एक तरफ अंतरराष्ट्रीय समुदाय उत्तर कोरिया पर प्रतिबंध कड़े कर रहा है तो दूसरी तरफ रूस ने प्योंगयांग को तेल की सप्लाई बढ़ा दी है. रूस क्यों उत्तर कोरिया की मदद कर रहा है?
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परमाणु हथियार और लंबी दूरी की मिसाइलें बनाने में व्यस्त उत्तर कोरिया को संयुक्त राष्ट्र अलग थलग करना चाहता है. संयुक्त राष्ट्र ने उस पर कई कड़े प्रतिबंध लगाए हैं. लेकिन इन सबके बावजूद 2017 के पहले चार महीनों में रूस और उत्तर कोरिया के बीच कारोबार 85 फीसदी बढ़ चुका है.
रूस के कस्टम डाटा का हवाला देते हुए वॉयस ऑफ अमेरिका ने यह दावा किया है. दावे के मुताबिक जनवरी से मार्च की तिमाही में रूस और उत्तर कोरिया के बीच 3.18 करोड़ डॉलर का कारोबार हुआ. इस दौरान 2.2 करोड़ डॉलर का कोयला, 47 लाख डॉलर की लिग्नाइट और 12 लाख डॉलर का तेल बेचा गया. वहीं उत्तर कोरिया ने रूस को 4,20,000 डॉलर का सामान बेचा.
कड़े अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का असर उत्तर कोरिया और उसके पारंपरिक कारोबारी साझेदार चीन के व्यापार पर साफ देखा जा सकता है. बीजिंग ने तेल संकट की मार झेल रहे उत्तर कोरिया को फ्यूल ऑयल देना बंद कर दिया है. बीजिंग जाहिर कर रहा है कि वह उत्तर कोरिया के हथियार परीक्षण से नाराज है.
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने हाल ही में उत्तर कोरिया के नए मिसाइल परीक्षण को "खतरनाक" करार दिया. साथ ही पुतिन ने यह भी कहा कि, "हमें तुरंत उत्तर कोरिया को डराना बंद करना चाहिए और इस समस्या का एक शांतिपूर्ण हल खोजना चाहिए."
रूस के इन हथियारों से सहम जाती है दुनिया
शीत युद्ध के बाद से रूस को सैन्य रूप से कमजोर माना जाने लगा. लेकिन सीरिया के संघर्ष ने साफ कर दिया है कि रूस सैन्य रूप से बहुत ताकतवर है. रूस के पास ऐसे कई हथियार हैं जो मॉस्को को फिर से सुपरपावर बना सकते हैं.
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टी-14 टैंक
यह पांचवीं पीढ़ी का टैंक है. रूस ने इसे 2015 में लॉन्च किया. इस टैंक को रोबोटिक कॉम्बैट व्हीकल में भी बदला जा सकता है. हाल ही में रूस ने इस पर 152 एमएम की तोप लगाने का एलान किया है. रूसी उपप्रधानमंत्री दिमित्रि रोगोजिन के मुताबिक, यह तोप "एक मीटर मोटी स्टील की चादर को भेद सकती है."
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युद्धपोत प्योत्र वेलिकी
अटलांटिक महासागर में रूस के उत्तरी बेड़े का यह सबसे घातक युद्धपोत है. परमाणु ऊर्जा से चलने वाला यह युद्धपोत किरोव क्लास युद्धपोतों का हिस्सा है. नाटो इसे "विमानवाही पोतों का हत्यारा" कहता है. यह बैलेस्टिक मिसाइल को भी नष्ट कर सकता है.
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सुखोई टी-50
रूस का यह लड़ाकू विमान अमेरिका के हर तरह के लड़ाकू विमानों पर भारी पड़ता है. 2010 में पहली उड़ान के बाद रूस और भारत ने इसे साथ बनाने का फैसला किया. रणनीतिक साझीदारी के तौर पर रूस और भारत 2017 से इसे बड़े पैमाने पर बनाएंगे. लेकिन इस योजना पर वित्तीय मतभेद भारी पड़ रहे हैं.
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एस-400 मिसाइल
रफ्तार 17,000 किलोमीटर प्रति घंटा और 400 मीटर के दायरे में किसी भी लक्ष्य को भेदने की क्षमता के चलते पायलट इससे घबराते हैं. सीरिया के उडारान खामेमिम बेस में जब रूस ने इन मिसाइलों को तैनात किया तो अमेरिका को अपने लड़ाकू विमान वहां से हटाने पर मजबूर होना पड़ा. अब रूस एस-400 को और बेहतर कर रहा है.
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सुखोई एसयू-35
रूस का यह लड़ाकू विमान अमेरिका के एफ-16 पर भारी पड़ता है. इसका मुकाबला करने के लिए अमेरिका ने एफ-35 बनाया. लेकिन हाल ही में अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन के मुताबिक एफ-35 भी सुखोई से कमतर है. सुखोई एसयू-35 की तेज रफ्तार और जबरदस्त चपलता को टक्कर देना बहुत मुश्किल है.
