उत्तर प्रदेश और आगरा से शिवाजी का क्या लेना देना है?
समीरात्मज मिश्र
१५ सितम्बर २०२०
उत्तर प्रदेश में नामों को बदलने की सियासत जारी है. कई ऐतिहासिक इमारतों, शहरों और स्मारकों के नाम बदलने के बाद अब आगरा में बन रहे मुगल संग्रहालय का नाम बदलकर छत्रपति शिवाजी के नाम पर करने का फैसला किया है.
तस्वीर: UNI
विज्ञापन
आगरा मंडल की समीक्षा बैठक के बाद योगी आदित्यनाथ ने संग्रहालय के निर्माण कार्य में तेजी लाने का निर्देश देते हुए इसके नाम को बदलने की घोषणा की. मुख्यमंत्री ने इस बदलाव की वजह बताते हुए कहा, "हमारे नायक मुगल कैसे हो सकते हैं? शिवाजी महाराज हमारे नायक हैं.”
सरकार की ओर से जारी बयान के मुताबिक मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि "ऐसी किसी भी चीज को, जिससे दासता की मानसिकता की बू आती हो, हमारी सरकार द्वारा दूर किया जाएगा."
आगरा में ऐतिहासिक ताजमहल के पूर्वी गेट से करीब डेढ़ किमी दूर बन रहे इस संग्रहालय परियोजना को अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी की सरकार ने साल 2015 में मंजूरी दी थी. इसके लिए ताजमहल के पास छह एकड़ जमीन दी गई थी और इस संग्रहालय में मुगल संस्कृति, कलाकृतियों, चित्रों, भोजन, वेशभूषा, उस युग के हथियार जैसी चीजों को प्रदर्शित किया जाना था. पांच साल बीत जाने के बावजूद इस परियोजना में कुछ खास प्रगति नहीं हो पाई है.
निर्माण कार्य में तेजी लाने के निर्देश देते हुए मुख्यमंत्री ने घोषणा की है कि अब ना सिर्फ मुगल साम्राज्य के इतिहास से संबंधित चीजें इस संग्रहालय में रहेंगी बल्कि शिवाजी का इतिहास भी संग्रहालय में संरक्षित किया जाएगा. भारत में मुगल वंश ने 1526 से लेकर 1857 तक (बीच में कुछ समय छोड़कर) शासन किया था. मुगलों ने आगरा में ताजमहल और दिल्ली में लाल किला समेत तमाम ऐतिहासिक इमारतों का निर्माण कराया था.
ये भी पढ़िए: देखिए, ये हैं भारत में मौजूद विश्व धरोहर
देखिए, ये हैं भारत में मौजूद विश्व धरोहर
यूनेस्को सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, वैज्ञानिक और सामाजिक महत्व के स्थलों को अपनी विश्व धरोहर सूची में शामिल करती है. भारत में अभी ऐसे 36 स्थल है जिन्हें विश्व धरोहर घोषित किया गया है. एक नजर इनमें से कुछ अहम स्थलों पर.
तस्वीर: Imago/Xinhua
काजीरंगा नेशनल पार्क
असम में काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान दुनिया भर में एक सींग वाले गैंडों के लिए मशहूर है. वैसे यहां बाघ और अन्य जीव भी खूब पाए जाते हैं.
तस्वीर: DW
ताज महल
सफेद संगमरमर से बनी यह इमारत दुनिया भर में मोहब्बत की निशानी के तौर पर मशहूर है. 1983 में इसे यूनेस्को ने विश्व धरोहर घोषित किया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
बोध गया
बिहार में स्थित बोध गया दुनिया भर के बौद्ध श्रद्धालुओं के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में गिना जाता है. बताते हैं कि यहीं गौतम बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था.
तस्वीर: REUTERS/Krishna Murari Kishan
हुमायूं का मकबरा
मुगल बादशाह हुमायूं का मकबरा 1993 में विश्व धरोहर घोषित किया गया. दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में स्थित इस इमारत को हुमायूं की पहली रानी बेगा बेगम ने बनवाया था.
