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बच्चों के यौन शोषण मामले में जेल भेजे गए बीजेपी नेता

१५ जनवरी २०२१

उत्तर प्रदेश के जालौन में बीजेपी के नगर उपाध्यक्ष राम बिहारी राठौर को बच्चों के साथ यौन शोषण के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. इस दौरान राठौर के यहां से जो चीजें मिली हैं, उन्हें देखकर पुलिस के भी होश उड़ गए.

Symbolbild - Kindesmissbrauch
तस्वीर: Imago Images/blickwinkel

जालौन के अपर पुलिस अधीक्षक अवधेश कुमार सिंह का कहना है कि राठौर के घर से पुलिस ने एक हार्ड डिस्क भी बरामद की है जिसमें कई आपत्तिजनक वीडियो भी मिले हैं. अवधेश कुमार सिंह के मुताबिक, "दो अलग-अलग मामले जालौन जिले के कोंच कोतवाली में आए हुए थे. दोनों ही मामलों में मुख्य अभियुक्त रामबिहारी राठौर हैं. उन पर केस दर्ज करके जेल भेज दिया गया है. पूरे प्रकरण की जांच चल रही है. इस मामले में कुछ और लोगों के शामिल होन की भी आशंका है. जो भी दोषी होंगे, वो छोड़े नहीं जाएंगे.”

पुलिस के मुताबिक अभियुक्त राठौर के पास से जो हार्ड डिस्क मिली है, प्रथमद्रष्ट्या उसकी जांच से पता चलता है कि वो नाबालिग बच्चों और महिलाओं का लंबे समय से यौन उत्पीड़न कर रहा है. रामबिहारी राठौर राजस्व विभाग में कानूनगो रहे हैं. नौकरी छोड़ने के बाद से वो भारतीय जनता पार्टी में जिला उपाध्यक्ष थे. लेकिन इस घटना के सामने आने के बाद उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया है.

हालांकि पुलिस की पकड़ में आने के बाद रामबिहारी राठौर ने खुद को निर्दोष बताते हुए कहा कि उन्हें फंसाया जा रहा है. मीडिया से बातचीत में राठौर ने कहा कि उन्होंने बच्चों पर चोरी का मुकदमा दर्ज कराया था जिसकी वजह से अब बच्चों के घर वाले उन्हें फंसा रहे हैं. लेकिन पुलिस को जो भी सामग्री उनके घर से मिली है, उससे पता चलता है कि राठौर ना सिर्फ बच्चों और महिलाओं का यौन शोषण करके लोगों को कथित तौर पर ब्लैकमेल कर रहे थे, बल्कि पुलिस को आशंका है कि उनके तार किसी बड़े गिरोह से भी जुड़े हो सकते हैं.

फाइलतस्वीर: AP

पुलिस के मुताबिक जालौन जिले की तहसील कोंच के भगतसिंह नगर के रहने वाले रामबिहारी राठौर पिछले कई वर्षों से मोहल्ले और आस-पास के इलाकों के बच्चों को अपने घर पर बुलाकर उन्हें नशीली दवा देकर उनका यौन शोषण करता था. अपने इस कृत्य को वह सीसीटीवी के जरिए वीडियो में कैद कर लेता था. पुलिस को राठौर के पास से ऐसे ढेरों वीडियो लैपटॉप और हार्डडिस्क में मिले हैं. पुलिस का कहना है कि इलाके के कई बच्चे उसके इस अनैतिक कार्य का शिकार हो चुके थे.

पिछले हफ्ते मोहल्ले के ही दो बच्चों ने अपने परिजनों को यह बात बताई तो मामला पुलिस तक पहुंचा. रामबिहारी राठौर ने पहले तो अपनी पहुंच का इस्तेमाल करते हुए बच्चों और उनके परिजनों पर दबाव बनाया लेकिन कुछ ही दिनों के भीतर ऐसी दर्जनों शिकायतें पुलिस के पास पहुंचने लगीं. पुलिस ने जब तलाशी ली तो राठौर के ठिकानों से उसे बड़ी संख्या में आपत्तिजनक चीजें मिलीं.

अनुमान लगाया जा रहा है कि राठौर ने सौ से ज्यादा बच्चों को अपना शिकार बनाया और उन्हें ब्लैकमेल किया. अपर पुलिस अधीक्षक अवधेश सिंह के मुताबिक रामबिहारी राठौर के खिलाफ अन्य धाराओं के अलावा पॉक्सो एक्ट के तहत भी मुकदमे दर्ज किए गए हैं. पुलिस के मुताबिक, अब तक ऐसे कई बच्चों की पहचान की जा चुकी है जो कि राठौर की दरिंदगी का शिकार बन चुके हैं.

कुछ समय पहले बुंदेलखंड इलाके के चित्रकूट में ही एक जूनियर इंजीनियर रामभवन को भी पुलिस ने ऐसे ही आरोप में गिरफ्तार किया था. सिंचाई विभाग के जेई रामभवन पर आरोप लगा था कि उन्होंने दो साल तक कई बच्चों का न सिर्फ यौन शोषण किया बल्कि डार्कवेब के माध्यम से वीडियो को अश्लील साइटों को भी बेचा और खूब पैसे कमाए.

जालौन में रामबिहारी राठौर की गिरफ्तारी के बाद झांसी स्थित साइबर थाने की टीम भी कोतवाली कोंच पहुंच गई और हार्डडिस्क को अपने कब्जे में लेकर जांच शुरू कर दी है. अपर पुलिस अधीक्षक अवधेश सिंह ने बताया कि अभियुक्त के खिलाफ सबूत जुटाए जा रहे हैं और हर एंगल से जांच की जा रही है.

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो यानी एनसीआरबी की रिपोर्ट कहती है कि बच्चों के साथ यौन शोषण के मामले में उत्तर प्रदेश सबसे आगे है जबकि उसके बाद महाराष्ट्र और फिर मध्य प्रदेश का नंबर आता है. हालांकि ये घटनाएं देश भर में ही लगातार बढ़ रही हैं.

दिल्ली के एक निजी संस्था में समाजशास्त्र पढ़ाने वाले सर्वेश कुमार कहते हैं कि कम उम्र में यौन शोषण की सबसे बड़ी समस्या ही यही होती है कि बच्चों को इस बात का पता ही नहीं चलता कि उनके साथ कुछ गलत हो रहा है. उनके मुताबिक, "पीड़ित को यह भी लगता है कि कहीं उसके घर वाले ही उस पर भरोसा न करें. दूसरे, यह काम ज्यादातर बच्चों के जानने वाले ही करते हैं. ऐसे में बच्चे और भी हिम्मत नहीं जुटा पाते. कुछ अपराधी और मानसिक विकार वाले लोग इसी बात का फायदा उठा लेते हैं.”

सर्वेश कुमार कहते हैं, "बच्चे न तो मजबूती के साथ प्रतिरोध कर पाते हैं और न ही उनमें यौन चेतना का विकास होता है. इस वजह से वे ऐसे अपराधियों के लिए ‘सॉफ्ट टारगेट' बन जाते हैं. ऐसे पीडित बच्चों में लड़के और लड़कियां दोनों ही होते हैं लड़कियों का अनुपात ज्यादा होता है.”

भारत में अपराध पर जारी होने वाली वार्षिक रिपोर्ट आखिरी बार साल 2017 में जारी की गई थी जो 2016 की घटनाओं पर आधारित थी. इसके बाद से कोई रिपोर्ट जारी नहीं हुई जबकि सालाना रिपोर्ट जारी नहीं होने पर विपक्ष लगातार सवाल भी उठाता रहा है.
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