उत्तर कोरिया की इस मिसाइल के निशाने पर पूरा अमेरिका
२४ मार्च २०२२
उत्तर कोरिया ने अब तक के सबसे बड़े अंतरमहाद्वीपीय मिसाइल का परीक्षण किया है. दक्षिण कोरिया और जापान की सेना ने यह खबर दी है. इसके साथ ही उत्तर कोरिया ने लंबी दूरी की मिसाइलों के परीक्षण पर रोक खत्म कर दी है.
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2017 के बाद उत्तर कोरिया की तरफ से पहली बार इतने बड़े हथियार का परीक्षण किया गया है. माना जा रहा है कि इसके बाद उत्तर कोरिया ऐसे परमाणु हथियारों को विकसित करने में सफल हो जाएगा जो अमेरिका में कहीं भी मार कर सकते हैं.
उत्तर कोरिया का बड़े हथियारों के परीक्षण में वापस आना अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के लिए एक और सिरदर्द साबित हो सका है जो पहले ही यूक्रेन पर रूस के हमले से जूझ रहे हैं. इसके साथ दक्षिण कोरिया की नई रूढ़िवादी सरकार के लिए भी यह एक चुनौती होगी.
अमेरिकी राष्ट्रपति के दफ्तर व्हाइट हाउस के प्रवक्ता जेन प्साकी ने बयान जारी कर कहा है, "यह लॉन्च संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के कई प्रस्तावों का खुला उल्लंघन है और इसने अनावश्यक रूप से इलाके की सुरक्षा स्थिति में अस्थिरता का खतरा और तनाव पैदा कर दिया है." इसके साथ ही प्साकी ने यह भी कहा, "कूटनीति के दरवाजे बंद नहीं हुए हैं, लेकिन प्योंग्यांग को अस्थिरता वाली गतिविधियों को तुरंत बंद करना होगा."
ये आईसीबीएम क्या है?
परमाणु हथियारों से लैस एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप तक जा कर मार करने वाली आईसीबीएम बनाने पर सबसे पहले नाजी जर्मनी में काम शुरू हुआ था.
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तबाही का सामान
इंटरकंटीनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल या आईसीबीएम का मतलब है ऐसी नियंत्रित मिसाइल जो कम से कम 5500 किलोमीटर की दूरी तक जा कर मार कर सके. यानी ऐसी मिसाइल जो एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप तक जा कर तबाही मचा सके.
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एक मिसाइल कई हथियार कई निशाने
ये मिसाइलें पहले तो सिर्फ परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम थीं लेकिन फिर इन्हें पारंपरिक और रासायनिक हथियार ले जाने के काबिल भी बनाया गया. मौजूदा दौर की आधुनिक आईसीबीएम का मतलब है ऐसी मिसाइल जो कई हथियार एक साथ ले कर जा सके. साथ ही मिसाइल हर हथियार को अलग निशाने पर गिराने में सक्षम हो.
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निशना छोटा हो या बड़ा
शुरुआती आईसीबीएम निशाना लगाने के हिसाब से ज्यादा सटीक नहीं थे इसलिए उन्हें बड़े ठिकानों पर हमला करने के लिए तैयार किया गया था जैसे कि पूरे शहर या फिर ऐसी ही किसी जगह को निशाना बनाना हो. दूसरी और तीसरी पी़ढ़ी के आईसीबीएम में सटीक निशाना लगाने की काबिलियत आ गयी और उन्हें छोटे छोटे ठिकानों पर हमला करने के लिए भी तैयार किया जाने लगा.
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वेर्हनर फॉन ब्राउन
दुनिया में पहली बार आईसीबीएम नाजी जर्मनी ने दूसरे विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका को निशाना बनाने के लिए तैयार की. वेर्हनर फॉन ब्राउन ने इसे बनाया था. विश्व युद्ध खत्म होने के बाद ब्राउन अमेरिका चले गए और वहां की सेना के लिए मिसाइल कार्यक्रम के विकास में जुट गए, खासतौर से आईएसीबीएम के.
