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उरुग्वे और नीदरलैंड्स का मुकाबला

अनवर जे अशरफ, (संपादनः ओ सिंह)६ जुलाई २०१०

फुटबॉल के बादशाह ब्राजील को हराने के बाद नीदरलैंड्स का मुकाबला उरुग्वे की टीम से, जो पतली गली से सेमीफाइनल तक पहुंच गया है. मुकाबला मंगलवार को होगा. दोनों टीमें लंबे अर्से के बाद फाइनल में पहुंचने के लिए जान लगा देंगी.

तस्वीर: AP

छोटी छोटी आबादी वाले दो देशों ने वर्ल्ड कप फुटबॉल में इस बार बड़ा नाम कमाया और हल्के में ली जा रही उरुग्वे और नीदरलैंड्स की टीमें आखिरी चार में पहुंच गई. अब मुकाबला ऐसा है, जिसमें एक को फाइनल का टिकट कटाना है और दूसरे को दक्षिण अफ्रीका से. पहला वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम उरुग्वे 60 साल बाद फाइनल में पहुंचने की कोशिश करेगी, तो हॉलैंड यानी नीदरलैंड्स 32 साल बाद.

अब से पहले दोनों ही टीमें दो दो बार फाइनल तक पहुंच चुकी हैं. फर्क सिर्फ इतना रहा है कि उरुग्वे ने दोनों बार खिताब जीत लिया है, जबकि नीदरलैंड्स को दोनों ही बार लातिन अमेरिकी देशों से फाइनल में हार का सामना करना पड़ा था. 1974 में वह जर्मनी से हारा, जबकि 1978 में अर्जेंटीना ने उसे हरा कर पहली बार खिताब जीता था.

लय में है हॉलैंडतस्वीर: AP

कागजों पर तो यूरोप का नारंगी तूफान यानी हॉलैंड ही भारी दिख रहा है, जिसके पास आर्यन रॉबेन से लेकर फैन बोमेल, स्नाइडर और गियोवानी फॉन ब्रांकोस्ट जैसे खिलाड़ी हैं, जो ग्राउंड के अंदर तहलका मचाने की खूबी रखते हैं. नीदरलैंड्स हमेशा से एक मजबूत टीम मानी जाती रही है लेकिन वह हर बार अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाती है और कई कई बार तो वह वर्ल्ड कप के लिए क्वालीफाई भी नहीं कर पाई.

लेकिन हाल के दिनों में कोच बर्ट फैन मार्विक की देख रेख में टीम ने अच्छा प्रदर्शन किया है और क्वार्टर फाइनल में तो ब्राजील को हरा कर उन्होंने पूरे फुटबॉल जगत को सन्न कर दिया. ब्राजील ने पहले हाफ में ही एक गोल की बढ़त बना ली थी. लेकिन दूसरे हाफ में दो झन्नाटेदार गोल करने के साथ ही नीदरलैंड्स के खिलाड़ियों ने ग्राउंड पर नारंगी सांबा का माहौल पैदा कर दिया, जिसमें हर कुछ नीदरलैंड्स के राष्ट्रीय रंग ऑरेंज जैसा दिख रहा है.

घाना से मुश्किल से जीता उरग्वेतस्वीर: AP

नीदरलैंड्स काउंटर अटैक और तेजी चपलता के लिए विख्यात हैं. दनदना कर उलटा आक्रमण करने में हॉलैंड का जवाब नहीं और इस बार के वर्ल्ड कप में नीदरलैंड्स ने अब तक के सारे मैच जीते हैं. ऐसा करने वाली वह इकलौती टीम है.

वैसे उरुग्वे ने भी कोई मैच हारा नहीं है और क्वार्टर फाइनल में तो उसने एक निश्चित हार को जीत में बदल दिया था. उसकी मुख्य कोशिश हॉलैंड के आर्यन रॉबेन से पार पाने की होगी. उरुग्वे यूरोप से बाहर की एकमात्र टीम है, जो इस बार के वर्ल्ड कप सेमीफाइनल तक पहुंची है. सिर्फ सवा तीन करोड़ की आबादी वाले देश ने 1930 में पहली बार वर्ल्ड कप आयोजित कराया था और उसमें खिताब भी जीता था. 20 साल बाद 1950 में उरुग्वे ने मेजबान ब्राजील को पराजित कर दूसरी बार फुटबॉल के वर्ल्ड कप पर कब्जा किया था. लेकिन इसके बाद से वह कम मौकों पर ही वर्ल्ड कप के लिए क्वालीफाई कर पाया है. बीच बीच में मौके मिले भी हैं, तो पहले दूसरे राउंड में ही छुट्टी हो गई है. हां, 1970 के वर्ल्ड कप में उरुग्वे सेमीफाइनल तक जरूर पहुंचा था.

लातिन अमेरिकी देश उरुग्वे की टीम में कोई सितारा खिलाड़ी तो नहीं है लेकिन टीम इस बार एकजुट होकर खेल रही है. यह उसकी खुशकिस्मती भी रही है कि रास्ते में अब तक कोई बड़ा रोड़ा नहीं आया है. उरुग्वे का एकमात्र बड़ा मैच फ्रांस से था, जिसे उसने ड्रॉ खेला. इसके अलावा आखिरी 16 में उसे दक्षिण कोरिया से भिड़ना पड़ा, तो क्वार्टर फाइनल में घाना से. सच तो यह है कि इस बार भी उसे किसी चैंपियन से नहीं टकराना है.

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