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'उत्तर भारत की मानसिकता में दिक्कत'

२५ दिसम्बर २०१२

मशहूर सूफी गायक रब्बी शेरगिल का कहना है कि उत्तर भारत का इतिहास ही कुछ ऐसा रहा है कि लोग यहां महिलाओं को अलग नजर से देखते हैं. वह चाहते हैं कि अब सरकार लोगों की मानसिकता बदलने के लिए कुछ ठोस करे.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

दिल्ली में छात्रा से सामूहिक बलात्कार के मामले में अब नामी हस्तियां भी अपनी राय देने लगी हैं. मंगलवार को रब्बी शेरगिल ने खुलकर वह बात कह दी, जो कई लोग नहीं कह पा रहे थे. सूफी गायक ने उत्तर भारत में महिलाओं के साथ होने वाले व्यवहार की निंदा की. समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत में उन्होंने कहा, "यहां उत्तर भारत में महिलाओं के सम्मान की तहजीब ही नहीं है. बाहर निकलते समय उन्हें दो बार सोचना पड़ता है." रब्बी ने कहा कि अगर गोवा या महाराष्ट्र की बात की जाए तो वहां दिखता है कि किस तरह से उनकी संस्कृति में महिलाओं का आदर किया जाता है.

दिल्ली में महिलाओं के साथ हो रहे बर्ताव पर नाराजगी जताते हुए उन्होंने कहा, "महिलाओं में भी पैसा कमाने की उतनी ही क्षमता होते है जितनी पुरुषों में, वे उतनी ही योग्य हैं, लेकिन दिल्ली के कुछ इलाकों में आज भी उन्हें इज्जत नहीं मिल पाई है." दिल्ली में पुरुषों की मानसिकता पर रब्बी काफी गुस्से में दिखे, "उन्हें (महिलाओं को) इस्तेमाल कर फेंक देने वाली चीज की तरह देखा जाता है. यह अस्वीकार्य है. मुझे यह देख कर बहुत ठेस पहुंचती है."

बलात्कार के बाद दिल्ली में उग्र प्रदर्शनतस्वीर: Reuters

रब्बी का कहना है कि सरकार को चाहिए कि लोगों के सोचने के तरीके में बदलाव लाए. उत्तर भारत के इतिहास का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, "दिल्ली और आस पास के इलाकों में कभी औरतों को इज्जत देने की तहजीब ही नहीं थी, शायद इसका कारण इतिहास में छिपा है. हमें कई हमलों का सामना करना पड़ा. बाहर कहीं से आदमी आ कर औरतों को उठा कर ले जाते थे. इसीलिए हमने उन्हें अपने पतन का कारण समझना शुरू कर दिया."

रब्बी कहते हैं कि भले ही वह समय चला गया हो जब महिलाओं को मुसीबत की जड़ समझा जाता था लेकिन लोगों की सोच आज भी पूरी तरह बदल नहीं पाई है, "अब वजह वह नहीं बची है, इसीलिए अब जरूरी है कि सरकार इस पर ध्यान दे और सुनिश्चित करे कि महिलाओं को सम्मान भरी नजरों से देखा जाए."

'बुल्ला की जाना मैं कौन' गाने से प्रसिद्धि पाने वाले सूफी गायक खुद चार बहनों के भाई हैं और कहते हैं कि इसी कारण वह अच्छी तरह समझते हैं कि घर से बाहर निकल कर महिलाओं को किन किन परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

आईबी/ओएसजे (पीटीआई)

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