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७ अक्टूबर २०१२

यूरोप की 20 प्रतिशत कंपनियां साइबर हमले से प्रभावित होती दिख रही हैं. आम तौर पर हैकर्स और हमलावर कंपनियों से पैसों की मांग करते हैं और कंपनियां अपना पल्ला छुड़ाने के लिए ऐसा करने को तैयार हो जाती हैं.

तस्वीर: Fotolia/Kobes

बैंकिंग के लिए अब आम तौर पर लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करने लगे हैं. इंटरनेट कनेक्शन के साथ कहीं भी, कभी भी आप अपना अकाउंट देख सकते हैं. घर पर, दफ्तर में, सोफे पर या चलते फिरते मोबाइल पर. जर्मन फेडरल बैंक संघ का सर्वे बताता है कि 18 साल से ज्यादा उम्र के आधे से ज्यादा जर्मन ऑनलाइन बैंकिंग कर रहे हैं. बैंक अधिकारियों का मानना है कि इससे उनका बहुत ज्यादा समय बचता है. लेकिन अगर बैंक की वेबसाइट पर हैकर्स ने धावा बोल दिया है, तो एक साथ कई लोग परेशान हो सकते हैं.

यूरोपीय संघ का कहना है कि हर पांचवीं कंपनी ने 2010 में साइबर हमले की शिकायत की है. जर्मनी और यूरोप के बड़े बैंकों ने पिछले हफ्ते इस बात की जांच की कि वे साइबर हमलों के लिए कितने तैयार हैं. इस प्रयोग के बाद जो नतीजे आए हैं, उन्हें अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है.

इस तरह की घटनाएं अमेरिका में भी देखने को मिली हैं. कई बैंकों की वेबसाइट डाउन हो गई. इसके कुछ देर बाद वेब पर एक संदेश दिखा, जिसमें कहा गया कि उन्होंने ही इस वेबसाइट पर हमला किया है. हमलावरों ने दावा किया कि जब तक इंटरनेट पर इस्लाम विरोधी फिल्म पड़ी रहेगी, तब तक वे इस तरह के हमले करते रहेंगे.

धार्मिक और राजनीतिक वजहों के अलावा वित्तीय वजह भी हैं, जिसके लिए हमलावर वेबसाइटों को निशाना बनाते हैं. वेब सिक्योरिटी के एक्सपर्ट पैट्रिक हॉफ का कहना है कि कुछ लोग तो पैसे कमाने के लिए ऐसा करते हैं. उनकी टीम रेट टीम पेनटेस्टिंग कंपनियों की आईटी तकनीक की जांच करती है.

हॉफ का कहना है, "जब हैकरों को कमजोर कड़ी दिखने लगती है, तो वे कंपनियों के साथ ब्लैकमेलिंग का खेल शुरू कर देते हैं. कंपनियां उन्हें पैसे देकर अपना पीछा छुड़ा लेती हैं. जो गड़बड़ियां होती हैं, उन्हें सुलझाना आम तौर पर पैसे देने से ज्यादा खर्चीला होता है." हॉफ का कहना है कि इस तरह के हमलों से बचना लगभग नामुमकिन होता है.

उन्होंने बताया कि हैकर्स का काम बहुत चतुराई से होता है. वे सबसे पहले ग्राहकों के कंप्यूटर तक पहुंच बनाते हैं और फिर वहां से सर्वर पर संदेश भेजते हैं. यह पता कर पाना बहुत मुश्किल होता है कि यह संदेश कोई ग्राहक भेज रहा है या हैकर.

हालांकि इस तरह के हमले ज्यादा खतरनाक नहीं होते हैं. बैंकों की वेबसाइट हैक करके उससे पैसे नहीं निकाले जा सकते. हां, उसे कुछ देर के लिए रोका जरूर जा सकता है.

रिपोर्टः अने अलमेलिंग/एजेए

संपादनः मानसी गोपालकृष्णन

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