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हाइपरसोनिक रॉकेट वाईयू-71
रूस काफी समय से परमाणु हथियारों के लिए हाइपरसोनिक मिसाइल बनाना चाहता था. "प्रोजेक्ट 4204" नाम के सीक्रेट कोड के साथ रूस ने वाईयू-71 बनाया. इसकी रफ्तार 12,000 किलोमीटर प्रतिघंटा है. जैन्स इंटेलिजेंस रिव्यू के मुताबिक यह मिसाइल आराम से नाटो के डिफेंस सिस्टम को भेद सकती है.
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लड़ाकू हेलीकॉप्टर एमआई-28एन
अमेरिकी कंपनी बोइंग के अपाचे लॉन्गबो लड़ाकू हेलीकॉप्टर रफ्तार और हथियारों की क्षमता के मामले में इससे पीछे हैं. रूस का यह हेलीकॉप्टर टैंक, बख्तरबंद गाड़ियों पर हमला कर सकता है. यह रात में भी उड़ता है.
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विमानवाही एडमिरल कुजनेत्सोव
एडमिरल कुजनेत्सोव दुनिया का अकेला विमानवाही पोत है जो कई तरह की एंटी बैलेस्टिक हथियारों और पनडुब्बी से लैस है. 1990 में पेश किया गया यह पोत अमेरिकी विमानवाही पोतों से उलट अकेला समंदर का सफर कर सकता है. वैसे 1991 में सोवियत संघ के विघटन के वक्त यह पोत यूक्रेन के हाथ लगने वाला था.
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Tupolev Tu-160M
टीयू-160एम इस वक्त दुनिया का सबसे बड़ा और भारी बमवर्षक है. रूसी पायलट इसे "सफेद हंस" कहते हैं. 2014 में आधुनिकीकरण के बाद टीयू-160एम की युद्ध क्षमता दोगुनी कर दी गई.
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परमाणु पनडुब्बी यूरी डोग्लोरुकी
बीते दशक में रूस ने बड़ी पनडुब्बियों के बजाए छोटी पनडुब्बियां बनानी शुरू कीं लेकिन यह जानलेवा साबित हुआ. यूरी डोग्लोरुकी के साथ रूस ने इस तकनीकी बाधा को दूर किया. साउंडप्रूफ होने की वजह से समंदर में इसका पता लगाना बहुत ही मुश्किल है. इसमें परमाणु हथियार लगाए जा सकते हैं.
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टोक्यो की टेम्पल यूनिवर्सिटी में अंतरराष्ट्रीय संबंधों के असोसिएट प्रोफेसर जेम्स ब्राउन के मुताबिक रूस और उत्तर कोरिया का बढ़ता कारोबार भले ही "आर्थिक मौकापरस्ती" हो, लेकिन ज्यादा देशों के लिए अच्छा संदेश नहीं है, "रूस उत्तर कोरिया को अलग थलग करने से बहुत चिंतित है और उसे लगता है कि अमेरिका के आक्रामक रुख से स्थिति खतरनाक होती जा रही है. मॉस्को का कहना है कि उत्तर कोरिया पर दबाव काम नहीं कर रहा है, बल्कि डर के कारण प्योंगयांग प्रतिक्रिया दे रहा है. इसीलिए रूस उसे अलग थलग करने के बजाए मिलकर काम करने का प्रस्ताव दे रहा है."
रूस ने हाल ही में उत्तर कोरिया और अपने पूर्वी पोर्ट व्लादिवोस्टॉक के फेरी रूट को खोलने का समर्थन किया है. जापान के कड़े विरोध के चलते यह प्रस्ताव अब भी लटका हुआ है. रूस उत्तर कोरिया का 10 अरब डॉलर का कर्ज माफ कर चुका है. मॉस्को उत्तर कोरिया के खस्ताहाल रेलवे सिस्टम में 25 अरब डॉलर के निवेश का एलान भी कर चुका है. आधारभूत संरचना पर इससे भी ज्यादा रकम खर्च की जाएगी. दोनों सरकारें एलान कर चुकी हैं कि रूस उत्तर कोरिया के पावर ग्रिड दुरुस्त करेगा. रूसी कोयला निर्यात करने के लिए दोनों देश आईसफ्री पोर्ट भी बनाएंगे.
असल में रूस को अपने पूर्वी इलाके की भी चिंता है. प्रोफेसर ब्राउन कहते हैं, "रूस को हमेशा इलाके में अमेरिका द्वारा तैनात किये जा रहे मिसाइल डिफेंस सिस्टम से चिंता होती है. दक्षिण कोरिया में थाड एंटी मिसाइल सिस्टम लग चुकी है. और अब जापान में एगिस सिस्टम लगाने की चर्चा हो रही है. इसके चलते रूस उत्तर कोरिया में सीधी दिलचस्पी ले रहा है."
