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उत्तर प्रदेश के आंगन में वादों की बरसात

३० जनवरी २०१२

गरीबों को दुधारू गाय, अल्पसंख्यकों को नौकरी, बेरोजगारों को भत्ता, छात्रों को टेबलेट,लैपटॉप, बुनकरों को पैकेज, रामभक्तों को मंदिर और शहरों को शानदार परिवहन अगले 5 साल में उत्तर प्रदेश को यह सब मिलेगा, चुनाव पास आ गए हैं.

तस्वीर: Suhail Waheed

उत्तर प्रदेश में इन दिनों वादों की बरसात हो रही है. कांग्रेस ने घोषणापत्र की बजाय 'विजन 2020' जारी किया है. उसमे 20 लाख नई नौकरियां, बुनकरों को 3000 करोड़ कापैकेज, दिल्ली की तर्ज पर प्रदेश के मुख्य शहरों में विश्वस्तरीय परिवहन व्यवस्था, 1000 की आबादी पर पेयजल, पिछड़े क्षेत्रों में विशेष विकास पैकेज, एक हजार कौशल विकास केंद्र और अल्पसंख्यकों को सरकारी नौकरियों में 4.5 फीसदी आरक्षण पर मुहरलगाने की बात कही है.

बीजेपी ने एक करोड़ नई नौकरियों के अलावा अयोध्या में राममंदिर के निर्माण में बाधाएं दूर करने, अल्पसंख्यकों के आरक्षण को खत्म करने केवादे के साथ बेरोजगारों को 2000 हजार रूपये बेरोज़गारी भत्ता , लोकायुक्त के दायरेमें मुख्यमंत्री को शामिल करने, छात्रों को 1000 रूपये में टैबलेट और 5000 रूपये में लैपटॉप , 12वीं तक के गरीब छात्रों को यूनिफॉर्म और किताबें मुफ्त साथ मेंबीपीएल परिवार को एक एक दुधारू गाय देने का वादा किया.

धर्म की आड़ में पहुंची बीजेपीतस्वीर: Suhail Waheed

वादों की नकल

समाजवादी पार्टी ने बीजेपी के वादों पर कहा कि उसके मेनिफेस्टो की नकल कीगई है, उसने किसानो के ५० हजार रूपये तक के कर्ज को माफ़ करने का एलान किया तोबीजेपी ने एक लाख का कर्ज माफ कराने का वादा कर दिया. एसपी ने बेरोज़गारी भत्ता अपनेपिछले शासनकाल में 500 रूपये महीना दिया था इस बार 1000 देने का एलान किया है. इसबार मुलायम सिंह ने ही युवाओं को सबसे पहले सस्ती दरों पर लैपटॉप देने का वायदाकिया .

मेनिफेस्टो का चक्कर ही नहीं

बीजेपी और एसपी का मेनिफेस्टोसबसे बड़ा यानी 72-72 पन्नों का है तो कांग्रेस का विजन डाक्यूमेंट 22 पेज का जारीहुआ है. सबसे पहले एसपी ने मेनिफेस्टो जारी किया. बीएसपी कभी कोई इलेक्शनमेनिफेस्टो जारी नहीं करती तो इस बार भी नहीं किया.पार्टी सुप्रीमो मायावती ने अपनेजन्मदिन 15 जनवरी को पार्टी के प्रत्याशियों की लिस्ट के साथ मतदाताओं से एक अपीलजारी कर दी. करीब 60 पेज की इस अपील में बीएसपी के शासनकाल की उपलब्धियां दर्जहैं, उन्ही के आधार पर वोट देने की अपील की गई है.

सबसे स्मार्ट नेता

लखनऊ यूनिवर्सिटी में समाज शास्त्र विभाग के प्रोफेसर राजेश मिश्र इन चुनावीवादों पर बिलकुल चकित नहीं हैं. डॉयचे वेले से कहते हैं, "हमारे देश में सबसेस्मार्ट हमारे नेता हैं, किसी मल्टीनेशनल कंपनी के वाइस प्रेसिडेंट से भी ज्यादास्मार्ट. चेहरे पर प्लास्टिक की मुस्कान के साथ हाथ जोड़कर वह कभी भी हमारे बीच आधमकते हैं, वोट की फरियाद में आधा झुक सकते हैं, तरह तरह के जतन कर वह वोट हासिल करही लेते है. सभी पार्टियों का यही हाल है, बीएसपी थोड़ी अलग है."

क्या कमाल कर सकेगी कांग्रेसतस्वीर: Suhail Waheed

प्रोफेसर राजेश की तर्ज पर ही उर्दू शायर आमिर रियाज कहते है," कौन पार पाया है इनसे, ये जो कहें सबठीक है, भरोसा करो या न करो इन पर क्या फर्क पड़ता है." सॉफ्टवेयर इंजीनियर अमितगुप्ता एक झटके से इन वादों को झूठ का पुलिंदा कहते हैं. जनवरी में ही 18 के हुए रशीद ने वोटर कार्ड बनवाया है, वोट डालेंगे लेकिन उन्हें जरा भी यकीन नहीं कि कोई पार्टी उन्हें वादे के मुताबिक सस्ता लैपटॉप या टेबलेट देगी.


प्रोफेसर राजेश इन पार्टियों की कथनी करनी का फर्क बताते हुए कहते हैं कि सभी पार्टियां राजनीति के अपराधीकरण पर चिंता व्यक्त करते हुए अपराधी चरित्र वाले लोगों को टिकट न देने का वादा कर चुकी हैं. इसके बावजूद इलेक्शन वॉच के मुताबिक एसपी के 55 उम्मीदवारों में 28 पर अपराधिक मुकदमे, बीएसपी के 55 में से 24 पर, बीजेपी के 55 में से 24 पर, कांग्रेस के 54 में से 15 पर, पीस पार्टी के 42 में से 12 पर, जदयू के 20 में 5 पर और आरएलडी ने जो एक प्रत्याशी उतारा है उस पर भी अपराधिक मुकदमा दर्ज है. प्रोफेसर राजेश सवाल करते हैं " कैसे इनके वादों पर कोई यकीन करे."

साइकिल की राह आसान नहींतस्वीर: Suhail Waheed

गाय से ज्यादा गरीब


बीजेपी ने जैसे ही अपना मेनिफेस्टो जारी किया और दुधारू गाय देने की खबर फैली लोग एफएम रेडियो स्टेशनों में फोन कर के कहने लगे के हमें भी चाहिए प्लीज कुछ कीजिये, रेडियो जॉकी ने इस तरह की कई फोन कॉल सुनवाईं. फिर चुटकुले शुरू हो गए कि कुछ बेरोजगारों ने सड़कों पर घूम रही गायों को पकड़ना शुरू कर दिया है. यह इसलिए कि अगर बीजेपी आ गई तो अच्छे दाम मिलेंगे. सच्चाई यह है कि यूपी में जितने गरीब हैं उतनी गायें नहीं हैं. सरकारी आकड़ों के मुताबिक यूपी में साढ़े ५ करोड़ बीपीएल परिवार हैं जबकि गायों की संख्या ढाई करोड़ भी नहीं है. ये शायद पहला मौका था जब रेडियो पर देर रात तक गायों का जिक्र चलता रहा. गाय के साथ सस्ती दरों पर लैपटॉप और टैबलेट देने के वायदे पर भी चुटकुले और चर्चा एफएम पर सुनाई देती रही.

रिपोर्टः एस वहीद, लखनऊ

संपादनः एन रंजन

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