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उड़ जा रे पंक्षी...

१८ अक्टूबर २०१२

एक ताजा अध्ययन बताता है कि यूरोप के पक्षियों के लिए ये महाद्वीप बेगाना हो रहा है. वो दक्षिण की ओर पलायन कर अफ्रीका में नया बसेरा खोज रहे हैं.

तस्वीर: Jussi Mononen

यूरोपीय देश स्लोवानिया को ही लें. राजधानी लुबलियाना में तरह तरह के पक्षी पाए जाते हैं. जंगली पेड़ पौधे, घास फूस और चारागाह से भरपूर है ये जगह. हालांकि इसका क्षेत्रफल ज्यादा नहीं है फिर भी स्लोवानिया में पाए जाने वाले कुल पक्षियों की आधे से अधिक प्रजातियां यहीं पाई जाती है. कई प्रजातियों का अस्तित्व तो खतरे में है.

कॉर्न क्रेक इन्ही में से है. बादामी रंग के इस पक्षी के शरीर पर चित्तीदार धारियां पाई जाती हैं. करीब 30 सेंटीमीटर लंबा ये परिंदा देखने में खूबसूरत है लेकिन खूबसूरती से ज्यादा ये प्रसिद्ध है अपनी चहचहाहट के लिए. हर रात करीब 10,000 बार आवाज लगाने वाले इस पक्षी का आशियाना अब अफ्रीका बन चुका है.

स्लोवानिया की बर्ड कंजर्वेशन सोसाइटी के निदेशक दामियान देनच कहते हैं, "कॉर्न क्रेक जमीन पर पैदा होता है और यहीं बढ़ता है. इसकी वजह से ये खेती के लिए कई बार संवेदनशील हो जाता है. लेकिन ये लुप्तप्राय पक्षियों की श्रेणी में शामिल हो चुका है. वास्तव में ये दूसरे पक्षियों के लिए भी ठीक नहीं है." देनच कहते हैं कि पूरे महाद्वीप में पक्षियों के सामने रहने की समस्या है. सही निवास न मिलने से 30 सालों में यूरोप के जंगलों से पक्षियों की कई लाख प्रजातियां गायब हो चुकी हैं. कुछ प्रजातियों में तो विलुप्त होने की दर 80 प्रतिशत तक है.

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोलॉजी, स्लोवानिया में काम करने वाले दावोरिन टोमे कहते हैं, "ये सब इसलिए हो रहा है क्योंकि इंसानों की आबादी लगातार बढ़ रही है जबकि पक्षियों के रहने की जगह कम हो रही है. अगर रहने का स्थान ही खत्म हो जाएगा तो जीने की संभावना भी खत्म होगी."

एशिया में उजड़ा बसेरा

तस्वीर: AP

ऐसा नहीं है कि आशियाना उजड़ने की समस्या सिर्फ यूरोपीय पक्षियों के सामने है. मध्य एशियाई देशों में भी पक्षियों के निवास उजड़ रहे हैं. प्रवासी पक्षी सफर के बीच में वहीं रुकते हैं और आराम करते हैं जहां खाने पीने की व्यवस्था होती है. इस्राएल के उत्तर में एक दलदली भूमि है जहां पर प्रवासी पक्षी आराम किया करते थे. 50 के दशक में ये भूमि सूख गई जिसका पक्षियों की कई प्रजातियों पर बुरा असर पड़ा है. इसके अलवा शिकारियों की भी समस्या कम नहीं है. माल्टा, ग्रीस और बाल्कन द्वीप के कई देशों में प्रवासी पक्षियों का शिकार होता है. पर्यावरण संगठन बर्ड लाइफ इंटरनेशनल का कहना है कि हर साल करीब 50 करोड़ पक्षी मारे जाते हैं.

यूरोप में तो कई समूह ऐसे हैं जो टिकाऊ शिकार को सही मानते हैं. असली समस्या गैरकानूनी शिकार की है. साइप्रस में परंपरागत भोजन के लिए 10 लाख पक्षी मार दिए जाते हैं जबकि यूरोपीय यूनियन के नियम के तहत ये गैरकानूनी है.

समस्या की जड़

पक्षियों की कई प्रजातियां खतरे में तो हैं लेकिन सवाल ये है कि इन्हें बचाने का फायदा क्या है. क्या होगा अगर एक प्रजाति का नाश हो जाएगा. संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरण कार्यक्रम से जुड़े हुए सर्गेई देरेलीव कहते हैं कि और प्रजातियों के नाश होने का मतलब है हम एक खतरनाक रास्ते पर जा रहे हैं, "पारिस्थितिकी तंत्र एक मशीन की तरह है. अगर हम इसके नट वोल्ट खोल कर अलग करने लगेंगे तो देर सवेर मशीन नष्ट हो ही जाएगी." देरेलीव का मानना है कि इंसान भी अपने भोजन और जरूरतों के लिए पारिस्थितकी तंत्र पर निर्भर करता है. अगर ये खराब होगा तो इंसान का भविष्य भी खतरे में पड़ जाएगा.

प्रवासियों का लंबा सफर

प्रवासी पक्षी एक बार में कई हजार किलोमीटर की दूरी तय करते हैं. लुबलियाना में जहां से इनका सफर तय होता है वहां पर घास के मैदान के बगल में दरिया है. थोड़ी दूर पर एक कटीला वृक्ष हवा में हिचकोले खा रहा है. मक्के के पौधे लाइन लगाकर खड़े हैं. जीव वैज्ञानिक तानिया सुमरादा कहती हैं, "ये चारागाह उन कुछेक चारागाहों में से आखिरी हैं जिन्हे संरक्षित किया गया है. यहां आप उस चारागाह को देख सकते हैं जो कॉर्न क्रेक के लिए जरूरी है. जंगली पक्षियों के जीवन के लिए ये जरूरी है कि इस तरह के चारागाह हों."

प्रवासी पक्षियों की सुरक्षित यात्रा की कामना करते हुए वह कहती हैं, "मैं उम्मीद जताती हूं कि ये खूबसूरत पक्षी अपने नए आशियाने पर सुरक्षित तरीके से पहुंचेंगे. इंसानों के लिए ये कल्पना करना भी मुश्किल है कि ये पक्षी कितने खतरनाक रास्ते पर जा रहे हैं."

रिपोर्टः पावेल स्राए/वीडी

संपादनः ए जमाल

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