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उन्नाव गैंगरेप: नहीं बच पाई पीड़ित लड़की,आखिर दोषी कौन?

७ दिसम्बर २०१९

उन्नाव में गैंगरेप पीड़ित लड़की की मौत के बाद उसके गांव में मातम पसरा है. गुस्साए परिजन दोषियों को तुरंत सजा देने की मांग कर रहे हैं.

Indien Unnao Vergewaltigungsopfer gestorben
तस्वीर: DW/S. Mishra

गुरुवार को सुबह रेलवे स्टेशन जाते वक्त पीड़ित लड़की को कुछ लोगों ने कथित तौर पर पहले मारा-पीटा, उसके बाद आग के हवाले कर दिया. उन्नाव जिला अस्पताल और लखनऊ के सिविल अस्पताल से पीड़ित लड़की को गंभीर अवस्था में दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल पहुंचाया गया जहां शुक्रवार देर रात उसकी मौत हो गई.

लड़की की मौत की खबर के बाद ही लोगों में गुस्सा बढ़ गया, सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं आने लगीं और राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने प्रदर्शन शुरू कर दिए. शनिवार सुबह ही कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचीं और सरकार के खिलाफ जमकर गुस्सा निकाला. वहीं समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव लखनऊ में विधानसभा के बाहर ही धरने पर बैठ गए जबकि पूर्व मुख्यमंत्री और बीएसपी नेता मायावती ने राज्यपाल से मिलकर राज्य में गिरती कानून व्यवस्था पर उन्हें एक ज्ञापन सौंपा.

तस्वीर: DW/S. Mishra

इस बीच, उन्नाव के हिन्दूनगर गांव में पीड़ित लड़की के घर आम लोगों, मीडिया वालों और पुलिस बल का जमावड़ा लगा हुआ है. परिवार के लोग गमगीन हैं और बेटी के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं. पीड़ित लड़की के पिता का कहना था, "कोई भी कानून हमारी बेटी को तो वापस नहीं ला सकता है लेकिन हम चाहते हैं कि दोषियों को वही सजा दी जाए जो हैदराबाद में रेप पीड़ित लड़की के दोषियों को दी गई है.”

पीड़ित लड़की ने इसी साल मार्च महीने में गांव के दो लड़कों के खिलाफ गैंगरेप का मुकदमा दर्ज कराया था. परिवार वालों का आरोप है कि पुलिस ने तमाम कोशिशों के बावजूद मुकदमा नहीं दर्ज किया लेकिन जब कोर्ट से आदेश मिला तब जाकर एफआईआर लिखी गई. एफआईआर के आधार पर शिवम त्रिवेदी नाम के एक अभियुक्त को गिरफ्तार किया गया था जो कुछ दिन पहले ही जमानत पर बाहर आया है.

गुरुवार को पीड़ित लड़की मुकदमे की सुनवाई के सिलसिले में ही रायबरेली जा रही थी जिस वक्त उसके ऊपर हमला हुआ. मजिस्ट्रेट को दिए लड़की के बयान के आधार पर गांव के ही पांच लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया. सभी अभियुक्तों को शुक्रवार को सीजेएम की कोर्ट में पेश किया गया जहां से उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.

दूसरी ओर गांव में ही रहने वाले अभियुक्तों के परिजन उन्हें निर्दोष बता रहे हैं. अभियुक्तों के परिवार की कुछ महिलाओं ने मीडिया से बातचीत में बताया कि उनकी बात सुनने वाला कोई नहीं है जबकि उनके घर के लोगों को जबरन किसी साजिश के तहत फंसाया जा रहा है. मुख्य अभियुक्त शिवम त्रिवेदी की मां कहती हैं कि लड़की के परिजनों की ओर से ये झूठा दावा किया जा रहा है कि उनके बेटे ने उस लड़की से शादी की थी. हालांकि इस बारे में दोनों ने शादी से संबंधित एक अनुबंध पत्र पर हस्ताक्षर किए थे लेकिन शिवम की मां उस अनुबंध पत्र को फर्जी बता रही हैं.

