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समाज

उत्तर प्रदेश में ‘ठाकुर’ ब्रांड के जूतों पर क्यों हुआ हंगामा

समीरात्मज मिश्र
६ जनवरी २०२१

उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में ‘ठाकुर’ ब्रांड जूते को लेकर हंगामा हो गया. पुलिस ने बजरंग दल के कार्यकर्ताओं की शिकायत पर जूता बेच रहे दुकानदार को पहले हिरासत में लिया लेकिन बाद में उसे रिहा कर दिया.

Symbolbild - stinkende Schuhe
सांकेतिक तस्वीर तस्वीर: Colourbox/D. Maruta

बुलंदशहर के गुलावठी इलाके में टाउन स्कूल के पास नासिर नाम का युवक सड़क किनारे पटरी पर दुकान लगाकर जूते बेचता है. उसकी दुकान पर जूता खरीदने गए विशाल चौहान नाम के एक युवक ने एक जूते के सोल पर ठाकुर लिखा देखा तो नाराज हो गया. युवक ने आरोप लगाया कि विरोध करने पर नासिर ने उससे मारपीट की. युवक ने इस मामले में पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई.

इस बीच, बजरंगदल के कुछ कार्यकर्ताओं ने पुलिस पर दबाव बनाया तो नासिर को हिरासत में ले लिया गया. हालांकि बाद में सोशल मीडिया पर काफी आलोचाना के बाद उसे छोड़ दिया गया. इस बारे में बुलंदशहर पुलिस ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि ‘युवक को इसलिए हिरासत में लिया गया क्योंकि दोनों पक्षों के बीच मारपीट की नौबत आ गई थी.'

शिकायतकर्ता विशाल चौहान ने एफआईआर में अपनी धार्मिक भावनाएं आहत होने की बात कही थी और दुकानदार के साथ ही जूते बनाने वाली कंपनी के खिलाफ भी कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने की मांग की थी. पुलिस ने दुकानदार नासिर को तो गिरफ्तार कर लिया लेकिन कंपनी पर नामजद एफआईआर की बजाय अज्ञात लिखकर केस दर्ज किया. बाद में नासिर को भी छोड़ दिया गया.

आहत हुई धार्मिक भावनाएं?

इस बारे में बुलंदशहर के नगर पुलिस अधीक्षक अतुल श्रीवास्तव का कहना था, "विवेचना में यह पता चला है कि धार्मिक भावनाएं आहत करने जैसी कोई बात नहीं है. अन्य धाराओं के तहत भी मुकदमा पंजीकृत किया गया है. जांच में जो बात सामने आएगी उसी के तहत आगे की कार्रवाई की जाएगी."

पुलिस हिरासत से बाहर आने के बाद नासिर ने मीडिया को बताया, "कुछ युवक सोमवार को मेरे ठीहे पर आए और सफेद सोल वाले जूते मांगे. जब युवकों को ठाकुर लिखा सफेद सोल वाला जूता नहीं मिला तो उन्होंने मोबाइल पर जूते का फोटो दिखाकर जाति वाला जूता निकलवाया और युवक हंगामा करने लगे. कुछ देर बाद पुलिस आई और मुझे उठा ले गई. मैं तो दिल्ली से जूते लाकर यहां बेचता हूं. कोई बनाता तो हूं नहीं. पिछले कई साल से ये जूते बेच रहा हूं."

बताया जा रहा है कि ठाकुर शूज आगरा की पुरानी और जूता बनाने वाली बड़ी कंपनी है, जो पिछले चालीस साल से ठाकुर ब्रांड के जूते बना रही है. इस कंपनी के जूते पश्चिमी उत्तर प्रदेश समेत दिल्ली तक बिकते हैं.

जाति सूचक शब्दों के इस्तेमाल पर हंगामा

यूपी में पिछले कुछ दिनों से जाति सूचक शब्दों के इस्तेमाल को लेकर हंगामा मचा हुआ है. इससे पहले, राज्य सरकार के परिवहन विभाग ने जातिसूचक शब्दों को गाड़ियों पर लिखने पर पाबंदी लगा दी थी. यूपी में कई जगहों पर जातिसूचक शब्दों जैसे- गुर्जर, ब्राह्मण, यादव, ठाकुर, क्षत्रिय, जाट इत्यादि को गाड़ियों पर लिखाने का काफी चलन है.

लेकिन पिछले हफ्ते इस पर पाबंदी लगाते हुए साफ कर दिया गया कि यदि बाइक या कार पर जातिसूचक शब्द किसी ने लिखाया तो उस पर कार्रवाई होगी और पकड़े जाने पर परिवहन अधिकारी गाड़ी का चालान करके जुर्माना वसूलेंगे. इस मामले में अपर परिवहन आयुक्त मुकेश चंद्रा ने आरटीओ और एआरटीओ प्रवर्तन को आदेश जारी करते हुए नियमानुसार कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं.

जातिसूचक शब्द लिखाने वालों के पकड़े जाने पर धारा 177 के तहत कार्रवाई की जा रही है. इसमें पहली बार में पांच सौ रुपये और दोबारा पकड़े जाने पर 1500 रुपये जुर्माना अदा करना पड़ेगा. पिछले एक हफ्ते में इस तरह से कई लोगों पर कार्रवाई की गई है.

हालांकि इस नए नियम के तहत जो पहली कार्रवाई हुई, वह सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई. नए प्रतिबंध के बाद पहला चालान कानपुर के रहने वाले आशीष सक्सेना का कटा. उन्होंने अपनी गाड़ी के नंबर प्लेट पर ‘सक्सेना जी' लिखा रखा था. पुलिस ने मोटर व्हीकल एक्ट 1988 की धारा 105 के तहत चालान काट दिया. मोटर वाहन एक्ट के मुताबिक नंबर प्लेट पर यदि नंबर के अलावा कुछ भी लिखा है, तो परिवहन विभाग ऐसे वाहन और वाहन मालिक के खिलाफ कार्रवाई कर सकता है.

दरअसल, पूरे उत्तर भारत में सिर्फ वाहन के नंबर प्लेट पर ही नहीं बल्कि उसके पीछे और आगे के शीशों पर भी जातिसूचक शब्द लिखवाने का चलन बहुत ज्यादा है. लोग न सिर्फ अपना नाम बल्कि अपना पद और घर-गांव का नाम भी गाड़ियों के आगे-पीछे के शीशों पर लिखा लेते हैं. जानकारों का कहना है कि इसकी वजह से कार चला रहे व्यक्ति को पिछला शीशा साफ नहीं दिखता और दुर्घटनाओं की आशंका बढ़ जाती है.

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