8 राज्यों की 10 विधान सभा सीटों पर हुए उप चुनाव में भाजपा ने पांच सीटें जीत ली हैं. हिमाचल प्रदेश, असम, दिल्ली, राजस्थान और मध्य प्रदेश की बांधवगढ़ सीट पर भाजपा ने जीत दर्ज की है.
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कर्नाटक की दोनों सीटें कांग्रेस में खाते में गयीं. वहीं पश्चिम बंगाल की जिस एक सीट के लिये चुनाव हुआ था, वह तृणमूल कांग्रेस के नाम रही. झारखंड की लिटीपाड़ा सीट पर झारखंड मुक्ति मोर्चा को जीत मिली है.
दिल्ली की राजौरी गार्डन सीट पर भाजपा-अकाली उम्मीदवार ने जीत दर्ज की है और दूसरे नंबर पर रही कांग्रेस. वहीं दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार की जमानत जब्त हो गयी.
जिन सीटों पर उपचुनाव हुए थे उनमें राजस्थान की धौलपुर, मध्य प्रदेश की अटेर, बांधवगढ़, झारखंड की लिटीपाड़ा, पश्चिम बंगाल की कांठी दक्षिण, असम की धेमाजी, कर्नाटक की नंजनगुड, गुंडलुपेट और हिमाचल प्रदेश की भोरांजी शामिल थीं.
क्यों इतना अहम है यूपी का चुनावी नतीजा
उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के चुनावी नतीजों ने तो बीजेपी को केसरिया होली खेलने का मौका दे दिया है. देखिए कितनी अहम है इन राज्यों में दर्ज की गई जीत.
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यूपी में एसपी और बीएसपी को नकारते हुए जनता ने मोदी की बीजेपी को जनादेश दिया है. आखिरी बार यूपी में बीजेपी की सरकार 2002 में थी. 1980 के बाद से पहली बार उत्तर प्रदेश में किसी एक दल ने इतनी बड़ी जीत दर्ज की है.
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उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड, दोनों राज्यों में बीजेपी का यह अब तक का सबसे बड़ा स्कोर है. बीजेपी को 403 सीटों वाले यूपी में 300 के पार, जबकि 70 सीटों वाले उत्तराखंड में 50 से भी ज्यादा सीटें हासिल हुई हैं.
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एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत के वोटरों ने पहले केंद्र में और अब कई राज्यों में भी चुनाव जिता कर प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में अपना भरोसा जताया है. बीते नवंबर में नोटबंदी के कड़े कदम के बावजूद राज्य चुनावों में उसका कोई असर नहीं दिखा.
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उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में मोदी ने इस बार रिकॉर्ड 24 रैलियां कीं. चुनाव नतीजों से साफ है कि मोदी के व्यक्तित्व और लोकप्रियता के सामने फिलहाल कोई नहीं टिकता. नोटबंदी को काले धन और भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी मुहिम मनवाने में वह सफल रहे हैं.
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रुझानों की शुरुआत से ही यूपी, उत्तराखंड समेत बाकी राज्यों के बीजेपी कार्यालयों के बाहर जश्न का माहौल बनने लगा. लखनऊ और दिल्ली में कार्यकर्ता और समर्थक सड़कों पर नाचते भी नजर आए.
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उत्तर प्रदेश भारत का सबसे घनी आबादी वाला राज्य है. लगभग 22 करोड़ की आबादी वाला उत्तर प्रदेश एक कृषि प्रधान राज्य है. मोदी के विरोधी उनकी पार्टी पर राज्य में सांप्रदायिक तनाव और समाज को बांटकर वोट पाने का आरोप लगाते हैं.
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राज्य में बीजेपी का कोई भी विरोधी दल उसे टक्कर नहीं दे सका. मिल कर चुनाव लड़ने के बावजूद समाजवादी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन 23 फीसदी वोट भी हासिल नहीं कर पाया.
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कई विश्लेषकों की राय है कि अब 2019 के आम चुनाव में भी मोदी को दूसरी पारी जीतने से कोई रोक नहीं पाएगा. केंद्र की ही तरह यूपी में भी विपक्ष के कमजोर होने के कारण बीजेपी ने रिकॉर्ड जीत दर्ज करने में कामयाबी पायी.
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ताजा विधानसभा चुनावों के बाद बीजेपी के लिए संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा में बहुमत हासिल करने का रास्ता खुलेगा, जिससे मोदी सरकार के लिए राज्यसभा में अपने अहम बिलों को पास कराना आसान होगा.
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निवेशकों को उम्मीद है कि यूपी जैसे बड़े राज्यों में जीत से बीजेपी के लिए राष्ट्रीय बिक्री कर लगाने और आर्थिक प्रगति के उपाय करना आसान होगा.
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असम की धीमाजी सीट बीजेपी विधायक प्रधान बरूआ के सांसद बनने के बाद खाली हुई थी. मध्यप्रदेश की बांधवगढ़ सीट से विधायक रहे ज्ञान सिंह के लोकसभा के लिए चुने गये थे, जिसके चलते यह सीट खाली हो गई थी. राजस्थान की धौलपुर सीट पर अब तक बसपा का कब्जा था. लेकिन यहां के बसपा विधायक को एक मामले में जेल जाना पड़ा जिसके चलते इस सीट पर चुनाव हुए. पश्चिम बंगाल की कांठी दक्षिण सीट यहां से विधायक रहे दिब्येंदु अधिकारी के सांसद बनने के बाद खाली हो गई थी.
जब निर्वाचन क्षेत्र में किसी जनप्रतिनिधि की मौत, इस्तीफे या अन्य किसी वजह से रिक्त हुये पदों की पूर्ति के लिये चुनाव कराये जाते हैं, तो उसे उपचुनाव कहा जाता है.