जापान ने उत्तर कोरिया से पैदा खतरे का हवाला देते हुए अमेरिका से मिसाइल डिफेंस सिस्टम की खरीद योजना को मंजूरी दी है. लेकिन जापान के नागरिकों को चिंता है कि ये देश को शांतिवादी नीति से अलग कर अन्य विवादों में धकेल सकता है.
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मिसाइल तकनीक में उत्तर कोरिया की हालिया प्रगति ने जापान की परेशानी बढ़ा दी है. इसके चलते जापान ने अमेरिकी निर्मित नवीनतम तकनीकी प्रणाली एजिस एशोर सिस्टम की खरीद योजना को मंजूरी दी है. सरकार ने अपने बयान में कहा, "उत्तर कोरिया के परमाणु और मिसाइल कार्यक्रम जापान की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करते हैं. इस स्थिति में हमें अपनी बैलेस्टिक मिसाइल डिफेंस क्षमता बढ़ाने की जरूरत है ताकि देश को हर स्थिति में सुरक्षित रखा जा सके." नवंबर में उत्तर कोरिया ने एक बैलेस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया था जिसकी ऊंचाई 4000 किमी से भी अधिक थी जो जापान की इंटरसेप्टर मिसाइल से कही अधिक है.
उत्तर कोरिया के शासक: कितनी हकीकत कितना फसाना
उत्तर कोरिया पर सात दशकों से किम परिवार ही राज कर रहा है. सरकारी मीडिया में किम इल सुंग, किम जोंग इल और किम जोंग उन का देवताओं की तरह गुणगान होता है. एक नजर उत्तर कोरियाई शासकों से जुड़े मिथकों पर.
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युवा नेता
किम इल सुंग ने 1948 में सोवियत संघ की मदद से सत्ता हासिल की थी. उत्तर कोरिया में आधिकारिक कैलेंडर 1912 में उनके जन्म के साथ शुरू होता है. 1953 की इस तस्वीर में किम इल सुंग उस समझौते पर हस्ताक्षर कर रहे हैं जिसके चलते कोरिया युद्ध थमा. उस समय वह 43 साल के थे.
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प्रोपेगेंडा
युद्ध के बाद के वर्षों में उत्तर कोरिया की प्रोपेगेंडा मशीनरी ने कड़ी मेहनत से किम इल सुंग के इर्द गिर्द मिथक रचे. उनके बचपन और 1930 में जापानी सैनिकों से लड़ने के दौरान उनके समय को महिमामंडित किया गया. 1980 की पार्टी कांग्रेस में उन्होंने अपने बेटे किम जोंग इल को उत्तराधिकारी घोषित किया.
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अधूरे संस्मरण
1992 में किम इल सुंग ने अपनी यादों को लिखना और प्रकाशित करना शुरू किया. उनका दावा था कि वह छह वर्ष की आयु में जापान विरोधी युद्ध में शामिल हुए और 8 साल की उम्र में उन्होंने आजादी के संघर्ष में हिस्सा लिया. 1994 में किम इल सुंग की मौत के बाद उनके ये संस्मरण अधूरे रह गये.
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पिता के पदचिन्हों पर
शासन व्यवस्था में बरसों तक उच्च पदों पर रहने के बाद किम जोंग इल ने अपने पिता किम इल सुंग की मौत के बाद देश की सत्ता संभाली. 16 वर्ष के उनके शासन में उत्तर कोरिया सूखे और आर्थिक संकटों का सामना करता रहा. हालांकि उनका और उनके पिता का महिमामंडन इस दौरान और ज्यादा हुआ.
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उभरता सितारा
उत्तर कोरिया से बाहर से इतिहासकारों का कहना है कि बहुत संभव है कि 1941 में किम जोंग इल का जन्म उत्तरी रूस में एक सैन्य शिविर में हुआ. हालांकि उनकी आधिकारिक जीवनी कहती है कि उनका जन्म अपने पिता के जन्म से ठीक 30 साल बाद 15 अप्रैल 1942 को कोरिया के पवित्र पर्वत पाएकतु पर हुआ. उत्तर कोरिया में कहा जाता है कि एक नये सितारे और दोहरे इंद्रधनुष ने उनके जन्म पर आशीष दिया था.
