चमोली जिले में ऋषिगंगा नदी के ऊपरी हिस्से में एक और झील बन गई है जिस से फिर से बाढ़ का खतरा पैदा हो गया है. सात फरवरी को आई बाढ़ के बाद सुरंग में फंसे लोगों को निकालने का काम अभी चल ही रहा है.
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सात फरवरी को जहां चमोली जिले में आपदा आई थी उस जगह से थोड़ी दूर भूवैज्ञानिकों ने पाया है कि उस दिन हुए भूस्खलन की वजह से गिरी गाद ने ऋषिगंगा नदी को रोक दिया है. नदी को रोक दिए जाने से वहां पर एक झील बन गई है और अगर गाद से बना इस झील का बांध टूटा तो वहां फिर से बाढ़ आ सकती है. भूवैज्ञानिक अभी तक इस बात का पता नहीं लगा सके हैं कि इस झील में कितना पानी है और बांध कितना ऊंचा है.
उनका कहना है कि झील की लगातार निगरानी करने की जरूरत है क्योंकि अगर अचानक इसका बांध टूटा तो पहले के दुर्घटना स्थल पर बचाव कार्य में लगे राहतकर्मियों की जान को खतरा हो सकता है. गुरुवार को बचाव कार्य की जगह पर नदी का स्तर अचानक बढ़ता हुआ पाया गया था, जिसके बाद बचाव कार्य को एक घंटे के लिए रोक दिया गया था. अगर नई झील फट गई तो वहां के स्थानीय लोगों और राहतकर्मियों के लिए एक नई चुनौती पैदा हो जाएगी.
आपदा प्रबंधन टीमें अभी भी सुरंग के अंदर तक नहीं पहुंच पाई है और अंदर फंसे लोगों के जिंदा होने की संभावनाएं धूमिल होती जा रही हैं. अधिकारों का अंदाजा है कि कम से कम 34 लोग सुरंग में फंसे हुए हैं. 36 लोगों के मारे जाने की पुष्टि हो चुकी है और कुल मिलाकर 204 लोग अभी तक लापता हैं. सुरंग के अंदर काफी मात्रा में पानी और गाद है और खुदाई की वजह से अचानक उसके बाहर आ जाने का खतरा भी है.
इसलिए आपदा प्रबंधन की टीमें पूरी सतर्कता के साथ काम कर रही हैं. रैणी गांव से आ रही रिपोर्टें बता रही हैं कि गांव के निवासी अभी भी डरे हुए हैं और रातें जंगलों में बिता रहे हैं. वो स्थान जहां से नंदा देवी ग्लेशियर से बर्फ और मिट्टी नदी में गिरी थी वहां तक अभी तक कोई भी नहीं पहुंच पाया है, क्योंकि रास्ते का एक पुल टूट गया है.
घटना के बारे में जो भी जानकारी अभी तक मिली है वो सैटलाइट से प्राप्त चित्रों से मिली है. घटना स्पष्ट रूप से कैसे हुई और उसके पीछे क्या क्या कारण हैं इन सारे सवालों का जवाब तब तक नहीं मिलेगा जब तक वैज्ञानिक उस स्थल तक पहुंच नहीं जाते और वहां अध्ययन नहीं कर लेते.
भारत में बाढ़ की वजह से लाखों की आबादी प्रभावित हुई है. बिहार,असम के बाद केरल, गुजरात और महाराष्ट्र में भी जान-माल की भारी क्षति हुई है. स्थानीय प्रशासन और एनडीआरएफ की टीम ने हजारों लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया.
तस्वीर: Getty Images/AFP
सुरक्षित ठिकानों पर शरण ले रहे लोग
महाराष्ट्र, उत्तराखंड, कर्नाटक, गुजरात, केरल और तमिलनाडु के कई जिलों में नदियां अपने किनारों को तोड़कर बह रही हैं, जलाशय खतरे के निशान को पार कर गए हैं और भूस्खलन हो रहे हैं. लोग अपने-अपने घरों को छोड़ सुरक्षित ठिकानों पर शरण ले रहे हैं.
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केरल में हालात बेहद खराब
केरल में पिछले कुछ दिनों में भारी बारिश हुई और इसके कारण कई इलाकों में बाढ़ आ गई. दर्जनों लोग इस वजह से असमय काल के गाल में समा गए. लाखों लोगों को राहत शिविरों में विस्थापित होना पड़ा है.
तस्वीर: Getty Images/AFP
फीका रहा ईद का जश्न
केरल में बारिश और बाढ़ की मार झेल रहे राज्य के विभिन्न हिस्सों में लोगों के लिए सोमवार को ईद का जश्न कोई खास नहीं रहा. 1,25 लाख से अधिक लोग राहत शिविरों में रह रहे हैं. इसलिए, ईद का मतलब उनके लिए सिर्फ नियमित सुबह की नमाज रही.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/Indian Navy
बाढ़ पीड़ितों की मदद का आग्रह
केरल की 3.34 करोड़ आबादी में से मुस्लिमों की संख्या 88.73 लाख है. बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित मल्लपुरम, कोझीकोड, कन्नूर और कासरगोड जैसे जिलों में बड़ी संख्या में मुसलमान रहते हैं. राज्यभर के मौलवियों ने बाढ़ पीड़ितों की मदद करने का आग्रह किया.
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गुजरात में भी बाढ़ का कहर
गुजरात में भी बाढ़ का कहर जारी है. भारतीय वायु सेना के जवान बचाव कार्य में जुटे हैं. जामनगर के जोडिया इलाके से 42 लोगों को वायु सेना सुरक्षित स्थान तक पहुंचाया. सूरत की सूरत बिगड़ गई है. नर्मदा नदी में उफान की वजह से कई इलाकों में पानी भर गया है.
तस्वीर: picture-alliance/AP
महाराष्ट्र के कई जिले प्रभावित
महाराष्ट्र के पांच जिले बाढ़ से सबसे ज्याद प्रभावित हैं जिनमें कोल्हापुर और सांगली शामिल है. राज्य में बाढ़ से घिरे चार लाख लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया गया है. हजारों परिवार अपना घर छोड़ने को विवश हो गए हैं.
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कर्नाटक में भी चारो ओर पानी
कर्नाटक का बेलगावी और इसके आसपास का इलाका बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित है. लोगों को वायु सेना सुरक्षित जगहों पर पहुंचा रही है. वित्त मन्त्री निर्मला सीतारमण ने इस इलाके का दौरा किया है.
तस्वीर: picture-alliance/AP
बचाव में जुटी भारतीय सेना
भारतीय सेना और नौसेना की आपातकालीन टीमों ने पिछले सप्ताह भारी बारिश के बाद आई बाढ़ से प्रभावित महाराष्ट्र तथा दक्षिण भारतीय राज्यों में फंसे हजारों लोगों को बचाने के लिए अपने बचाव अभियान को और तेज कर दिया है.
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हर प्रकार की सहायता कर रहे सेना के जवान
सेना ने चार राज्यों के बाढ़ प्रभावित 17 जिलों में बाढ़ राहत अभियानों में 3,000 से अधिक कर्मियों को तैनात किया है. इन आपातकालीन टीमों ने फंसे हुए लोगों को पेयजल की बोतलें, डब्बाबंद खाना, दूध के पैकेट और दवाईयों की आपूर्ति भी की है.