तस्वीर: Manan Vatsyayana/AFP/Getty Images
कुतुब मीनार
दिल्ली के महरौली में स्थित कुतुब मीनार का निर्माण 1192 में दिल्ली सल्तनत के संस्थापक कुतुबद्दीन ऐबक ने शुरू कराया जिसे 1220 में उसके उत्तराधिकारी इल्तुतमिश ने पूरा कराया.
तस्वीर: DW/N. Yadav
दिल्ली का लाल किला
मुगल बादशाह शाहजहां ने 1639 में लाल किले का निर्माण कराया. इसे 2007 में विश्व धरोहर घोषित किया गया. भारत के स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से ही प्रधानमंत्री का संबोधन होता है.
तस्वीर: AP
हम्पी
कर्नाटक में स्थित हम्पी 14वीं सदी में विजयनगर साम्राज्य का केंद्र हुआ करता था. आज भी यहां मौजूद मंदिर और परिसर गौरवशाली अतीत की याद दिलाते हैं.
तस्वीर: Getty Images/AFP/D. Sarkar
खजुराहो
खजुराहो के विश्व प्रसिद्ध मंदिर भारत के मध्य प्रदेश राज्य में हैं. कामुक प्रतिमाओं वाले ये मंदिर दुनिया भर के सैलानियों को अपनी तरफ खींचते हैं. इनका निर्माण चंदेल साम्राज्य के शासनकाल में 950 से 1050 ईसवी के बीच हुआ.
तस्वीर: imago/Indiapicture
छत्रपति शिवाजी टर्मिनस
मुंबई के इस ऐतिहासिक रेलवे स्टेशन का नाम पहले विक्टोरिया टर्मिनस था. 1887 में बना यह स्टेशन आज सेंट्रल रेलवे का मुख्यालय है. 2004 से यह यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में है.
तस्वीर: picture alliance/prisma/R. Jose Fuste
महाबलीपुरम
तमिलनाडु में स्थित महाबलीपुरम में 400 प्राचीन स्मारक और हिंदू मंदिर हैं. इनका निर्माण पल्लव साम्राज्य के शासनकाल के दौरान सातवीं और आठवीं सदी के बीच हुआ था.
तस्वीर: dpa
नालंदा
बिहार में स्थित नालंदा में प्राचीन विश्वविद्यालय के अवशेष मौजूद हैं जो पांचवी सदी से 1200 तक ज्ञान का एक महत्वपूर्ण केंद्र था. इसका निर्माण गुप्तकाल में किया गया था.
तस्वीर: Rajneesh Raj
कंचनजंघा
कंचनजंघा दुनिया में तीसरा सबसे ऊंचा पर्वत है जिसका एक हिस्सा नेपाल में और दूसरा हिस्सा सिक्किम में है. समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 8,586 मीटर है.
अहमदाबाद शहर का पुराना और ऐतिहासिक हिस्सा जुलाई 2017 से विश्व धरोहर है. इसे गुजरात सल्तनत के अहमद शाह प्रथम ने बसाया था. यह गुजरात सल्तनत की राजधानी था.
तस्वीर: dapd
पश्चिमी घाट
पश्चिमी घाट पर्वतों की एक श्रृंखला है जो भारतीय प्रायद्वीप के पश्चिमी तट के साथ समांतर रूप से चलती है. ये श्रृंखला गुजरात और महाराष्ट्र की सीमा से शुरू हो कर गोवा, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु तक फैली है.
तस्वीर: Luke Jaworski
सुंदरबन
बंगाल की खाड़ी के तटीय इलाकों में फैले विशाल वनों को सुंदरबन कहा जाता है. इसे 1997 में बांग्लादेश से यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया. लेकिन इसका काफी हिस्सा भारत में भी है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/M. Uz Zaman
नंदा देवी
नंदा देवी भारत की दूसरी सबसे ऊंची पर्वत चोटी है जबकि दुनिया में सबसे ऊंची चोटियों के मामले में यह 23वें नंबर पर आती है. 1988 में इसे यूनेस्को ने विश्व धरोहर घोषित किया.
