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उप चांसलर पर नस्ली टिप्पणी

८ फ़रवरी २०१३

जर्मनी के उप चांसलर पर राजनीतिक पार्टी की नस्ली टिप्पणी से बवाल मच गया है. देश के अंदर नस्लवाद पर नई बहस छिड़ गई है. वियतनामी मूल के फिलिप रोएसलर सत्ताधारी गठबंधन की अहम पार्टी के अध्यक्ष हैं.

तस्वीर: Reuters

अपनी ही पार्टी प्रमुख के अलग दिखने पर सवाल. हेस्से प्रांत के लिबरल पार्टी नेता के एशियाई दिखने वाले उप चांसलर फिलिप रोएसलर की सामाजिक स्वीकृति पर सवाल उठाने वाले बयान पर बवाल हो रहा है. लेकिन स्वयं रोएसलर ने उनका बचाव किया है.
फिलिप रोएसलर जर्मनी के सत्ताधारी मोर्चे में शामिल फ्री डेमोक्रैटिक पार्टी के अध्यक्ष और अर्थनीति मंत्री हैं. वे वियतनामी मूल के हैं. रोएसलर का जन्म वियतनाम में हुआ और उन्हें छोटी ही उम्र में एक जर्मन दंपती ने गोद ले लिया. उनकी परवरिश जर्मनी में हुई और वे पेशे से डॉक्टर हैं. पिछले दिनों हालांकि लिबरल पार्टी ने हर चुनाव में इतनी सीटें हासिल की हैं कि संसद में जगह पा सके. जर्मनी के चुनावी कानून के मुताबिक पांच फीसदी वोट पाने वाली पार्टी ही संसद या विधानसभाओं में जा सकती है. लेकिन जनमत सर्वेक्षणों में उसकी हालत खराब है, जिसके कारण पार्टी के अंदर रोएसलर की आलोचना बढ़ी है.
युवा उप चांसलर
रोएसलर से पहले जर्मनी के विदेश मंत्री गीडो वेस्टरवेले इस पार्टी के प्रमुख थे. उनकी अगुवाई में एफडीपी ने जर्मन चुनाव में शानदार कामयाबी हासिल की लेकिन बाद में वेस्टरवेले की छवि गिरती गई और उन्हें पार्टी प्रमुख का पद छोड़ना पड़ा. उसके बाद तेज तर्रार और सिर्फ 39 साल के रोएसलर को पार्टी प्रमुख बनाया गया.
हाल के बयान पर एक दिन के हंगामे के बाद अब उप चांसलर रोएसलर ने अपनी पार्टी की हेस्से शाखा के अध्यक्ष योर्ग ऊवे हान का बचाव किया है और कहा है कि वे नस्लवाद के हर संदेह से परे हैं. रोएसलर ने कहा, "हान के साथ मुझे सालों का राजनीतिक काम ही नहीं जोड़ता बल्कि व्यक्तिगत दोस्ती भी." उन्होंने कहा कि वे हान के बयान पर हो रहे हंगामे को नहीं समझ पा रहे हैं. रोएसलर ने इस पर जोर दिया कि हान ने पिछले सालों में हेस्से प्रांत में समेकन मंत्री के रूप में विदेशियों को समाज में घुलाने मिलाने के क्षेत्र में अच्छा काम किया है.
आम हैं नस्ली फब्तियां
पार्टी नेताओं का कहना है रोएसलर के खिलाफ नस्लवादी टिप्पणियां होती रहती हैं. पार्टी के युवा संगठन यूली के अध्यक्ष लास्से बेकर ने रोएसलर के मामले पर कहा, "चुनाव प्रचार के दौरान स्टैंड पर मुझे सुनने को मिलता है, मैं तुम लोगों को वोट दूंगा लेकिन सबसे पहले उस 'चीनी' को हटाओ." जर्मन प्रांत थ्युरिंजिया के एफडीपी महासचिव पाट्रिक कुर्थ ने भी बेकर जैसे अनुभव बताए, "एफडीपी के सदस्य की हैसियत से मैं रोएसलर के सिलसिले में खुले और छिपे नस्लवाद का अनुभव करता हूं. हालांकि हमें अपने मुल्क पर गर्व होना चाहिए कि यहां यह संभव है कि वियतनाम युद्ध का एक पीड़ित सरकार के प्रमुख पद पर है." कुर्थ का कहना है कि हान ने रोएसलर पर सवाल नहीं उठाया है बल्कि वह यह जानना चाहते हैं कि क्या लोग सचमुच इस प्रगति के लिए तैयार हैं, "यह जर्मनों की बुरी अंतरात्मा को दी गई आवाज है."

जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल के साथ उप चांसलर रोएसलरतस्वीर: dapd
रोएसलर पर सवाल उठाने वाले योर्ग ऊवे हानतस्वीर: picture-alliance/dpa

हान को अप्रत्याशित रूप से विदेशियों की परिषदों का समर्थन मिला है. हेस्से प्रांत के विदेशी परिषदों के प्रमुख कोरोडो डी बेनेडेट्टो ने कहा, "वे नस्लवाद से प्रेरित नहीं हैं. मैं समेकन मंत्री के बयान को अत्यंत सकारात्मक मानता हूं." डी बेनेडेट्टो ने कहा कि जर्मन समाज अभी भी इतना आगे नहीं पहुंचा है कि वह नेतृत्व के पदों पर विदेशी मूल के लोगों के होने को सामान्य माने, "और मामला सिर्फ रोएसलर का नहीं है." हान की टिप्पणी की विपक्ष ने कड़ी आलोचना की है और उन पर सस्ते नस्लवाद का आरोप लगाया. सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी और वामपंथी डी लिंके ने इसे नस्लवाद से प्रेरित बयान बताया है.
बचाव की कोशिश
हान प्रांत के कानून मंत्री भी हैं. उन्होंने गुरुवार शाम एक बयान जारी कर विवाद कम करने की कोशिश की. उन्होंने कहा कि वे इस बात की ओर ध्यान दिलाना चाहते थे कि "हमारे समाज में अचेतन में नस्लवाद है." उनका कहना है कि इस समस्या पर चुप नहीं रहना चाहिए, बल्कि उससे लड़ने के लिए खुल कर बोलना चाहिए." उन्होंने कहा कि जो उनके बयान में कुछ और देखता है वह उसे गलत समझ रहा है.
जर्मनी की सवा 8 करोड़ आबादी में करीब डेढ़ करोड़ विदेशी मूल के हैं, जिनमें से करीब 87 लाख के पास जर्मन नागरिकता है. इनमें 51 लाख जर्मनी में ही पैदा हुए हैं. चेहरे मोहरे से अलग दिखने के कारण बहुत से लोगों को रोजमर्रा में विदेशी ही समझा जाता है और उन्हें भेदभाव का सामना करना पड़ता है.
एमजे/एजेए (डीपीए)

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