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अमेरिका और रूस ने की पहल
दूसरे विश्व युद्ध के बाद जर्मन डिजाइन के आधार पर ही अमेरिका और सोवियत संघ आईसीबीएम के निर्माण में जुट गए. रूस का पहला लक्ष्य ऐसे आईसीबीएम तैयार करना था जो यूरोपीय देशों तक मार कर सके.
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पहली कामयाबी रूस को मिली
रूस ने 15 मई 1957 को पहली बार आईसीबीएम का परीक्षण किया लेकिन महज 400 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद ही रॉकेट गिर गया. इसके कुछ ही महीनों बाद अगस्त 1957 में आईसीबीएम ने सफलतापूर्वक 6000 किलोमीटर की दूरी तय की. दो साल बाद ही रूस ने हमला करने में सक्षम पहला आईसीबीएम तैनात कर दिया.
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अमेरिका ने भी कोशिशें तेज की
अमेरिका रॉकेट की तकनीक में सोवियत संघ से काफी पीछे था और उस वक्त हुए कुछ अंतरराष्ट्रीय समझौतों ने भी दोनों देशों के आईसीबीएम कार्यक्रम में बाधा डाली. उस दौर में दोनों देशों का ध्यान एंटी बैलिस्टिक मिसाल तंत्र बनाने पर भी रहा. इन सबके बाद भी 1980 के दशक में अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने आईसीबीएम कार्यक्रम की नींव रखी.
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चीन ने भी बनाया आईसीबीएम
शीत युद्ध के दौरान रूस से मनमुटाव के बाद चीन भी इस होड़ में शामिल हो गया और 1975 में उसने अपना पहला आईसीबीएम तैयार कर लिया. इसकी तैनाती होते होते 1981 का साल आ गया और 1990 तक उसने कम से कम 20 आईसीबीएम तैयार कर लिये थे.
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भारत भी आईसीबीएम की दौड़ में
वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सभी सदस्यों के पास लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलें मौजूद हैं. इनमें से रूस, अमेरिका और चीन के पास आईसीबीएम भी है. भारत ने 2012 में 5000 हजार किलोमीटर तक मार करने वाली अग्नि 5 मिसाइल का परीक्षण कर आईसीबीएम क्लब में शामिल होने का दावा किया है.
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इस्राएल और उत्तर कोरिया
इस्राएल ने जेरिको 3 मिसाइल तंत्र तैयार किया है जिसे 2008 से सेवा में शामिल कर लिया गया. इसे भी आईसीबीएम का दर्जा दिया जाता है. उत्तर कोरिया भी अब अपने पास आईसीबीएम होने का दावा कर रहा है.
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हथियार की जरूरत
उत्तर कोरिया ने अंतरमहाद्वीपीय मिसाइल यानी आईसीबीएम का परीक्षण 2017 से रोक रखा था. उत्तर कोरिया ने अपने बचाव में कहा है कि हथियार उसकी आत्मरक्षा के लिए जरूरी है और अमेरिका के कूटनीतिक प्रस्ताव तब तक पाखंड हैं जब तक कि उसके सहयोगी प्रतिबंधों और सैन्य अभ्यासों की "वैरी नीति" जारी रखेंगे.
दक्षिण कोरिया के निवर्तमान राष्ट्रपति मून जे इन ने उत्तर कोरिया से बातचीत को अपनी सरकार का एक प्रमुख लक्ष्य बनाया था. ताजा परीक्षणों की मून जे इन ने निंदा की है और इसे, "आईसीबीएम के लॉन्च पर लगी रोक का उल्लंघन बताया है जिसका किम जोंग उन ने खुद अंतरराष्ट्रीय समुदाय से वादा किया था."
