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200 लोगों की भीड़ ने किया चर्च पर हमला

५ अक्टूबर २०२१

रूड़की में एक चर्च और वहां प्रार्थना कर रहे लोगों पर हमले के दो दिन बाद भी अभी तक पुलिस आरोपियों को पकड़ नहीं पाई है. एफआईआर में 200 से ज्यादा लोगों के खिलाफ आरोप दर्ज किए गए हैं.

प्रतीकात्मक तस्वीरतस्वीर: DW/F. Fareed

मामला उत्तराखंड में हरिद्वार जिले के रूड़की का है. रविवार 3 अक्टूबर को शहर के एक चर्च में 200 लोगों से ज्यादा की एक भीड़ अचानक से घुस आई थी. भीड़ में शामिल लोगों पर आरोप है कि उन लोगों ने वहां तोड़फोड़ की और वहां प्रार्थना करने के लिए जमा हुआ लोगों पर भी हमला किया.

प्रदेश पुलिस के प्रमुख डीजीपी अशोक कुमार ने पत्रकारों को बताया है कि मामले में एफआईआर दर्ज कर ली गई है और आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जाएगी. हरिद्वार के एसपी (ग्रामीण) प्रमेन्द्र सिंह डोबाल ने पत्रकारों को बताया कि हमले में कुछ लोगों को चोटें भी आई थीं और उनमें से एक को देहरादून के एक अस्पताल में भर्ती करा दिया गया है.

'बजरंग दल' पर आरोप

उन्होंने यह भी बताया कि पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है. एफआईआर में 200 से भी ज्यादा लोगों के नाम हैं लेकिन अभी तक किसी भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया गया है. एफआईआर चर्च के पादरी की पत्नी प्रिओ साधना की शिकायत पर दर्ज की गई थी.

उन्होंने अपनी शिकायत में बताया कि हमले के दिन चर्च में करीब एक दर्जन लोग प्रार्थना के लिए जमा हुए थे तभी 200 से ज्यादा पुरुषों और महिलाओं की एक भीड़ चर्च के अंदर घुस आई. साधना के अनुसार इन लोगों ने हाथों में लोहे के डंडे लिए हुए थे.

उन्होंने वहां जमा लोगों के साथ गाली-गलौच की, चर्च में तोड़फोड़ की, मोबाइल फोन और कीमती सामान छीन लिया और लोगों पर हमला भी किया. साधना ने अपनी शिकायत में यह भी बताया कि हमलावर बजरंग दल और अन्य हिंदुत्ववादी संगठनों से संबंध रखते थे लेकिन पुलिस ने कहा है कि इस आरोप की जांच की जाएगी.

कई राज्यों में हमले

मीडिया में आई खबरों में दावा किया गया है कि राज्य सरकार ने कुछ जिलों में हिंसा की वारदातों को देखते हुए सभी 13 जिलों के जिला अधीक्षकों को अगले तीन महीनों तक राष्ट्रीय सुरक्षा कानून का इस्तेमाल करने के लिए अधिकृत कर दिया है.

बजरंग दल के कार्यकर्तातस्वीर: AP

पिछले कुछ महीनों में छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में चर्चों पर इसी तरह के हमले हो चुके हैं. दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद ने ट्विटर पर ऐक्टिविस्ट जॉन दयाल के हवाले से लिखा कि 3 अक्टूबर को ही रुड़की के अलावा हरिद्वार के ही ज्वालापुर में कुछ लोगों ने एक चर्च में प्रार्थना सभा को भंग किया और लोगों को धमकाया.

उनके अनुसार उसी दिन छत्तीसगढ़ के भिलाई में पुलिस ने एक पादरी को पुलिस स्टेशन बुलाया, उन पर धर्मांतरण करवाने का आरोप लगा कर पूछताछ की और फिर छोड़ दिया. उसी दिन उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में पादरी नंदू नथानिएल और उनकी पत्नी को धर्मांतरण करवाने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया.

अमेरिका में भी चिंता

उसी दिन मध्य प्रदेश के होशंगाबाद में एक एवांजलिस्ट पादरी और उनके चर्च पर हमला किया गया. छत्तीसगढ़ के महासमंद में भी एक चर्च पर हमला किया गया.

पिछले महीने कई पादरियों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को चिट्ठी लिख कर पूरे देश में चल रही ईसाई-विरोधी हिंसा को रोकने के लिए हस्तक्षेप करने की अपील की थी.

इसी साल अमेरिका के अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि भारत सरकार द्वारा प्रोत्साहित की जाने वाली हिन्दू राष्ट्रवादी नीतियों की वजह से "धार्मिक स्वतंत्रता" का सुनियोजित तरीके से "घोर उल्लंघन" हो रहा है. भारत सरकार ने रिपोर्ट के नतीजों को पक्षपातपूर्ण और बेबुनियाद बता कर ठुकरा दिया था.

(एएफपी से जानकारी के साथ)

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