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उमा के लड़ने से खुश है चरखारी

२४ फ़रवरी २०१२

मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्र में महत्वपूर्ण मंत्रालय संभाल चुकीं उमा भारती यूपी विधानसभा चुनाव में इस बार बुंदेलखंड में आल्हा उदल की नगरी महोबा जिले की चरखारी सीट से मैदान में हैं. स्थानीय लोग इससे खुश हैं.

चरखारी सीट से मैदान मेंतस्वीर: AP

बाबरी मस्जिद गिराए जाने के बाद सुर्ख़ियों में आईं उमा भारती ने बीजेपी छोड़ भारतीय जनशक्ति पार्टी भी बनाई थी. बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी के प्रयास से वह बीजेपी में लौट आईं. चंद दिन पहले महोबा में गडकरी ने उन्हें यूपी का भावी मुख्यमंत्री भी बता दिया. चरखारी के लोग उमा के यहां से चुनाव लड़ने पर उत्साहित हैं. चरखारी वीआईपी हो गया है.

लगभग 24 हज़ार की आबादी वाले चरखारी कस्बे की साक्षरता दर 58 फीसदी है. चरखारी है तो महोबा जिले की तहसील, पर यहां के लोग बात बात में इसे शहर कहते हैं. ज्यादातर लोगों ने बताया कि शहर में वोट भले बंट जाए पर गांव में उन्हीं के पक्ष में पड़ा है.

ब्रिटिश राज में राजा छत्रसाल की रियासत रहे चरखारी में मतदान से एक दिन पहले तक खूब सरगर्मी रही. मोटर स्टैंड पर मिले फिरोज बीएसपी के विरोधी हैं पर ये नहीं बताते कि वोट किसे दिया. मंगलगढ़ किले के शानदार द्वार ड्योढ़ी दरवाजे के सामने चाय की चुस्कियों की साथ हर कोई बतिया रहा है. थोड़ा आगे बाएं तरफ मोहन रामजी के मंदिर में उमा भारती का चुनाव कार्यालय है. इसी रोड पर आगे झंडे वाले चौराहे पर हर किसी का दावा है कि वही जीतेंगी.

बीजेपी का चुनाव कार्यक्रमतस्वीर: Suhail Waheed

राम स्वरूप, राजीव गुप्ता, बाबूलाल, हर स्वरूप, गंगा पाल इन सभी का कहना है कि उमा की जीत पक्की है. सिर्फ मकबूल कबाड़ी हैं, जो वहीं खड़े होकर इन सबके सामने कहते हैं कि वह कतई नहीं जीतेंगी. मुकाबला सपा और कांग्रेस में है. हां, अगर वह थोड़ा पहले से चुनाव में कूदतीं तो शायद जीत जातीं. उनका तर्क है कि जातीय समीकरण सपा के कप्तान सिंह के साथ है.

जातीय समीकरण

चरखारी विधानसभा क्षेत्र में उमा भारती की जाति लोध-राजपूत की आबादी करीब 90 हजार बताई जाती है. बीजेपी ने इसी कारण उन्हें यहां से मैदान में उतारा है. हालांकि बीएसपी के धूराम, समाजवादी पार्टी के कप्तान सिंह और कांग्रेस के रामजीवन भी इसी बिरादरी के हैं. इस सीट पर करीब 40 हजार वोट कुशवाहा के भी हैं और बीएसपी से निकाले गए बाबु सिंह कुशवाहा बीजेपी के लिए फायदेमंद हो सकते हैं.

बाहरी नहीं हैं उमा

मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ की उमा भारती बचपन से ही चरखारी में प्रवचन देने और अन्य धार्मिक कार्यक्रमों में आती रही हैं. टीकमगढ़ चरखारी से 120 किलोमीटर और विधानसभा क्षेत्र से 40-50 किलोमीटर दूर है. यहां के लोग बताते हैं कि पास के बुढा गांव में ही तो उनका बचपन बीता है. करीब 80 किलोमीटर दूर खजुराहो से चार बार सांसद रह चुकीं उमा का 1994 में चरखारी से तब रिश्ता और मजबूत हो गया, जब अस्थून गांव में दुराचार की शिकार एक महिला को लेकर वह दिल्ली पहुंच गईं और काफी बवाल हुआ.

मुस्लिम गोलबंद नहीं

इस सेट पर 18-20 हजार मुस्लिम मतदाता हैं लेकिन वे उमा के खिलाफ गोलबंद नहीं हो पाए. व्यापार मंडल के अध्यक्ष नियामत सौदागर बीएसपी में पदाधिकारी भी रह चुके हैं. वह बताते हैं कि उमा न आतीं तो बीएसपी का जीतना तय था. अब मुस्लिम बीएसपी के आलावा सपा के साथ भी है और कांग्रेस के साथ भी. गोलबंद क्यों नहीं हुए, इसके जवाब में कहते हैं, "किसी तरह की नफरत का माहौल नहीं बना, इसलिए." उनकी बात की तस्दीक वी पार्क पर खड़े दामोदर करते हैं . उनका तो दावा है कि एक दो परसेंट मुस्लिम वोट उमा को मिल गया हो.

बुंदेलखंड का कश्मीर

चारों ओर पथरीले पहाड़ों से घिरे 108 प्राचीन मंदिरों और 14 बड़ी झीलों वाला चरखारी प्राकृतिक सौंदर्य के लिए मशहूर है. रियासत थी तो इसे स्विट्जरलैंड कहा जाता था. भारत आजाद हुआ और सरकारी लापरवाही बढ़ी तो स्विट्जरलैंड कश्मीर में बदल गया. गर्मी में रईस यहां आराम करने आया करते. कई बार अकाल झेल चुके बुंदेलखंड का यह इकलौता इलाका है, जहां प्राकृतिक झीलें हमेशा पानी से लबालब रहती हैं. हालांकि कुछ झीलों का पानी अब भी कम नहीं होता और इनके चारों ओर लोग बेवजह यूंही टहला करते हैं. चरखारी की सुबह और शाम बेहद खूबसूरत होती है.

रिपोर्टः एस वहीद, चरखारी, उत्तर प्रदेश

संपादनः ए जमाल

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