मून जे इन ने यह भी कहा है कि यह कोरियाई प्रायद्वीप, इलाके और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए एक बड़ा खतरा और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का खुले तौर पर उल्लंघन है. मून जे इन का कार्यकाल इसी साल मई में पूरा हो जाएगा.
जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशादा का कहना है कि मिसाइल का ताजा परीक्षण "हिंसा की अस्वीकार्य कार्रवाई" है.
गुरुवार को आईसीबीएम के लॉन्च ने दक्षिण कोरिया को भी अपने छोटे बैलिस्टिक और हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइलों के परीक्षण के लिए उकसाया है. दक्षिण कोरिया के संयुक्त सेना प्रमुख ने बयान जारी कर कहा है कि उनके देश के पास जरूरत पड़ने पर मिसाइल लॉन्च के ठिकानों, कमांड और सहयोग देने वाले केंद्रों और उत्तर कोरिया के दूसरे ठिकानों को निशाना बनाने की "क्षमता और तैयारी" है.
नया आईसीबीएम
गुरुवार का परीक्षण इस साल उत्तर कोरिया का कम से कम 11वां परीक्षण है जो अभूतपूर्व तेजी से हो रहा है. जापानी अधिकारियों का कहना है कि कि इस बार का लॉन्च एक "नए तरह" का आईसीबीएम लग रहा है. यह करीब 71 मिनट तक उड़ा और 6000 किलोमीटर की ऊंचाई तक जाने के बाद लॉन्च साइट से 1,100 किलोमीटर दूर जा कर गिरा.
जापान के तटरक्षक बल का कहना है कि यह जापान के स्पेशल इकोनॉमिक जोन में पश्चिम की ओर आओमोरी के उत्तरी हिस्से में स्थानीय समय के हिसाब से दोपहर के 3 बज कर 44 मिनट पर गिरा.
दक्षिण कोरिया के संयुक्त सेना प्रमुख ने मिसाइल की अधिकतम ऊंचाई 6,200 किलोमीटर और रेंज 1,080 किलोमीटर बताई है.
2017 में उत्तर कोरिया ने आखिरी बार जिस आईसीबीएम का परीक्षण किया था यह उससे ज्यादा बड़ा है. तब हवासोंग 15 मिसाइल का परीक्षण हुआ था जिसने 53 मिनट की उड़ान में 4,475 किलोमीटर की ऊंचाई और 950 किलोमीटर की दूरी तय की थी.
दक्षिण कोरिया के संयुक्त सेना प्रमुख का कहना है कि नया मिसाइल सुनान से दागा गया है, जो प्योग्यांग के अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के नजदीक है. 16 मार्च को भी उत्तर कोरिया ने इस एयरपोर्ट से एक संदिग्ध मिसाइल दागा था जो हवा में उठने के कुछ ही देर बाद एक धमाके के साथ फट गया.
अमेरिका और दक्षिण कोरिया ने चेतावनी दी थी कि उत्तर कोरिया अपने सबसे बड़े आईसीबीएम हवासोंग 17 का परीक्षण करने की तैयारी में है.
अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि कम से काम दो हाल के परीक्षण जो 27 फरवरी और 27 मार्च को हुए उसमें हवासोंग 17 का सिस्टम था लेकिन उसकी पूरी रेंज और क्षमता का प्रदर्शन नहीं हुआ. उत्तर कोरिया ने उन तारीखों पर हुए लॉन्च के सिस्टम के बारे में तो जानकारी नहीं दी लेकिन यह जरूर कहा कि वे सेटेलाइट सिस्टम को मदद देने वाले कंपोनेंट का परीक्षण कर रहे थे.
इस महीने की शुरुआत में उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन ने कहा था कि उनका देश बहुत जल्द कई उपग्रह छोड़ेगा जिससे कि अमेरिका और उसके सहयोगी देशों की सैन्य गतिविधियों पर नजर रखी जा सके.
