्था तैयार करने के लिये पहले से ही 255 अरब डॉलर का निवेश किया था. इनकी एक छोटी ई-कॉमर्स इकाई को भारतीय दिशा-निर्देशों के अनुकूल ढालने के लिये अलग से भी तैयार किया गया है. लेकिन अलीबाबा अपनी नयी पैमेंट व्यवस्था के बाद जल्द ही ई-कॉमर्स बाजार में बड़े रूप में नजर आ सकती है.
भारत में नया ट्रेंड: साझा दफ्तर
भारत के सॉफ्टवेयर उद्योग ने तीन दशक पहले दुनिया को चौंका दिया. अब भारत में एक और नया कॉन्सेप्ट देखने को मिल रहा है. को-वर्किंग स्पेस यानि साझा दफ्तर.
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सोशल
दिल्ली के हौज खास विलेज में सोशल नाम की एक इमारत है. इसमें अलग अलग पेशों से जुड़े युवा आते हैं और एक ही छत के नीचे बैठकर काम करते हैं. भारत के अलग अलग शहरों में इस वक्त 12 से ज्यादा ऐसे साझा दफ्तर हैं.
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बड़े काम की चर्चा
सोशल को अपना दफ्तर बनाने वालों में फ्रीलांस पत्रकार, फोटोग्राफर, वेब डेवलपर, ग्राफिक डिजायनर और स्टार्ट अप शुरू करने वाले युवा है. एक दूसरे से बात करके उन्हें अपना आइडिया बेहतर करने में भी मदद मिलती है.
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कैसे हुई शुरुआत
सोशल के मालिक रियाज अलमानी के मुताबिक दिल्ली के अहम इलाके में सस्ते ऑफिस की जरूरत कई लोग महसूस कर रहे थे. उन्होंने इसे अपने रेस्तरां के कॉन्सेप्ट से जोड़ा और को-वर्किंग स्पेस बना दिया. इसका किराया 100 डॉलर प्रतिमाह से भी कम है.
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युवाओं की पसंद
को-वर्किंग स्पेस युवाओं को आकर्षित करने वाला है. भारत के ज्यादातर स्टार्ट अप ऐसे युवाओं ने शुरू किये हैं जो 28 साल से छोटे हैं. इनमें से ज्यादातर बड़े शहर के कामकाजी इलाकों में महंगा ऑफिस नहीं ले सकते हैं. उनके लिए ऐसी जगहें बेस्ट हैं.
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कोई बंदिश नहीं
सोशल उन गिने चुने दफ्तरों में है जहां लोग अपनी पंसद के कपड़े पहनकर जा सकते है. बॉस आदि का कोई चक्कर नहीं. मन किया तो बार से एक ड्रिंक भी लिया जा सकता है.
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कई और फायदे
इस को-वर्किंग स्पेस में अलग अलग क्षेत्र के लोगों से मुलाकात और बातचीत का मौका तो मिलता ही है, साथ में मुफ्त इंटरनेट और नेटवर्किंग इवेंट्स में जाने का न्योता भी मिलता है.
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दफ्तर में मिलते साझेदार
कई युवाओं को ऐसे को-वर्किंग स्पेस में बातचीत के दौरान ही कारोबार के लिए सहयोगी भी मिले. यहां मिलने वाले कुछ युवा आज कुछ कंपनियों के संस्थापक और सहसंस्थापक हैं.
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काम खत्म और पार्टी शुरू
हर वीकेंड में सोशल में पार्टी भी होती है. इमारत के भीतर म्यूजिक और डीजे का भी पूरा इंतजाम है.
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भारत का नया चेहरा
वीकेंड पर रात को एक बजे तक डांस फ्लोर खुला रहता है. इस दौरान युवा डांस का लुत्फ भी उठाते हैं. रविवार रात हर चीज की सफाई होती है और सोमवार से इमारत फिर दफ्तर और रेस्तरां बार में बदल जाती है.
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कंपनी को टक्कर दे रही स्थानीय कंपनियां मसलन फ्लिपकार्ट और स्नैपडील भी घरेलू ई-कॉमर्स कारोबार में बड़ी भूमिका निभा रही हैं लेकिन इनके भविष्य पर सवाल बने हुये हैं. फ्लिपकार्ट में अमेरिकी निवेश एजेंसी टाइगर ग्लोबल ने निवेश किया है तो वहीं स्नैपडील में जापान के सॉफ्टबैंक का बड़ा निवेश है. ये दोनों ही बड़े निवेशक हैं. ऐसे में आने वाले दिनों में भारत के ई-कॉमर्स सेक्टर में खूब घमासान होगा.
निजी स्वामित्व वाली फ्लिपकार्ट बाजार में अपनी बढ़त को बनाये रखने की कड़ी कोशिश कर रही है. इस बीच स्नैपडील ने लागत में कमी लाने के लिये बड़ी संख्या में छंटनी भी की है. हालांकि बाजार में लगातार स्नैपडील और पेटीएम के संभावित विलय की बातचीत चलती रही जो कुछ हद तक वाजिब भी थी. क्योंकि सॉफ्टबैंक के पास अलीबाबा की 30 फीसदी हिस्सेदारी है
लेकिन अब भारतीय ई-कॉमर्स बाजार सभी के लिये खुला मैदान बन गया है. दूसरी ओर चीन में विदेशी कंपनियां अब भी संघर्ष करती नजर आ रही हैं. लेकिन बाजार में सभी के लिये सफल होना संभव नहीं है, लेकिन अलीबाबा और पेटीएम के स्थानीय मोबाइल वॉलेट बिजनेस ने इन दोनों ही कंपनियों को एक मजबूत स्थिति में ला खड़ा किया है.