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एंजलीना की फिल्म बोस्नियाई युद्ध पीड़ितों को पसंद आई

१० दिसम्बर २०११

जंग से जूझते बोस्निया में मुस्लिम लड़की के सर्ब युवक से प्यार की कहानी पीड़ितों को पसंद आ गई है. युद्धपीड़ितों के एसोसिएशन ने एंजलीना जॉली के निर्देशन में बनी पहली फिल्म को सच्ची दास्तान कहा.

तस्वीर: AP

एक तरफ युद्ध की विभीषिका और दूसरी ओर रोजमर्रा की मुसीबतों का कारवां 1992 से 1995 तक बोस्निया इसी से जूझता रहा. जब घड़ी घड़ी मन आशंकाओं में डूबा हो और हर आहट मन को डरा रही तब भी प्यार कहां मानता है. जातीय हिंसा की आंधी से लहूलुहान बोस्निया में सर्ब लोगों की तरफ से लड़ता सिपाही डैनियल अपने ही कैम्प में बंधक लड़की आयला की तिरछी चितवन से घायल हो जाता है. कभी अपने मकसद पर जान लुटाने वाले सिपाही के सरोकार ही बदल जाते हैं. यह कहानी फिल्म इन द लैंड ऑफ ब्लड एंड हनी की है, बोस्नियाई लोग इसे अपनी मान रहे हैं.

तस्वीर: UNHCR/Aziz

एंजलीना जॉली के निर्देशन में बनी पहली फिल्म का गुरुवार को सरायेवो में कुछ खास लोगों के लिए स्क्रीनिंग हुआ. बोस्नियाई युद्धपीड़ितों के एसोसिएशन ने फिल्म देखने का बाद इसकी तारीफ की और कहा कि अंतर्जातीय हिंसा से जूझ रहे बोस्निया को फिल्म में सही रूप में दिखाया गया है और यह सच के बहुत करीब है. युद्धबंदियों की संस्था के प्रमुख मुरात ताहिरोविक ने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा, "यह फिल्म पीड़ितों के बहुत करीब पहुंची है जिन्होंने बहुत कुछ झेला है. यह सच के करीब है और इसमें दिखाया गया है कि जंग के दिनों में क्या हुआ."

इस फिल्म को लेकर शुरुआत में काफी विवाद भी हुआ. स्थानीय मीडिया ने ऐसी खबरें दिखाई कि फिल्म की कहानी एक मुस्लिम बलात्कार पीड़ित की है जो अपने सर्ब हमलावर के प्रेम में पड़ जाती है. अफवाहों का बाजार गर्म हुआ तो विरोध प्रदर्शन भी हुआ. जिन लोगों ने कभी फिल्म का सख्त विरोध किया वही लोग उसे देखने के बाद तारीफ कर रहे हैं. युद्धपीड़ितों का विरोध दूर करने के लिए ही सरायेवो में फिल्म की खास स्क्रीनिंग में बहुत से स्थानीय प्रतिनिधियों को फिल्म दिखाई गई. मीडिया और आम लोगों को इससे दूर रखा गया.

तस्वीर: UNHCR/Aziz

डैनियल ताहिरोविक ने एंजलीना के बारे में कहा, "वह सचमुच एक फिल्म में पूरे जंग की कहानी बताने में कामयाब हुई हैं, उन्होंने उस दौर की सारी चीजों, जैसे कि सामूहिक हत्याएं, बलात्कार, मानव कवच और दूसरी खौफनाक बातें दिखा दी है." हालांकि फिल्म के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाली एक सामाजिक कार्यकर्ता खास स्क्रीनिंग में न बुलाए जाने से नाराज भी हैं. बाकिरा हासेसिच के हाथ में बोस्नियाई युद्ध के दौरान यौन हिंसा के पीड़ितों की संस्था की कमान है. बाकिरा ने कहा, "मैंने फिल्म की कुछ तस्वीरें इंटरनेट पर देखी है. मुझे नहीं पता कि फिल्म किस बारे में है लेकिन मैंने देखा कि पीड़ित फाइव स्टार होटल में रहती है, पेंटिंग करती है और आजाद है. ऐसा कुछ सच में नहीं हुआ."

शुक्रवार को एक बोस्नियाई अखबार में छपे इंटरव्यू में एंजलीना ने कहा है कि फिल्म बनाने के पीछे उनका मकसद "लोगों को यह समझाना" है कि क्रोएशियाई, मुस्लिम और सर्ब लोगों की बोस्निया में लड़ाई में क्या हुआ. इस जंग में 1 लाख लोग मारे गए. एंजलीना ने कहा है, "मैं उन लोगों को ठेस नहीं पहुंचाना चाहती जिन्हें पहले ही चोट पहुंचाई गई है."

इस फिल्म के साथ हॉलीवुड की इस विख्यात अभिनेत्री ने निर्देशन की दुनिया में भी कदम रख दिया है. फिल्म 23 दिसंबर को अमेरिका के सिनेमाघरों में दिखेगी.

रिपोर्टः एएफपी/एन रंजन

संपादनः मानसी गोपालकृष्णन

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