खुद से लगाई रोक
2018 में कूटनीतिक प्रयासों के तेज होने के बाद किम जोंग उन ने घोषणा की थी कि वो आईसीबीएम और परमाणु हथियारों के परीक्षण पर रोक लगा रहे हैं हालांकि इसके साथ ही यह भी कहा था कि उत्तर कोरिया बातचीत रुकने की स्थिति में इन्हें फिर शुरू कर देगा.
इस रोक को अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की कामयाबी कहा गया जिन्होंने किम जोंग उन के साथ 2018 और 2019 में ऐतिहासिक मुलाकातें की. हालांकि उनके बीच कोई ऐसा समझौता नहीं हो सका जिससे कि उत्तर कोरिया के परमाणु हथियारों और मिसाइलों को सीमित किया जा सके.
अमेरिका के लिए नया सिरदर्द
19 जनवरी को उत्तर कोरिया ने कहा कि वह अमेरिका के खिलाफ अपनी सुरक्षा मजबूत करेगा और सभी निलंबित गतिविधियों को चालू करने पर विचार कर रहा है. उत्तर कोरिया के एक मात्र ज्ञात परमाणु केंद्र में भी नए निर्माण को देखा गया है. इसे 2018 में बंद कर दिया गया था.
जानकारों का कहना है कि अमेरिका और दक्षिण कोरिया के सैन्य अभ्यास, दक्षिण में रूढ़िवादी राष्ट्रपति की जीत का मतलब है कि उत्तर कोरिया को प्रतिक्रिया दिखाने के लिए पर्याप्त मसाला मिल गया है. उत्तर कोरिया पर प्रतिबंध लगाने वाला संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद फिलहाल खामोश है और उत्तर कोरिया ने परमाणु निरस्त्रीकरण पर बात करने से इनकार कर दिया है ऐसे में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन का ध्यान भले ही फिलहाल यूक्रेन पर है लेकिन पूरी आशंका है कि उत्तर कोरिया जल्दी ही उनके लिए नया सिरदर्द बनने वाला है.
एनआर/आरपी (रॉयटर्स, एएफपी)
कितने परमाणु हथियार हैं दुनिया में और किसके पास
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन पर हमले के तीन दिन बाद ही परमाणु हथियारों को भी हाई अलर्ट पर रखने का हुक्म दिया. रूस के पास कुल कितने परमाणु हथियार हैं. रूस के अलावा दुनिया में और कितने परमाणु हथियार है?
तस्वीर: AP Photo/picture-alliance
कितने परमाणु हथियार
स्टॉकहोम अंतरराष्ट्रीय शांति शोध संस्थान यानी सीपरी हर साल दुनिया भर में हथियारों के बारे में रिपोर्ट तैयार करती है. सीपरी के मुताबिक 2021 की शुरुआत में दुनिया भर में कुल 13,080 परमाणु हथियार मौजूद थे. इनमें से 3,825 परमाणु हथियार सेनाओं के पास हैं और 2,000 हथियार हाई अलर्ट की स्थिति में रखे गए हैं, यानी कभी भी इनका उपयोग किया जा सकता है. तस्वीर में दिख रहा बम वह है जो हिरोशिमा पर गिराया गया था.
तस्वीर: AFP
किन देशों के पास है परमाणु हथियार
सीपरी के मुताबिक दुनिया के कुल 9 देशों के पास परमाणु हथियार हैं. इन देशों में अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, इस्राएल और उत्तर कोरिया के नाम शामिल हैं. दुनिया में परमाणु हथियारों की कुल संख्या में कमी आ रही है हालांकि ऐसा मुख्य रूप से अमेरिका और रूस के परमाणु हथियारों में कटौती की वजह से हुआ है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
उत्तर कोरिया
डेमोक्रैटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया यानी उत्तर कोरिया ने 2006 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था. वर्तमान में उसके पास 40-50 परमाणु हथियार होने का अनुमान है.
