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उत्तर प्रदेश में राशन कार्ड जमा करने का आदेश कहां से आया

समीरात्मज मिश्र
२८ मई २०२२

उत्तर प्रदेश में 50 हजार से ज्यादा लोगों ने वसूली के डर से राशन कार्ड वापस कर दिया. अब राज्य सरकार कह रही है कि ऐसा कोई आदेश नहीं दिया गया. आखिर कार्ड वापस करने की मुनादी किसके कहने पर हुई?

50 हजार से ज्यादा लोगों ने वापस कर दिये राशन कार्ड
50 हजार से ज्यादा लोगों ने वापस कर दिये राशन कार्डतस्वीर: Sharurabh Sharma/DW

इस महीने की शुरुआत से ही इस तरह की खबरें कई जिलों से आने लगीं और ये खबरें स्थानीय अधिकारियों के हवाले से छप रही थीं. कई जगह तो डुगडुगी पिटवाकर इस बारे में बाकायदा घोषणा की जा रही थी और इसका असर यह हुआ कि तमाम जिलों में लोग लाइनों में लगकर राशन कार्ड सरेंडर करने लगे.

बुलंदशहर जिले के रहने वाले रवींद्र पाल भी राशन कार्ड सरेंडर कर चुके हैं. उनका कहना था कि अखबारों और सोशल मीडिया के माध्यम से हमें इस बात की जानकारी मिली थी कि जो लोग अपात्र हैं वो राशन कार्ड सरेंडर कर दें वर्ना उनसे रिकवरी की जाएगी. रवींद्र पाल कहते हैं, "हमें पेंशन मिलती है इसलिए हमने अपना कार्ड सरेंडर कर दिया. हालांकि पेंशन बहुत कम मिलती है और उसमें खर्च नहीं चल सकता है लेकिन क्या करें. यदि रिकवरी की जाएगी तो हम कहां से देंगे.”

राशन कार्ड सरेंडर करने की लाइन

अलग अलग जिलों से राशन कार्ड सरेंडर करने और ना करने वालों से वसूली करने जैसी खबरें कई दिन तक अखबारों में छपती रहीं, टीवी चैनलों पर दिखती रहीं और लोग लाइनों में लगकर राशन कार्ड सरेंडर भी करने लगे लेकिन ना तो स्थानीय अधिकारियों ने और ना ही शासन की ओर से इस बारे में कोई स्पष्टीकरण दिया गया.

पिछले हफ्ते कांग्रेस पार्टी ने लखनऊ में एक प्रेस कांफ्रेंस की और राशन कार्ड के कथित नए नियमों और राशन वसूली को लेकर सरकार पर जमकर निशाना साधा. पार्टी ने कहा कि सरकार ने वोट लेने के लिए अपने नेताओं की तस्वीर लगे झोलों में भरकर खूब राशन बांटे और अब लोगों से उस राशन की वसूली करने पर उतारू है. पार्टी ने इसे राज्य सरकार की क्रूरता का नमूना तक बता दिया.

लोगों ने लाइन में लग कर जमा किये राशन कार्डतस्वीर: Sharurabh Sharma/DW

'कार्ड जमा करने का कोई आदेश नहीं'

इसके तुरंत बाद ही राज्य के खाद्य एवं रसद आयुक्त सौरव बाबू की ओर से एक बयान जारी किया गया कि ये सारी खबरें फर्जी और भ्रामक हैं, किसी तरह की वसूली करने या फिर राशन कार्ड सरेंडर करने के कोई आदेश जारी नहीं किए गए हैं. बयान में यह भी कहा गया कि राशन कार्डों का नियमित रूप से सत्यापन होता है वो अपने तरीके से और अपने समय से किया जाएगा.

