विश्व एंटी डोपिंग एजेंसी की रिपोर्ट आने के बाद 2016 रियो ओलंपिक में कई रूसी एथलीट्स पर प्रतिबंध लगाए जाने की मांग उठी है. वहीं जर्मन फुटबॉल एसोसिएशन के अध्यक्ष नीर्सबाख ने 2006 फीफा विश्व कप से जुड़े विवाद में पद छोड़ा.
विज्ञापन
विश्व फुटबॉल संगठन फीफा पहले ही गंभीर संकट झेल रहा है. फीफा संकट के तार रूस से भी जुड़े हैं क्योंकि इसका असर उसे मिली 2018 फुटबॉल विश्व कप की मेजबानी पर भी पड़ सकता है. ऊपर से,अब रूस पर सरकार प्रायोजित डोपिंग प्रोग्राम चलाने और अपनी आंतरिक गुप्त सेवा एफएसबी पर ओलंपिक डोपिंग लैब में अपना निगरानी कार्यक्रम चलाने के आरोप लगे.
कुछ रूसी अधिकारियों ने इन आरोपों को पूरी तरह नकारा है तो कुछ इसे पश्चिम के राजनीतिक षड़यंत्र का हिस्सा बता रहे हैं. रूसी खेल मंत्री विटाली मुतको ने तो वाडा की इस रिपोर्ट के विरोध में संगठन को एंटी-डोपिंग कार्यक्रम के लिए दी जाने वाली सरकारी आर्थिक मदद छीन लेने की बात कही है. रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद मुतकों ने रूसी समाचार एजेंसी इंटरफैक्स से बातचीत में कहा,"अगर हमें इस पूरे तंत्र को ही बंद करना होगा,तो हम बड़ी खुशी से इसे बंद कर देंगे... इससे हमारे पैसे ही बचेंगे."खेल मंत्री ने सरकारी टीवी पर कहा कि इस रिपोर्ट में सरकार के डोपिंग से संबंधित होने का "कोई गंभीर निष्पक्ष प्रमाण"नहीं है.
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की ओर से उनके प्रवक्ता दमित्री पेस्कोव ने एफएसबी के एंटी डोपिंग कामों में दखल देने के आरोपों पर साफ किया कि यह सब "क्रेमलिन के अजेंडा का हिस्सा नहीं है." इस बीच रूसी मेडिकल एजेंसी के प्रमुख व्लादिमीर उईबा ने भी कहा है कि वाडा की रिपोर्ट "राजनीति से प्रेरित" है और इसका इस्तेमाल रूस पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगाने के लिए किया जा सकता है. रूसी एथलेटिक्स फेडरेशन ने रिपोर्ट के सभी प्रमुख आरोपों को नकार दिया है. वाडा आयोग ने कई रूसी एथलीट्स पर आजीवन प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की है. रूसी खेल मंत्रालय ने कहा है कि वे वाडा के साथ इन आरोपों की जांच में सहयोग करेंगे.
खेलों के भ्रष्टाचार के मामले में दुनिया का सबसे बड़ा राष्ट्रीय फुटबॉल फेडरेशन जर्मनी का जर्मन फुटबॉल एसोसिएशन (डीएफबी) भी फंस गया है. डीएफबी के अध्यक्ष वुल्फगांग नीर्सबाख ने सोमवार को 2006 फुटबॉल विश्व कप से जुड़े विवाद के सिलसिले में अपने पद से इस्तीफा दे दिया.
करीब 67 लाख यूरो की टैक्स चोरी से जुड़े मामले की जांच चल रही है. आरोप है कि इस राशि का इस्तेमाल जर्मनी को 2006 के फीफा वर्ल्ड कप की मेजबानी दिलाने के लिए किया जाना था.
आरआर/एसएफ (एपी,रॉयटर्स)
फुटबॉल: सबसे बड़े खेल का बड़ा घोटाला
2010 में घोषणा हुई कि विश्व फुटबॉल की सर्वोच्च संस्था फीफा ने कतर को 2022 का मेजबान देश चुना है. फिर एक के बाद एक खुलने लगीं दुनिया भर में देखे जाने वाले इस सबसे लोकप्रिय खेल के आयोजन की कलई.
तस्वीर: Reuters/A. Wiegmann
'2010'
दिसंबर 2010 में फीफा ने ज्यूरिष में कतर को 2022 फुटबॉल विश्व कप की मेजबानी के लिए चुने जाने की घोषणा की. फुटबॉल के 22वें विश्व कप मुकाबले के आयोजनकर्ता के रूप में कतर के चुनाव को लेकर काफी हैरानी देखने को मिली. चुनाव की प्रक्रिया में कुल 22 में से 14 वोट कतर के पक्ष में पड़े थे.
तस्वीर: AFP/Getty Images/F. Coffrini
'2011'
जनवरी 2011 में ब्लाटर कतर की राजधानी दोहा में एशियाई खेलों के आयोजन के पहले एक कार्यक्रम में पहुंचे और टूर्नामेंट के "जाड़ों में होने" की उम्मीद जताई. 2018 और 2022 दोनों विश्व कप के लिए मेजबानों के चुनाव में भ्रष्टाचार के आरोपों ने मई 2011 में सिर उठाना शुरु किया. एक व्हिसलब्लोअर फेड्रा अलमजीद ने दावा किया कि इसके लिए कतर के पक्ष में वोट डालने के लिए फीफा की कार्यकारी समिति को पैसे दिए गए.
तस्वीर: Reuters/A. Wiegmann
'2013'
सितंबर 2013 में यूरोपीय फुटबॉल की संचालक संस्था यूएफा के 54 सदस्यीय दल ने पारंपरिक रूप से जून-जुलाई महीनों में आयोजित होने वाले टूर्नामेंट के समय को बदलने का समर्थन किया. नवंबर में अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ने वर्ल्ड कप के आयोजन से जुड़े निर्माण कार्यों में चल रहे "मानवाधिकारों के हनन" का पर्दाफाश किया. मानव "शोषण के खतरनाक स्तर" पर एमनेस्टी की रिपोर्ट जारी हुई.
तस्वीर: Getty Images
'2014'
जून में ब्राजील विश्व कप के दौरान फीफा पर 2022 का नया मेजबान चुनने का दबाव बढ़ गया. अमेरिकी वकील मिशेल गार्सिया की अध्यक्षता वाले दल ने फीफा पर लगे आरोपों की जांच शुरु कर दी थी. गार्सिया की फाइनल रिपोर्ट को कानूनी पेंच में उलझाकर फीफा ने जारी नहीं होने दिया. नवंबर में फीफा ने ही स्विस अटॉर्नी के पास कुछ लोगों के खिलाफ 2018, 2022 मेजबानी मामले में "संभावित गड़बड़ी" की शिकायत दर्ज की.
तस्वीर: Getty Images
'2015'
24 फरवरी को फीफा विश्व कप टास्क फोर्स ने प्रस्ताव दिया कि 2022 मुकाबले कतर में ही जाड़ों में आयोजित किए जाएं. 17 सालों से फीफा प्रमुख रहे ब्लाटर के साथ काम करने वाले कई वरिष्ठ अधिकारियों को 27 मई को साजिश और भ्रष्टाचार समेत कई आरोपों के अंतर्गत स्विस अधिकारियों ने गिरफ्तार कर लिया और फीफा के ज्यूरिष मुख्यालय पर छापे मारे. व्यक्तिगत रूप से ब्लाटर के खिलाफ अब तक कोई आरोप तय नहीं हुआ है.