तस्वीर: KCNA/KNS/AP/picture alliance
इस्राएल
इस्राएल ने पहली बार नाभिकीय परीक्षण कब किया इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. फिलहाल इस्राएल के पार 90 परमाणु हथियार होने की बात कही जाती है. इस्राएल ने भी परमाणु हथियारों की कहीं तैनाती नहीं की है. तस्वीर में शिमोन पेरेज नेगेव न्यूक्लियर रिसर्च सेंटर नजर आ रहा है. इस्राएल ने बहुत समय तक इसे छिपाए रखा था.
तस्वीर: Planet Labs Inc./AP/picture alliance
भारत
भारत के परमाणु हथियारों के जखीरे में कुल 156 हथियार हैं जिन्हें रिजर्व रखा गया है. अब तक जो जानकारी है उसके मुताबिक भारत ने परमाणु हथियारों की तैनाती नहीं की है. भारत ने पहली बार नाभिकीय परीक्षण 1974 में किया था.
तस्वीर: Indian Defence Research and Development Organisation/epa/dpa/picture alliance
पाकिस्तान
भारत के पड़ोसी पाकिस्तान के पास कुल 165 परमाणु हथियार मौजूद हैं. पाकिस्तान ने भी अपने परमाणु हथियारों की तैनाती नहीं की है और उन्हें रिजर्व रखा है. पाकिस्तान ने 1998 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था.
तस्वीर: AP
ब्रिटेन
ब्रिटेन के पास मौजूद परमाणु हथियारों के जखीरे में कुल 225 हथियार है. इनमें से 120 परमाणु हथियारों को ब्रिटेन ने तैनात कर रखा है जबकि 105 हथियार उसने रिजर्व में रखे हैं. ब्रिटेन ने पहला बार नाभिकीय परीक्षण 1952 में किया था. तस्वीर में नजर आ रही ब्रिटेन की पनडुब्बी परमाणु हथियारों को ले जाने में सक्षम है.
तस्वीर: James Glossop/AFP/Getty Images
फ्रांस
फ्रांस ने 1960 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था और फिलहाल उसके पास 290 परमाणु हथियार मौजूद हैं. फ्रांस ने 280 परमाणु हथियारों की तैनाती कर रखी है और 10 हथियार रिजर्व में रखे हैं. यह तस्वीर 1971 की है तब फ्रांस ने मुरुरोआ एटॉल में परमाणउ परीक्षण किया था.
तस्वीर: AP
चीन
चीन ने 1964 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था. उसके पास कुल 350 परमाणु हथियार मौजूद हैं. उसने कितने परमाणु हथियार तैनात किए हैं और कितने रिजर्व में रखे हैं इसके बारे में जानकारी उपलब्ध नहीं है.
तस्वीर: Zhang Haofu/Xinhua/picture alliance
अमेरिका
परमाणु हथियारों की संख्या के लिहाज से अमेरिका फिलहाल दूसरे नंबर पर है. अमेरिका ने 1,800 हथियार तैनात कर रखे हैं जबकि 2,000 हथियार रिजर्व में रखे गए हैं. इनके अलावा अमेरिका के पास 1,760 और परमाणु हथियार भी हैं. अमेरिका ने 1945 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था.
तस्वीर: Jim Lo Scalzo/EPA/dpa/picture alliance
रूस
वर्तमान में रूस के पास सबसे ज्यादा 6,255 परमाणु हथियार हैं. इनमें से 1,625 हथियारों को रूस ने तैनात कर रखा है. 2,870 परमाणु हथियार रूस ने रिजर्व में रखे हैं जबकि दूसरे परमाणु हथियारों की संख्या 1,760 है. रूस के हथियारों की संख्या 2020 के मुकाबले थोड़ी बढ़ी है. रूस ने 1949 में परमाणु हथियार बनाने की क्षमता हासिल की थी.