सियोल की ट्रॉय यूनिवर्सिटी में अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रोफेसर डैनियल पिंक्सटन कहते हैं, "ऐसा लगता है कि पुतिन ने उदारवादी अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में उथल पुथल करने की नीति अपना ली है, इसके तहत कोई भी संस्थान जैसे नाटो, यूरोपीय संघ या फिर लोकतांत्रिक व्यवस्था" पर वह चोट कर रहे हैं.
पिंक्सटन के मुताबिक, "वह ऐसी अस्थिरता चाहते हैं जो रूस के हित साधे और कई मोर्चों पर, अमेरिका और उसके सहयोगियों के खिलाफ हाइब्रिड युद्ध. उत्तर कोरिया इस एजेंडे पर बिल्कुल फिट बैठता है क्योंकि वह वॉशिंगटन के लिए समस्याएं खड़ी करता है, अमेरिका को बांधे रखता है, उसके संसाधनों को निचोड़ता है और इलाके में उसके सहयोगियों के बीच मतभेद पैदा करता है." और उत्तर कोरिया भी इसका फायदा उठाना जानता है. वह कभी चीन के करीब जाता है तो कभी रूस के करीब.
(उत्तर पर कौन कौन से प्रतिबंध लगाए गए हैं)
उत्तर कोरिया पर कैसे कैसे प्रतिबंध
उत्तर कोरिया किसी भी तरह ज्यादा से ज्यादा परमाणु हथियार बनाना चाहता है. दुनिया को उनसे खतरा है, लेकिन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के ऐसे प्रतिबंध क्या उत्तर कोरियां पर बेड़ियां कस पाएंगे?
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कोयला
फरवरी 2017 में चीन ने उत्तर कोरिया से कोयले का आयात रोक दिया. प्रतिबंधों के तहत उत्तर कोरिया अब कड़ी निगरानी में सिर्फ 75 लाख मीट्रिक टन कोयला ही हर साल निर्यात कर सकेगा.
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मुद्रा
विदेशों में उत्तर कोरिया अपना कोई बैंक नहीं खोल सकता. संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों ने हर वित्तीय संस्थान पर प्योंग्यांग के लिए लेन देन करने पर भी रोक लगाई है. उत्तर कोरिया की किसी भी तरह की वित्तीय मदद प्रतिबंधों के दायरे में आती है.
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जहाजरानी
फिलीपींस के पास उत्तर कोरिया के मालवाहक जहाज की तलाशी, यह तस्वीर मार्च 2016 की है. यूएन के प्रतिबंधों के तहत प्योंग्यांग के किसी भी जहाज का पंजीकरण रद्द किया जाएगा. उत्तर कोरिया की सरकार के इशारों पर काम करने वाले चालक दल के सदस्यों को भी डीरजिस्टर किया जाएगा. जांच से बचने के लिए उत्तर कोरिया का जहाज किसी और देश के झंडे का भी इस्तेमाल नहीं कर सकता.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/J. Dumaguing
हवाई सेवाएं
उत्तर कोरिया की सरकारी एयरलाइन कंपनी एयर कोरयो सिर्फ चीन और रूस के लिए उड़ान भरती है. यूरोपीय संघ में सुरक्षा कारणों के चलते उसके उड़ान भरने पर प्रतिबंध है. अमेरिका अपने नागरिकों को एयर कोरयो के साथ किसी भी तरह का कानूनी कारोबार करने से रोकता है.
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ईंधन
उत्तर कोरिया के लोग विदेशी कारों की सवारी कर सकते हैं, लेकिन दूसरे देश प्योंग्यांग को एविएशन, जेट और रॉकेट फ्यूल नहीं बेच सकते. कच्चे तेल की सप्लाई की फिलहाल इजाजत है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/M. Ralston
बैंक खाते और रियल स्टेट
संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों के दायरे में विदेशों में तैनात उत्तर कोरिया के कूटनीतिक अधिकारी भी आते हैं. उत्तर कोरिया के बर्लिन दूतावास के कर्मचारी सिर्फ एक ही बैंक खाता खोल सकते हैं. कॉन्सुलेट खोलने के अलावा उत्तर कोरिया को विदेशों में किसी भी किस्म की प्रॉपर्टी खरीदने का अधिकार नहीं है..
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मिलिट्री ट्रेनिंग
उत्तर कोरिया की सेना विदेशी सेनाओं से कुछ न सीखें, प्रतिबंधो में इसका भी इंतजाम किया गया है. विदेशी सेनाओं के साथ उसके ट्रेनिंग करने पर प्रतिबंध है. इस प्रतिबंध के दायरे में पुलिस और अर्धसैनिक बल भी आते हैं. मेडिकल एक्सचेंज की छूट है.
तस्वीर: Reuters/S. Sagolj
प्रतिमाएं
उत्तर कोरिया के मूर्ति प्रेमी शासकों की किसी भी तरह की प्रतिमाएं विदेश नहीं पहुंचाई जा सकती हैं. इन पर भी प्रतिबंध है. दूसरे देशों में इन प्रतिमाओं की बिक्री पर प्रतिबंध है.