खाद्य एवं रसद आयुक्त के बयान में यह भी कहा गया कि राशन कार्डों के लिए वही नियम लागू हैं जो 7 अक्टूबर 2014 को लागू थे यानी राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून बनने के बाद. जिन नए नियमों की चर्चाएं मीडिया में चल रही थीं, उनका जिक्र करते हुए बयान में उन्हें गलत बताया गया. इससे पहले राज्य के सूचना और जनसंपर्क विभाग ने भी ऐसी खबरों को फेक न्यूज बताते हुए लोगों को सावधान रहने को कहा.

इस मामले में खाद्य आयुक्त की ओर से यह स्पष्टीकरण जरूर आया है कि ये खबरें भ्रामक हैं लेकिन इस तरह के आदेश कुछ जिलों में निकाले गए थे और कुछ जगहों पर लाउडस्पीकर के जरिए इससे संबंधित घोषणाएं भी की गई थीं जिन्हें अखबारों में प्रकाशित भी किया गया था और टीवी चैनलों पर दिखाया भी गया था.

अधिकारियों ने दिये आदेश

बांदा, झांसी, कन्नौज, गोरखपुर, लखनऊ, गोंडा इत्यादि कई जिलों में अधिकारियों की ओर से ऐसे आदेश निकाले गए थे और कुछ टीवी चैनलों में हमीरपुर और कुछ अन्य जगहों पर कार्ड सरेंडर करने वालों की लंबी लाइनें भी दिखाई गई थीं.

राशन कार्ड बिना पड़ताल के ही बनने के आरोप लग रहे हैंतस्वीर: Sharurabh Sharma/DW

ऐसे में सवाल उठता है कि जब सरकार की ओर से ऐसे निर्देश नहीं थे तो जिले के अधिकारियों की ओर से ये निर्देश कैसे जारी हुए और यदि यह योजना सरकार की नहीं है तो क्या उन अधिकारियों के खिलाफ ऐसी कोई कार्रवाई होगी, जिन्होंने मनमाने तरीके से ये नियम निकाल दिए थे. यही नहीं, पिछले करीब दो हफ्ते से जब ऐसी खबरें छप रही थीं तो क्या संबंधित जिले के अधिकारियों और शासन के अधिकारियों तक ये बात नहीं पहुंच पाई.

गत 20 मई को मिर्जापुर के जिला खाद्य आपूर्ति अधिकारी उमेश कुमार ने मीडिया से बातचीत में कहा कि राज्य सरकार ने हाल ही में निर्देश दिये थे कि जो लोग राशन कार्ड पात्रता की श्रेणी में नहीं आते हैं उन लोगों से अपील कर दी जाए कि वो उस कार्ड को सरेंडर कर दें. यदि बाद में जांच हुई और अपात्र पाये गये तो उनसे नियमानुसार वसूली की कार्रवाई की जाएगी. अब तक उन्होंने जितना भी राशन लिया होगा उसकी रिकवरी की जाएगी जिसमें गेहूं 24 रुपये प्रति किलो और चावल 32 रुपये प्रति किलो की दर से वसूला जाएगा.

इसके अलावा 13 मई को मुरादाबाद के जिलाधिकारी शैलेंद्र कुमार सिंह ने मीडिया से बातचीत में कहा था कि लोगों को मौका दिया गया है कि जो अपात्र हैं, वो अपना राशन कार्ड खुद सरेंडर कर दें. नहीं तो जांच में अपात्र पाये जाने पर उनसे अभी तक लिये गये अनाज की वसूली की जाएगी. इस तरह से कई जिलों में स्थानीय अधिकारियों की ओर से फरमान जारी किए गए थे.

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राशन कार्ड की शर्तें

ना सिर्फ राशन कार्ड सरेंडर करने और रिकवरी करने से संबंधित स्थानीय अधिकारियों के फरमान से लोगों में दुविधा हुई बल्कि पात्रता की कुछ ऐसी शर्तें भी बताई जा रही थीं जिन्हें लेकर लोगों में भ्रम रहा. मसलन, यदि किसी के पास पक्का मकान, लाइसेंसी हथियार इत्यादि है तो राशन कार्ड कटवाना होगा, जबकि ऐसा कोई नियम नहीं है.