तस्वीर: Imago/Indiapicture
सांची का स्तूप
सांची स्तूप का निर्माण ईसा पूर्व तीसरी सदी में सम्राट अशोक ने कराया था. भोपाल से पूर्वोत्तर में 46 किलोमीटर दूर स्थित ईटों से बना यह स्तूप एक अहम बौद्ध तीर्थ स्थल है.
तस्वीर: Imago/Indiapicture
अजंता की गुफाएं
अजंता की गुफाएं महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थित हैं. गुफाओं की दीवारों पर बने चित्र और आकृतियां प्राचीन भारतीय कला की बेहतरीन मिसाल पेश करती हैं.
तस्वीर: Imago/robertharding
एलोरा की गुफाएं
एरोला दुनिया भर में चट्टानों को काट कर बनाए गए सबसे बड़े मंदिर और गुफा परिसरों में से एक है. इनका निर्माण 600 से 1000 ईसवी के बीच हुआ और इन्हें विश्व धरोहर का दर्जा 1983 में मिला.
तस्वीर: Imago/Xinhua
एलिफेंटा गुफाएं
एलिफेंटा में भी चट्टानों को काट कर बनाए मंदिर और गुफाएं हैं. यहां स्थित मंदिर मुख्य रूप से हिंदू देवता शिव को समर्पित हैं. ये गुफाएं मुंबई के पास ही स्थित हैं.
तस्वीर: Imago/Xinhua
सूर्य मंदिर
ओडिशा के कोणार्क में स्थित सूर्य मंदिर का निर्माण 13वीं सदी में हुआ था. मंदिर सूर्य को समर्पित है और इसे रथ की आकृति में बनाया गया है. 1984 में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी.
तस्वीर: Imago/Xinhua
जंतर मंतर
जयपुर का जंतर मंतर 19 खगोलीय इमारतों का समूह है जिनका निर्माण राजपूत राजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने कराया था. ये यंत्र समय मापने, तारों की गति और स्थिति जानने और ग्रहण की भविष्यवाणी करने में सहायक हैं.
तस्वीर: Imago/UIG
आगरा का किला
भारत के मुगल सम्राट बाबर, हुमायुं, अकबर, जहांगीर, शाहजहां और औरंगजेब इसी किले में रहा करते थे और यहीं से पूरे भारत पर शासन करते थे. यह ताजमहल से लगभग ढाई किलोमीटर दूर स्थित है.
तस्वीर: Imago/United Archives International
फतेहपुर सीकरी
मुगल बादशाह अकबर ने 1571 में मुगल साम्राज्य की राजधानी के तौर पर फतेहपुर सीकरी की स्थापना की थी. लेकिन 1610 में पानी की कमी के कारण राजधानी फिर से आगरा ले जानी पड़ी.
तस्वीर: Imago/BE&W
गोवा को चर्च
कभी पुर्तगाली उपनिनेश रहे गोवा के चर्च भी यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल हैं. ओल्ड गोवा इलाके में कई पुराने चर्च हैं, जिनकी वास्तुकला दुनिया भर के सैलानियों को खींचती है.
तस्वीर: Imago/Indiapicture
25 तस्वीरें1 | 25
आगरा और शिवाजी?
मराठा शासक छत्रपति शिवाजी अपने जीवन के ज्यादातर समय में मुगलों से युद्ध करते रहे. शिवाजी ने साल 1674 में पश्चिमी भारत में मराठा साम्राज्य की नींव रखी थी. साल 1674 में रायगढ़ को उन्होंने अपनी राजधानी बनाया और एक मजबूत सेना का गठन किया. उन्होंने गुरिल्ला युद्ध की एक नई शैली भी विकसित की और जीवन भर मुगल शासक औरंगजेब से लोहा लेते रहे.
