उमा भारती बीजेपी में लौटीं
७ जून २०११
पार्टी में उनकी वापसी का एलान करते हुए बीजेपी के अध्यक्ष नितिन गडकरी ने कहा कि वह मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश का काम देखेंगी और वहां चुनाव प्रचार में अहम रोल अदा करेंगी. गडकरी ने कहा, "सर्वसम्मति से उन्हें पार्टी में दोबारा लेने का फैसला किया गया है. इससे बीजेपी को उत्तर प्रदेश में नई ऊर्जा मिल सकती है."
करीब छह साल पहले 2005 में मोहम्मद अली जिन्ना की तारीफ करने पर उमा भारती ने लालकृष्ण आडवाणी का विरोध किया था. इसके बाद उनके खिलाफ कार्रवाई की गई. बीजेपी की एक बैठक में भी उमा भारती ने खुले तौर पर अपना विरोध दर्ज किया था. पार्टी से निकाले जाने के बाद उन्होंने अपनी भारतीय जनशक्ति पार्टी बनाई लेकिन उन्हें ज्यादा सफलता नहीं मिल पाई.
52 साल की उमा भारती ने बीजेपी में लौटने पर खुशी जताई और कहा कि उन्हें लग रहा है कि जैसे जहाज का पंछी फिर जहाज पर लौट आया है, "पार्टी से छह साल बाहर रहने के दौरान मैंने महसूस किया कि मेरी जगह सिर्फ बीजेपी में ही बन सकती है. इन छह सालों में मुझे लगा कि अगर आप राष्ट्र की सेवा करना चाहते हैं तो यह बीजेपी में ही संभव है. मैं पिछले साल भूल जाना चाहती हूं."
भारती ने कहा, "लगभग 16 साल तक बीजेपी में रहने के बाद कुछ खास वजहों से मुझे पार्टी छोड़नी पड़ी. मैं अपनी प्रतिबद्धता के चलते बीजेपी में शामिल हुई और प्रतिबद्धता के चलते ही उसे छोड़ा."
उन्होंने कहा कि उनका पहला काम उत्तर प्रदेश की ओर देखना होगा और वहां राम मंदिर से राम राज तक की स्थापना करना होगा. उन्होंने यूपी को मंडल और कमंडल का राज्य बताया. भारती ने उन्हें पार्टी में वापस लेने के लिए बीजेपी का शुक्रिया अदा किया.
नितिन गडकरी ने भी मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री की पार्टी में वापसी का स्वागत किया. यह पूछे जाने पर कि क्या मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित दूसरे बीजेपी नेता उमा भारती की वापसी से खुश हैं, गडकरी ने कहा कि सभी नेताओं को भरोसे में लिया गया है.
बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने भी उमा भारती की वापसी पर खुशी जताते हुए कहा कि दरअसल वह तो कभी भी पार्टी की विचारधारा से दूर रहीं ही नहीं. जोशी ने कहा, "मैंने कभी नहीं समझा कि विचारधारा के स्तर पर वह बीजेपी से बाहर हैं क्योंकि वह बाद में भी वही कर रही थीं, जो वह पार्टी में रहते हुए करती रही थीं. मैं उन्हें शुभ कामनाएं देता हूं."
रिपोर्टः पीटीआई/ए जमाल
संपादनः महेश झा