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उइग़ुरों से संवाद के लिए चीन पर दबाव की मांग

१७ अक्टूबर २००९

विश्व उइग़ुर कांग्रेस की अध्यक्ष रबिया क़दीर ने मौत की सज़ा मिले उइग़ुरों को निर्दोष बताया है और उइग़ुर आबादी के साथ बातचीत करने के लिए चीन सरकार पर दबाव डालने की मांग की है.

रबिया क़दीरतस्वीर: DW/M. Müller

जुलाई में चीन के पश्चिमोत्तर प्रदेश सिनजियांग में उइग़ुर आबादी के व्यापक प्रदर्शन हुए. उसके दौरान हुई हिंसा में कम से कम 150 लोग मारे गए. मुस्लिम अल्पसंख्यक आबादी का आरोप है कि चीन की केंद्रीय सरकार उसका दमन कर रही है. शुक्रवार को विश्व उइग़ुर कांग्रेस की अध्यक्ष रबिया क़दीर डॉयचे वेले के दफ़्तर आई और सिनजियांग में उइग़ुरों की स्थिति के बारे में बताया.

रबिया क़दीर 1990 के दशक से उइग़ुर अल्पसंख्यकों के हितों के लिए संघर्ष कर रही हैं. चीन सरकार का आरोप है कि वे चीन से सिनजियांग प्रांत को अलग करना चाहती है. 1999 में क़दीर को 8 साल क़ैद की सज़ा दी गई थी, लेकिन सार्वजनिक दबाव में 2005 में ही छोड़ दिया गया. दक्षिण चीनी प्रांत गुआंगदोंग में दो उइग़ुरियों की मौत के बाद सिनजियांग में हिंसक प्रदर्शन भड़क उठे थे. चीन सरकार उसके लिए रबिया क़दीर को ज़िम्मेदार ठहराती है. उनका कहना है कि प्रदर्शन शांतिपूर्ण थे.

मुख्य संपादक मार्क कॉख़ के साथ रबिया क़दीरतस्वीर: DW/M. Müller

"प्रदर्शन में स्कूली और यूनिवर्सिटी छात्रों ने हिस्सा लिया था. उन्होंने हाथों में चीनी झंडा ले रखा था. इसके साथ वे दिखाना चाहते थे कि हम इस देश के नागरिक हैं और हम शांतिपूर्ण प्रदर्शन करना चाहते हैं, लेकिन गुआंगदोंग की घटनाओं की जांच होनी चाहिए."

रैली के बाद बहुत से प्रदर्शनकारियों को गिरफ़्तार कर लिया गया. इस सप्ताह छह उइग़ुरियों को मौत की सज़ा सुनाई गई है. रबिया क़दीर उन्हें निर्दोष मानती हैं और कहती हैं कि उन्होंने दबाव में ज़ुर्म कबूला है. वे मानवाधिकारों के पालन की मांग करती हैं.

सिनजियांग की स्थिति तिब्बत जैसी होती जा रही है. चीन सरकार बड़े पैमाने पर हान चीनियों को वहां बसा रही है और उइग़ुर आबादी को डर है कि वे अपने ही इलाक़े में अल्पसंख्यक बन जाएंगे. रबिया क़दीर का आरोप है कि आर्थिक प्रगति का लाभ सिर्फ़ हान चीनियों को मिल रहा है.

सिनजियांग में उइग़र आबादीतस्वीर: picture-alliance/ dpa

"चीन ने हमारे ऊपर कब्ज़ा करने के बाद हमें स्वायत्तता दी. और इस स्वायत्तता क़ानून के तहत हमें स्वशासन का अधिकार है, अपनी परम्परा और अपनी अस्मिता की रक्षा का अधिकार है. अब हमारी संस्कृति का नरसंहार हो रहा है और जो कोई उसका विरोध करता है उसे आतंकवादी और अलगाववादी बता दिया जाता है."

इसके बावजूद रबिया क़दीर उइग़ुर आबादी के हक़ के लिए शांतिपूर्ण तरीक़ों से लड़ने पर ज़ोर देती हैं. उन्होंने चीन सरकार के साथ बातचीत करने की कई बार कोशिश की है लेकिन नाकाम रही हैं. वे उइग़ुरों की स्वायत्तता के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन चाहती हैं और पश्चिमी देशों से मांग करती हैं कि वे चीन सरकार पर उइग़ुरों के साथ वार्ता के लिए दबाव डालें. उनका कहना है कि चीन सरकार पर संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र आयोग को सिनजियांग जाने देने के लिए दबाव डाला जाना चाहिए ताकि वे जेलों में बंद उइग़ुरों की स्थिति का जायज़ा ले सकें. वे अंतरराष्ट्रीय समुदाय से एक और मांग करती हैं.

"एक अंतरराष्ट्रीय अभियान शुरू किया जाना चाहिए ताकि मौत की सज़ा समाप्त की जा सके."

उइग़ुर जनता के अधिकारों के लिए रबिया क़दीर बहुत बड़ी क़ीमत चुका रही हैं. उनके पांच बच्चे अभी भी चीन में हैं. इसके अलावा इस सफल उद्यमी को अपनी सारी सम्पत्ति चीन में छोड़नी पड़ी है.

"मेरे दो बच्चे जेल में हैं. तीन बच्चे और बाकी रिश्तेदार सरकारी निगरानी में हैं. विरोध प्रदर्शनों के बाद मेरे बच्चों पर दबाव डाला गया कि वे जनमत में, टेलिविज़न में मेरे ख़िलाफ़ बोलें. ऐसा वे कभी नहीं करेंगे जब तक उनसे ज़ोर ज़बरदस्ती न की जाए."

रिपोर्ट: क्रिश्टॉफ़ रिकिंग/महेश झा

संपादन: शिव जोशी

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