लेकिन कुछ जानकार आगरा के मुगल म्यूजियम का नाम शिवाजी के नाम पर रखे जाने पर हैरान हैं. इलाहाबाद विश्वविद्यालय में मध्यकालीन इतिहास विभाग के प्रोफेसर हेमंत चतुर्वेदी सवाल करते हैं कि आखिर मराठों का और छत्रपति शिवाजी का आगरा से क्या लेना-देना है? वह कहते हैं, "इस नाम बदलाव का कोई बौद्धिक आधार तो है नहीं. राजनीतिक आधार है और उसे मुख्यमंत्री ने भी स्पष्ट कर दिया है. रही बात नाम बदलकर शिवाजी के नाम पर करने की, तो शिवाजी आदर्श हो सकते हैं, पूज्य हो सकते हैं लेकिन उत्तर प्रदेश और आगरा से उनका जबरन रिश्ता तो नहीं जोड़ा जा सकता.”
वहीं विपक्ष का आरोप है कि योगी सरकार शहरों और ऐतिहासिक इमारतों के नाम बदल कर अपनी नाकामियों को छुपाना चाहती है. समाजवादी पार्टी की नेता जूही सिंह कहती हैं कि सरकार के पास उपलब्धियों के नाम पर कुछ है नहीं, इसलिए वह नाम बदलकर ही कुछ श्रेय पाने की कोशिश करती है. जूही सिंह कहती हैं, "सरकार इसके जरिए कुछ खास वर्ग को संदेश भले ही देना चाहती है लेकिन उसे यह नहीं मालूम कि देश और प्रदेश की बहुसंख्यक जनता इस तरह की धार्मिक कट्टरता को बर्दाश्त नहीं करती है और संविधान के बताए सेक्युलर मार्ग का ही पालन करती है.”
ये भी पढ़िए: 2000 साल पहले यहां एक समृद्ध शहर था
2000 साल पहले यहां एक समृद्ध शहर था
बहुत ही कम लोग जानते हैं कि सऊदी अरब में मक्का मदीना और तेल के साथ ही बहुत समृद्ध धरोहरें भी हैं. इन धरोहरों तक जाने की अब तक विदेशियों को अनुमति नहीं थी.
तस्वीर: Getty Images/AFP/F. Nureldine
पौराणिक सभ्यता
सऊदी अरब का दक्षिण पश्चिमी शहर अल उला प्राचीन काल में अहम कारोबारी ठिकाना हुआ करता था. यह शहर पुरातत्व संबंधी अवशेषों से भरा पड़ा है. ऐसी ही धरोहरों में यह गुंबद भी शामिल हैं.
तस्वीर: Getty Images/AFP/F. Nureldine
111 कब्रें
अल उला के पास ही मदा इन में भी एक आर्कियोलॉजिकल साइट है. यह 2008 से यूनेस्को विश्व धरोहर है. सन 2000 में यहां प्राचीन काल की 111 कब्रें मिलीं. कब्रों को चट्टान काटकर उसके भीतर बनाया गया था.
तस्वीर: Getty Images/AFP/F. Nureldine
हैरतंगेज इंजीनियरिंग
रेगिस्तान के बीच में हरा भरा इलाका. करीब 2000 साल पहले यहां रहने वाले लोग सिंचाई और खेती के एक्सपर्ट थे. नबातेन लोगों को हाइड्रॉलिक्स और फव्वारे बनाने का विशेषज्ञ माना जाता है. आज कई सदियों बाद भी यह बाग हरा भरा है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/F. Nureldine
संदेश छोड़ गए
यहां रहने वाला समुदाय चट्टानों पर अपना संदेश भी छोड़ गया है. अभी तक यह किसी की समझ में नहीं आया है कि इन संदेशों का अर्थ क्या है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/F. Nureldine
विरासत बचाने की कोशिश
2018 में सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने इन विरासतों को बचाने के लिए फ्रांस के साथ समझौता किया. रेतीली हवाओं के चलते ये धरोहरें धीरे धीरे नष्ट होती जा रही हैं.