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परिवार
किम जोंग इल के तीन अलग अलग महिलाओं से तीन बेटे और दो बेटियां थीं. 1981 में ली गयी इस तस्वीर में किम जोंग इल अपने बेटे किम जोंग नाम के साथ हैं. उनके पीछे उनकी एक रिश्तेदार अपनी दो बच्चों के साथ देखी जा सकती हैं. किम जोंग नाम को 2017 में कत्ल कर दिया गया था.
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उत्तराधिकारी की तैयारी
2009 में पश्चिमी मीडिया ने खबर दी कि किम जोंग इल ने अपने सबसे छोटे बेटे किम जोंग उन को अपना उत्तराधिकारी बनाया है. 2010 में ली गयी इस तस्वीर में एक सैन्य परेड के दौरान पिता-पुत्र को एक साथ देखा जा सकता है. इसके एक साल बाद किम जोंग इल का निधन हो गया था.
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साथ साथ
उत्तर कोरियाई मीडिया के अनुसार 2011 में किम जोंग इल की मौत के समय कई रहस्यमयी घटनाएं घटीं. उसके मुताबिक अचानक आये बर्फीले तूफान के बीच पाएकतू पर्वत पर झील में बड़ी तेजी से बर्फ टूटी थी और चट्टान पर एक संदेश भी उभरा था. किम की मौत के बाद प्योंगयांग में उनकी 22 मीटर ऊंची प्रतिमा उनके पिता की प्रतिमा के साथ लगायी गयी.
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रहस्यमयी अतीत
सत्ता संभालने से पहले किम जोंग उन ज्यादातर सुर्खियों से दूर ही रहते थे. उनकी सही उम्र कितनी है, उस पर विवाद है. लेकिन माना जाता है कि उनका जन्म 1982 से 1984 के बीच हुआ. बताया जाता है कि उनकी पढ़ाई स्विट्जरलैंड में हुई. 2013 में अमेरिकी बास्केटबॉल स्टार डेनिस रोडमैन से प्योंगयांग में मुलाकात कर उन्होंने दुनिया के चौंका दिया था.
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नया फरिश्ता
उत्तर कोरिया का मीडिया किम इल सुंग और किम जोंग इल की तरह किम जोंग उन की तारीफ में कसीदे पढ़ते नहीं थकता. 2015 में दक्षिण कोरिया के मीडिया ने खबर दी कि उत्तर कोरिया में जारी एक दस्तावेज के मुताबिक किम जोंग उन ने 3 साल की उम्र में ड्राइविंग शुरू कर दी थी. यही नहीं, माउंट पाएकतु पर युवा नेता के लिए एक स्मारक भी बनाया जायेगा.
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हाइड्रोजन बम
किम जोंग उन ने युवा अवस्था में ही सत्ता संभाल ली और अपने पिता और दादा की तरह उन्हें उतना अनुभव भी नहीं था, लेकिन फिर भी वह सत्ता पर पकड़ बनाने में कामयाब रहे. उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम को वह लगातार आगे बढ़ा रहे हैं, जिसने दुनिया की नाक में दम कर रखा है.
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लेकिन देश की रक्षा से जुड़े ये तर्क जापान के बहुत से लोगों को रास नहीं आ रहे हैं. अधिकतर जापानी नागरिकों ने देश के शांतिवादी रुख में आ रहे बदलाव पर चिंता व्यक्त की है. इनका मानना है कि ऐसी नीतियों से जापान अंतरराष्ट्रीय विवादों में पड़ सकता है. हालांकि जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे का तर्क है, "ये सारी सैन्य गतिविधियां देश में शांति स्थापित करने में मदद करेंगी, साथ ही उत्तर कोरिया और चीन की ओर से बढ़ रहे खतरे को कम किया जा सकेगा." जापान के रक्षा मंत्री इतसिनेरियो नोडेराने अपने बयान में कहा कि इस सौदे का एक ही मकसद है, उत्तर कोरिया के खिलाफ देश की सुरक्षा को मजबूत करना. रक्षा अधिकारियों के मुताबिक अमेरिका की ये नई एजिस अशोर तकनीक, उन्नत मिसाइल इंटरसेप्टर की मदद से जापान को कवर कर सकती है. अधिकारियों को उम्मीद है कि ये नई तकनीक साल 2023 तक अपना काम शुरू कर सकेगी. हालांकि अधिकारियों ने सौदे से जुड़ी कीमत को लेकर कोई खुलासा नहीं किया है.