बुलंदशहर में राशन कार्ड विभाग का दफ्तर तस्वीर: Sharurabh Sharma/DW

यही नहीं, सरकार ने खुद कहा है कि पिछले दो साल में करीब तीस लाख नए राशन कार्ड जारी किए हैं. तो क्या राशन कार्ड जारी करते समय यह नहीं देखा गया कि कौन पात्र है और कौन अपात्र? या फिर तब इसलिए ज्यादा से ज्यादा राशन कार्ड जारी कर दिए गए क्योंकि सरकार को चुनाव का भी सामना करना था. बड़ा सवाल तो यह भी है कि क्या सरकार उन अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई करेगी जिन्होंने इस तरह के आदेश अपने स्तर पर जारी कर दिए.

शर्तों में कोई बदलाव नहीं

हालांकि सरकार अब यह जानने की कोशिश कर रही है कि ये आदेश कैसे जारी किए गए और यह मामला इतना बड़ा कैसे हो गया. राशन कार्ड की पात्रता-अपात्रता संबंधी दिशा-निर्देश पहले से ही मौजूद हैं और सरकार ने उन नियमों में किसी तरह का परिवर्तन नहीं किया है.

राज्य के खाद्य एवं रसद राज्यमंत्री सतीश शर्मा कहते हैं, "विभिन्न जिलों में किसके आदेश पर डुगडुगी बजवाकर वसूली की चेतावनी दी गई, इस संबंध में अधिकारियों से रिपोर्ट भेजने का कहा गया है. वसूली का तो प्रावधान ही नहीं है, पता नहीं यह कैसे किया गया. हां, सत्यापन एक नियमित प्रक्रिया है और वह होता रहता है. हम तो इस योजना से लोगों को जोड़ रहे हैं. एक अप्रैल से 17 मई तक 1.17 लाख लोगों के कार्ड बनाए गए हैं.”

अब तक पचास हजार से ज्यादा लोग ऐसी ही भ्रामक सूचनाओं के आधार पर अपने राशन कार्ड सरेंडर कर चुके हैं. हालांकि कई लोग ऐसे भी हैं जो जरूरतमंद हैं और राशन कार्ड की पात्रता की शर्तों का पालन भी करते हैं लेकिन जो भ्रामक नियम और शर्तें प्रसारित की गईं, उनकी वजह से बहुत से लोगों को अपने कार्ड सरेंडर करने पड़े.

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बिना जांच के राशन कार्ड

गाजियाबाद की रहने वाली विमला शर्मा भी एक हफ्ते पहले राशन कार्ड सरेंडर कर आईं. उनका कहना था, "कार्ड बनवाते समय तो कोई जांच पड़ताल नहीं हुई, अब कहा जा रहा है कि वसूली की जाएगी. घर में कोई कमाने वाला नहीं है, पांच लोगों का परिवार है. किसी तरह गुजर-बसर होता है. राशन मिल रहा था तो थोड़ी राहत थी.”

बहरहाल, अब सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि राशन कार्ड का सत्यापन जरूर होगा लेकिन वसूली या रिकवरी जैसे कोई प्रावधान नहीं हैं. हालांकि इस तरह के फरमान जारी करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई होगी या नहीं इस पर कुछ नहीं कहा गया है. अगर कार्रवाई होती है तो तब तो यह साफ हो जायेगा कि शासन की ओर से ऐसे कोई आदेश जारी नहीं किए थे लेकिन यदि कार्रवाई नहीं होती है तो इसका मतलब यही है कि सरकार की भी यही मंशा थी. अधिकारियों के माध्यम से तो वो सिर्फ लोगों की प्रतिक्रिया का अंदाजा लगाना चाहते थे. 

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