तस्वीर: Getty Images/AFP/F. Nureldine
ऊपर से नजारा
पूरे इलाके का मुआयना करने के लिए एरियल सर्वे जरूरी था. दो साल तक अब पुरातत्व विज्ञानी इस इलाके की व्यापक समीक्षा करेंगे. हेलिकॉप्टरों, ड्रोनों और सैटेलाइटों का इस्तेमाल किया जा रहा है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/F. Nureldine
बर्बाद शहर का वीजा
अब तक बहुत ही कम और हाई प्रोफाइल लोगों को यहां आने का वीजा मिला हैं. इनमें ब्रिटेन के राजकुमार चार्ल्स जैसे नाम शामिल हैं. अब सऊदी अरब पहली बार आम लोगों को अल उला के लिए वीजा देने की तैयारी कर रहा है.
तस्वीर: picture-alliance/empics/J. Stillwell
पीआर एक्सरसाइज
मार्च में सऊदी अरब ने पहली बार पत्रकारों के एक ग्रुप को अल उला का दौरा कराया. महिला पत्रकारों के लिए हिजाब पहनने की शर्त भी नहीं थी. हो सकता है कि टूरिस्टों को भी ऐसी छूट दी जाए. यह सऊदी अरब के लिए अपनी छवि बेहतर करने का जरिया है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/F. Nureldine
व्यापक संसाधनों की जरूरत
तीन से पांच साल के भीतर अल उला में पर्यटक आने लगेंगे. लेकिन अभी वहां सिर्फ दो ही होटल हैं, जिनमें 120 लोग ही रह सकते हैं. (रिपोर्ट: आर्न्ड रिकमन/ओएसजे)
तस्वीर: Getty Images/AFP/F. Nureldine
9 तस्वीरें1 | 9
नाम में क्या रखा है
यूपी में योगी आदित्यनाथ सरकार ने अपने करीब साढ़े तीन साल के शासनकाल में कई शहरों के भी नाम बदल दिए जिनमें ऐतिहासिक शहर इलाहाबाद और फैजाबाद का नाम भी शामिल है.
साल 2018 में योगी आदित्यनाथ ने दीपावली के मौके पर फैजाबाद जिले का नाम बदलकर अयोध्या करने की घोषणा की थी. घोषणा के चंद दिनों बाद ही कैबिनेट में प्रस्ताव रखा गया और इस पर आधिकारिक मुहर लगा दी गई. अब फैजाबाद जिला अयोध्या हो गया है.
सीएम योगी ने साल 2018 के अंत में इलाहाबाद शहर का भी नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया था जबकि उससे पहले मुगलसराय रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर पंडित दीन दयाल उपाध्याय नगर कर दिया था. इलाहाबाद में जिले का नाम बदलने के अलावा मंडल का नाम भी बदल दिया गया. कोशिश तो इलाहाबाद विश्वविद्यालय और हाईकोर्ट का नाम बदलने की भी हुई लेकिन अभी तक यह संभव नहीं हो पाया है. हां, रेलवे स्टेशन का नाम भले ही बदलकर प्रयागराज कर दिया गया है.
बीजेपी के कुछ नेता कई अन्य ऐसे शहरों के नाम बदलने की भी मांग करते रहे हैं जिनके नाम इस्लामी नामों पर आधारित हैं. इनमें लखनऊ का नाम लक्ष्मणपुर करने, आजमगढ़ का नाम आर्यमगढ़ करने और सुल्तानपुर का नाम कुशभवनपुर करने की मांग समय-समय पर उठती रहती है. यहां तक कि आगरा का नाम बदलकर अग्रवन करने की मांग भी आए दिन होती रहती है.
आगरा शहर की स्थापना साल 1504 लोदी साम्राज्य के शासक सिकंदर लोदी ने की थी और इसे अपनी राजधानी बनाया था. बाद में कई मुगल शासकों ने भी आगरा को ही अपनी राजधानी बनाए रखा. बाद में मुगल शासक शाहजहां ने राजधानी को फिर से आगरा से दिल्ली स्थानांतरित कर दिया. आगरा में ताजमहल के अलावा फतेहपुर सीकरी, एतमादुद्दौला का मकबरा, आगरा किला जैसी कई अन्य ऐतिहासिक इमारतें हैं जिन्हें देखने के लिए हर साल लाखों की संख्या में पर्यटक आते हैं.