खबरों के मुताबिक जापान अगले वित्त वर्ष में देश का रक्षा बजट बढ़ा कर 46 अरब डॉलर करने की योजना बना रहा है. रक्षा मंत्री इतसिनेरियो नोडेरा के मुताबिक जापान अमेरिकी कंपनियों से उच्च क्षमता वाली क्रूज मिसाइल खरीदने की भी योजना बना रहा है. जापान के ये कदम विवाद खड़े कर सकते हैं, क्योंकि जापान का शांतिवादी संविधान अंतरराष्ट्रीय विवादों को सुलझाने के लिए इस तरह के बल प्रयोग पर प्रतिबंध लगाता है.
वहीं प्रधानमंत्री आबे ने उत्तर कोरिया के खिलाफ अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की नीति का समर्थन किया है. अमेरिका ने उत्तर कोरिया के मसले पर बातचीत से लेकर सैन्य कार्रवाई जैसे विकल्पों की संभावनाओं को खुला रखा है. जापान से पहले अमेरिका निर्मित यह सिस्टम रोमानिया और पोलैंड में इंस्टाल किया गया है. इस बीच जापान और दक्षिण कोरिया ने चीन से उत्तर कोरिया पर दबाव डालने की अपील की है. जापान के विदेश मंत्री तारो कोनो ने कहा है कि अमेरिका और उत्तर कोरिया के मतभेदों ने क्षेत्र में तनाव की स्थिति पैदा कर दी है.
कितना ताकतवर है उत्तर कोरिया
सालों तक अंतरराष्ट्रीय समुदाय उत्तर कोरिया की सैन्य शक्ति को कम करके आंकता रहा. आईसीबीएम का परीक्षण कर उत्तर कोरिया ने जता दिया है कि उसकी क्षमता ताकतवर देशों के अनुमान से कहीं ज्यादा है.
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आईसीबीएम दूसरी बार
उत्तर कोरिया के सरकारी टीवी पर प्रसारित एक बयान में कहा गया कि उत्तर कोरिया ने एक नयी तरह की इंटरकॉन्टिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) का परीक्षण किया है जिसका नाम ह्वासोंग-15 है. उत्तर कोरिया का दावा है कि वह अमेरिका के किसी भी हिस्से में मार कर सकता है.
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बड़ी कामयाबी
इस साल जुलाई में उत्तर कोरिया ने पहली बार अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल यानी आईसीबीएम का परीक्षण किया. अमेरिका ने भी इसकी पुष्टि की. आईसीबीएम का परीक्षण उत्तर कोरिया के लिए बड़ी कामयाबी है. इसका एक मतलब ये भी है कि इलाके में अमेरिका और उसके सहयोगियों के साथ उत्तर कोरिया का तनाव बढ़ेगा खासतौर से जापान और दक्षिण कोरिया के साथ.
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आईसीबीएम का दम
रक्षा मामलों के जानकार कह रहे हैं कि उत्तर कोरिया ने जिस आइसीबीएम का परीक्षण किया है वो अलास्का और हवाई द्वीप तक जा सकता है. हालांकि ये सवाल अब भी है कि क्या उत्तर कोरिया परमाणु ताकत से लैस आईसीबीएम को तैनात कर सकता है. उत्तर कोरिया के सरकारी मीडिया ने यह जरूर कहा है कि जिस आईसीबीएम का परीक्षण किया गया वह "भारी और विशाल परमाणु हथियार" ले जाने में सक्षम है.