तस्वीर: DW/S. Mishra

दरअसल, पीड़ित लड़की और मुख्य अभियुक्त शिवम त्रिवेदी की दोस्ती पिछले कई साल से थी. गांव के एक व्यक्ति ने नाम ना बताने की शर्त पर कहा कि दोनों अक्सर साथ में बाहर जाते थे. जब लड़की की ओर से शादी का दबाव बनाया जाने लगा तो लड़के ने उससे किनारा करना शुरू कर दिया. बताया जा रही है कि दोनों के बीच यही अदावत इस कदर दुश्मनी में बदल गई कि लड़की ने उसके खिलाफ गैंगरेप का मुकदमा दर्ज करा दिया.

वहीं हिन्दूनगर गांव की प्रधान शांति देवी के पति और उनके बेटे को भी गिरफ्तार किया गया है. शांति देवी सवाल करती हैं कि यदि उनके बेटे ने ऐसा जघन्य अपराध किया होता तो इतनी आसानी से वो घर में आकर कैसे सो जाता? पीड़ित लड़की ने गैंगरेप की जो एफआईआर दर्ज कराई थी उसमें प्रधान शांति देवी के बेटे शुभम त्रिवेदी का नाम भी शामिल था. हालांकि उसकी गिरफ्तारी नहीं हुई थी.

गांव वालों की मानें तो दोनों परिवारों में दो साल पहले तक काफी अच्छे संबंध थे. यही नहीं, पीड़ित परिवार के संबंध गांव के प्रधान से भी बहुत अच्छे थे. लड़की के पिता खुद इस बात को स्वीकार करते हैं कि उन्होंने चुनाव में प्रधान की मदद की और प्रधान ने उन्हें आर्थिक और अन्य मदद दी. लड़की के पिता के मुताबिक, शिवम उनके यहां अक्सर आता था और बेटे जैसा था लेकिन शादी की जब बात होने लगी तो संबंधों में खटास आ गई.

पीड़ित लड़की के पिता का आरोप है कि उन्हें अभियुक्तों की ओर से अक्सर धमकाया जाता था और गांव छोड़ देने की धमकी दी जाती थी. उनके मुताबिक, इसकी शिकायत कई बार पुलिस से की गई लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.

फाइलतस्वीर: Reuters/S. Siddiqui

गांव के लोग इस घटना पर खुलकर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं. अभियुक्तों के पक्ष में वही लोग बोल रहे हैं जो उनके करीबी हैं और पीड़ित पक्ष में भी उनके करीबी पीड़ितों के समर्थन में बोल रहे हैं. हालांकि अनौपचारिक बातचीत में कुछ लोग लड़की को जलाए जाने संबंधी घटना को लेकर यह आशंका भी जताते हैं कि गांव के जो लोग अभियुक्त बनाए गए हैं, वो ऐसा नहीं कर सकते हैं. इसके पीछे उनका तर्क है कि इन लोगों ने इससे पहले गांव में ना तो कोई अपराध किया है और ना ही पुलिस रिकॉर्ड में इनके नाम कोई केस दर्ज है.

लेकिन सवाल ये भी उठता है कि यदि इन लोगों ने ऐसा नहीं किया तो दूसरा कौन ऐसा कर सकता है क्योंकि लड़की ने किसी और के खिलाफ कभी कोई शिकायत भी नहीं दी है और ना ही उसकी किसी के साथ लड़ाई थी. यहां तक कि लड़की के परिवार वालों की भी किसी से कोई लड़ाई नहीं थी. गांव के एक बुजुर्ग राम लाल बताते हैं कि वो दोनों ही परिवारों को बचपन से जान रहे हैं. दोनों के परिवार में कभी कोई ऐसा नहीं रहा जिसकी वजह से गांव में ऐसी कोई वारदात हुई हो या कोई समस्या आई हो.

पुलिस का कहना है कि वह हर एंगल से मामले की जांच कर रही है. राज्य के डीजीपी ओपी सिंह के मुताबिक, "पुलिस ने घटना के कुछ घंटों के भीतर ही अभियुक्तों को गिरफ्तार कर लिया. हमने सारे साक्ष्य जुटाए हैं और हर पहलू से जांच की जा रही है. जो भी दोषी होंगे, उन्हें सजा जरूर मिलेगी.”

इस बीच, पीड़ित लड़की की मौत की खबर आते ही राजधानी लखनऊ और उन्नाव समेत कई जगहों पर प्रदर्शन शुरू हो गए हैं.

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