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एंब्रायोनिक स्टेम सेल की मानवीय जांच शुरू

१२ अक्टूबर २०१०

अमेरिकी डॉक्टरों ने पहले विवादास्पद मानवीय परीक्षण के हिस्से के रूप में घायल मेरूरज्जु वाले पहले मरीज की एंब्रायोनिक स्टेम सेल चिकित्सा शुरू की है. यह जानकारी जेरोन कॉरपोरेशन ने दी है.

तस्वीर: AP

मरीज अटलांटा के स्पाइनल कोर्ड और ब्रेन इंज्यूरी क्लिनिक में दाखिल है जहां जेरोन ने मेरूरज्जु में चोट की चिकित्सा के लिए अपने मानवीय स्टेम सेल की सुरक्षा और सहनशीलता की क्लिनिकल जांच शुरू की है.

जेरोन कॉरपोरेशन के अध्यक्ष थोमस ओकार्मा ने कहा, "जीआरएनओपीसी1क्लिनिकल ट्रायल शुरू करना मानवीय एंब्रायोनिक स्टेम सेल आधारित चिकित्सा के क्षेत्र में मील का पत्थर है."

पहले चरण के ट्रायल में लगभग दस मरीज शामिल होंगे. इन मरीजों को चुनने की शर्त यह है कि मानवीय ट्रायल मे हिस्सा ले रहे मरीज गंभीर रूप से घायल हों जेरोन के उत्पाद जीआरएनओपीसी1 के जरिए चिकित्सा घायल होने के सात से 14 दिन के अंदर शुरू हो जाए. मरीजों को जेरोन के 20 लाख सेल की एकमात्र सूई दी जाएगी.

मानवीय एंब्रायोनिक स्टेम सेलतस्वीर: Public Library of Science / Wikipedia

मरीजों पर एक साल तक नजर रखी जाएगी और देखा जाएगा कि उनके निचले हिस्से में संवेदनशीलता विकसित हुई है या नहीं. यदि मरीजों के आरंभिक दल में कोई साइड एफेक्ट्स नहीं होते हैं तो जेरोन अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) से अध्ययन का विस्तार करने और दवा की डोज बढ़ाने की अनुमति मांगेगा.

इस अध्ययन का लक्ष्य जीआरएनओपीसी1 को सीधे घायल मरीजों के स्पाइनल कॉर्ड में इंजेक्ट करना है जहां वह नुकसान पहुंचे सेल को फिर से बढ़ने में मदद करेगा ताकि मरीज फिर से महसूस कर सके और चल फिर सके.

अमेरिका में हर साल लगभग 12 हजार लोगों की दुर्घटना में रीढ़ की हड्डी टूट जाती है. जेरोन को 2009 में जीआरएनओपीसी1 का मानवीय ट्रायल करने की अनुमति मिली थी.

रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा

संपादन: एन रंजन

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