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उत्तर कोरिया के परमाणु परीक्षण
आईसीबीएम को उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम की दिशा में बढ़ा एक और कदम कहा जा रहा है. पारंपरिक बैलिस्टिक मिसाइलों के परीक्षण के साथ ही उत्तर कोरिया ने पांच बार परमाणु परीक्षण किये हैं. 2016 में ही दो बार परमाणु परीक्षण हुआ. उत्तर कोरिया का दावा है कि आखिरी बार जिसका परीक्षण हुआ उसे रॉकेट से जोड़ा जा सकता है.
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सेना की ताकत
तकरीबन सात लाख लोगों के सक्रिय दल के अतिरिक्त इसके पास 45 लाख लोगों की रिजर्व फोर्स भी है. इसके अलावा शासन कभी भी इसकी एक तिहाई आबादी को सेना में सेवाएं देने के लिये बुला सकती है. देश के हर पुरूष के लिए किसी न किसी तरह का सैन्य प्रशिक्षण लेना अनिवार्य है और उन्हें किसी भी वक्त बुलाया जा सकता है.
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हथियारों का भंडार
साल 2016 के ग्लोबल फायरपावर इंडेक्स के मुताबिक उत्तर कोरिया के पास शस्त्रों की कोई कमी नहीं है. इसके भंडार में 76 पनडुब्बी, 458 फाइटर एयरक्राफ्ट और 5025 लड़ाकू विमान और 50 लाख से अधिक सेना अधिकारी हैं. साल 2013 की इस तस्वीर में कोरियाई नेता किम जोंग उन रणनीतिक बलों को अमेरिका और दक्षिण कोरिया के खिलाफ तैयार रहने के आदेश देते हुये नजर आ रहे हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
शक्तिप्रदर्शन में नहीं पीछे
हर साल राजधानी प्योंगयांग में होने वाली सैन्य परेड में सैकड़ों-हजारों की संख्या में सैनिक और आम नागरिक हिस्सा लेते हैं. इस परेड या अन्य किसी ऐसी रैली की तैयारी महीनों पहले शुरू कर दी जाती है. आमतौर पर ये परेड किम जोंग उन के परिवार या पार्टी के किसी सदस्य की सालगिरह के मौके पर होती है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/KCNA
नहीं किसी की परवाह
अंतरराष्ट्रीय समुदाय के दवाब और विरोध के बावजूद प्योंगयांग ने कभी परमाणु हथियारों को लेकर अपनी मंशाओं और महत्वाकांक्षाओं को नहीं छुपाया. बैलेस्टिक मिसाइल परीक्षण के अलावा उत्तर कोरिया ने पांच बार परमाणु परीक्षण भी किया है. इनमें से दो परीक्षण 2016 में किये. उत्तर कोरिया का दावा है कि उसने जिस आखिरी मिसाइल का परीक्षण किया है उसे रॉकेट के जरिये भी दागा जा सकता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/KCNA
दुश्मन बना जमाना
अमेरिका और उत्तर कोरिया की शत्रुता किसी से नहीं छिपी. लेकिन पड़ोस में भी इसके शत्रु कुछ कम नहीं. प्योंगयांग अपने पड़ोसी दक्षिण कोरिया और जापान को भी अपना बड़ा दुश्मन मानता है. उत्तर कोरियाई शासन इस क्षेत्र में अमेरिका के सैन्य अभ्यास को उसके खिलाफ एक साजिश बताता है. इसका दावा है कि अमेरिका, उत्तर कोरिया को निशाना बनाना चाहता है.
तस्वीर: Reuters/K. Hong-Ji
धीरज खोता अमेरिका
अमेरिका ने भी अपने कार्ल विल्सन विमान वाहक पोत को कोरियाई प्रायद्वीप में भेज कर संदेश दे दिया है कि वह उत्तर कोरिया के प्रति सावधानी बरत रहा है. जवाब में उत्तर कोरिया ने कहा कि वह अमेरिका के किसी भी तरह के हमले का जवाब देने को तैयार है. खुफिया एजेंसियों के मुताबिक उत्तर कोरिया अगले दो सालों में अमेरिका पर हमला करने की हालत में हो सकता है.
एए/आरपी