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समाज

उसकी तो नहीं, मगर आज पूरी दुनिया की हो गई: लक्ष्मी अग्रवाल

२ अप्रैल २०१९

एसिड अटैक सर्वाइवर लक्ष्मी अग्रवाल इन दिनों काफी सुर्खियों में हैं. अभिनेत्री दीपिका पादुकोण उनकी बायोपिक 'छपाक' में काम कर रही हैं और इस फिल्म की काफी चर्चा हो रही है.

Laxmi Agarwal - Aktivistin in Indien gegen sexuelle Gewalt
तस्वीर: DW

लक्ष्मी का मानना है कि फिल्म के आने से शायद एक बहुत बड़ा बदलाव आए. उनका कहना है कि जिस शख्स ने उनके चेहरे पर तेजाब फेंका, उसकी तो नहीं हुईं लेकिन आज वह पूरी दुनिया की हैं. हाल ही में इंडिया रनवे वीक फैशन शो में शामिल होने राष्ट्रीय राजधानी आईं लक्ष्मी ने आईएएनएस से बातचीत की.

फिल्म 'छपाक' में दीपिका के काम करने के बारे में 28 वर्षीय लक्ष्मी ने कहा, "मुझे बहुत अच्छा लगा कि दीपिका इस मुद्दे को सामने लेकर आ रही हैं और मैं बहुत खुश हूं कि जब यह फिल्म आएगी, तो लोगों के अंदर एक अलग उत्साह होगा और शायद एक बहुत बड़ा बदलाव भी आएगा."

2005 में लक्ष्मी से एकतरफा प्यार करने वाले एक शख्स ने उन पर तेजाब फेंक दिया था. इस हादसे ने उन पर कितना असर डाला, इस बारे में उन्होंने कहा, "अगर आप एक साधारण जिदंगी जी रहे होते हैं और आपके जीवन में अचानक कोई हादसा होता है, खासकर किसी लड़की के साथ जब कुछ होता है, तो बहुत असर पड़ता है. क्योंकि लड़कियों को गर्भ से ही बोझ माना जाता है और जब वह दुनिया में आती हैं तो सबसे ज्यादा बोझ माता-पिता पर होता है कि उसकी पढ़ाई के बारे में सोचें या दहेज जमा करें."

अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए वह कहती हैं, "अटैक के बाद सारा फोकस इलाज में चला गया और जिंदगी एकदम से बदल गई, अजीब सी हो गई. मैं चार साल तक चेहरे को ढंक कर चली और फिर बिना ढंके बाहर निकलना बड़ी चुनौती थी. फिर अचानक इसके बाद पापा और भाई की मौत हो गई. तो ये बुरे दिन भी देखने पड़े."

लक्ष्मी का कहना है कि उनके सशक्त होने से समाज को एक संदेश मिला है, "उस अपराधी को एक तमाचा पड़ा है क्योंकि उसने तो ये सोचकर अटैक किया था कि ये मेरी नहीं तो फिर किसी की नहीं हो सकेगी, लेकिन मैं आज ये कहती हूं कि उसकी तो नहीं हुई, लेकिन पूरी दुनिया की हो गई."

एसिड हमले के पीड़ितों को लक्ष्मी का संदेश है कि उन्हें खुलकर सामने आना चाहिए और अपनी जिंदगी जीनी चाहिए. उन्होंने कहा, "मैं लड़की और लड़कों दोनों के लिए यह संदेश देना चाहती हूं, क्योंकि 70 प्रतिशत अटैक अगर लड़कियों पर होता है तो 30 प्रतिशत अटैक लड़कों पर भी होता है. मेरा मानना है कि जो भी लड़कियां या लड़के इसके शिकार हुए हैं वे खुलकर बाहर आएं और अपनी वास्तविक जिंदगी को जीना शुरू करें, क्योंकि जब कोई उन्हें देखता है तो सोचता है कि अगर ये कुछ कर सकते हैं तो मैं क्यों नहीं." #StopAcidAttack अभियान शुरू करने वाली लक्ष्मी ने कहा कि वह अपने अभियान से सरकार को जगाना चाहती हैं. उन्हीं के कैम्पैन की बदौलत सुप्रीम कोर्ट ने साल 2013 में बाजार में तेजाब की बिक्री पर रोक भी लगाई थी.

अपने कैम्पेन के साथ साथ लक्ष्मी निजी जीवन में भी मसरूफ रहती हैं. सामाजिक कार्यकर्ता आलोक दीक्षित के साथ उनकी एक बेटी है जिसका नाम है पीहू. लक्ष्मी ने ये भी बताया कि वह गायिका बनना चाहती थीं, लेकिन जब उन्होंने कोशिश करनी चाही तभी उनके साथ यह घटना हो गई, "और उसके बाद का सफर ऐसा रहा है कि बिल्कुल समय ही नहीं मिला."

विभा समृद्धि वर्मा (आईएएनएस)

न्यूयॉर्क में भारतीय एसिड अटैक सर्वाइवर का जलवा

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