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बिस्तर से उठ खड़ी हुई मलाला

१९ अक्टूबर २०१२

पाकिस्तान की किशोर हीरो मलाला यूसुफजई की हालत में मामूली सुधार हुआ है. हालांकि उसका इलाज कर रहे ब्रिटेन के डॉक्टरों ने कहा है कि अभी वह पूरी तरह खतरे से बाहर नहीं है. हमले के बाद वह पहली बार उठ खड़ी हुई.

तस्वीर: Aamir Qureshi/AFP/Getty Images

स्वात घाटी की मलाला बच्चियों की पढ़ाई लिखाई की वकालत करती है और तालिबान इसका विरोध. इसी द्वंद्व में नौ अक्तूबर को तालिबान के कायर बंदूकधारियों ने किताबों से लैस मलाला पर गोली दाग दी. कुछ दिनों तक पाकिस्तान में इलाज के बाद उसे ब्रिटेन भेज दिया गया है, जहां बर्मिंघम में उसका इलाज चल रहा है.

होश आने के बाद मलाला ने पहला काम भी पढ़ाई से जुड़ा हुआ किया. क्वीन एलिजाबेथ अस्पताल के डॉक्टरों का कहना है कि सिर में गोली लगने की वजह से मलाला के दिमाग पर खासा असर पड़ा है लेकिन उसकी याददाश्त बनी हुई है. उसने पुरानी घटनाओं को याद किया और कागज कलम मंगा कर कुछ लिखा. मेडिकल डायरेक्टर डेव रोजर ने कहा, "यह बात साफ है कि वह अभी खतरे से बाहर नहीं आई है. उसे बहुत बहुत गंभीर घाव है."

डॉक्टर रोजर ने उम्मीद बंधाते हुए कहा, "लेकिन अच्छी बात यह रही कि वह पहली बार मदद के सहारे बिस्तर से उठ खड़ी हुई. वह आराम से बातचीत कर रही है. कुछ लिख रही है. शी इज डूइंग वेल."

फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने वाली मलाला फिलहाल बोल नहीं पा रही है क्योंकि उसका ट्रीकोटोमी हुआ है और इस वजह से उसे एक पाइप के जरिए सांस लेनी पड़ रही है. उसके गले में पाइप लगाया गया है. डॉक्टरों का कहना है कि गोली लगने की वजह से उसका यह हिस्सा बुरी तरह फूल गया था.

तस्वीर: Arif Ali/AFP/Getty Images

पाकिस्तान सहित पूरी दुनिया में मलाला पर हमले की निंदा हुई है. पाकिस्तान को औरतों ने उसके लिए सार्वजनिक तौर पर दुआएं मांगीं और तालिबान के खिलाफ प्रदर्शन किया. कराची और दूसरे शहरों में बच्चियों ने सड़कों पर निकल कर मलाला का समर्थन किया और तालिबान के खिलाफ नारे लगाए. तालिबान ने हमले की जिम्मेदारी कबूल ली है और उसका कहना है कि मलाला औरतों और बच्चियों की पढ़ाई की बात करती है, जो उनके मजहब में नहीं है. इस्लाम की दुहाई देने वाले तालिबान अपने इस बेतुके तर्क के बारे में कोई सबूत नहीं देते और धार्मिक नेताओं का कहना है कि इस्लाम में महिलाओं को पढ़ने लिखने की पूरी आजादी है.

डॉक्टर रोजर ने मलाला की चोटों के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि उसकी खोपड़ी में फ्रैक्चर है और उसके बाएं कान के पीछे भी हड्डी चटक गई है. इस हमले में उसके जबड़े का बायां हिस्सा भी चोटिल हुआ है.

डॉक्टर का कहना है, "मलाला को बहुत पास से गोली मारी गई." लेकिन खुशकिस्मती रही कि भौं के पास लगी गोली खोपड़ी में घुसने की जगह त्वचा से होती हुई गुजर गई. बाद में वह उसके गले के पास अटक गई.

इस गोली के कंपन से उसके पूरे शरीर में अजीबोगरीब हलचल हुई. खोपड़ी की एक एक हड्डी अपनी जगह से हट गई. पाकिस्तान सरकार का कहना है कि वह मलाला को बचाने के लिए कुछ भी करने को तैयार है और डॉक्टरों ने भी अपनी तरफ से पूरी ताकत लगा दी है. डॉक्टर रोजर ने बताया, "ऐसा लग रहा है कि वह बातों को समझ रही है. उसके पास कुछ याददाश्त भी है. वह खड़ी हो पा रही है. अभी यह कहना बहुत मुश्किल है कि क्या उसकी समझ में कुछ कमी तो नहीं आ जाएगी."

अपनी उम्र से कहीं सयानों की तरह बात करने वाली मलाला को पिछले साल ही पाकिस्तान के अहम शांति पुरस्कार से नवाजा गया है. इसके अलावा तीन साल पहले उसके एक ब्लॉग ने अंतरराष्ट्रीय मीडिया में उसकी पहचान बना दी थी. वह अपने पिता के स्कूल में पढ़ने जाती थी, जिसे 2009 में तालिबान के उपद्रव की वजह से कुछ दिनों के लिए बंद करना पड़ा. बाद में उसने पढ़ाई जारी रखी और तालिबान की धमकियों के बाद भी वह स्कूल जाती रही.

ब्रिटेन में उसका इलाज कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि हो सकता है कि बाद में मलाला की पूरी खोपड़ी का ऑपरेशन करना पड़े. लेकिन इस काम में हफ्तों या महीनों लग सकते हैं. डॉक्टर रोजर का कहना है, "उसे पुरानी हालत में आने में कम से कम कुछ हफ्ते लगेंगे. तभी पता लगेगा कि इंफेक्शन दूर हो गया है या नहीं."

एजेए/एमजे (रॉयटर्स)

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